23 मई को जब 17 वीं लोकसभा चुनाव का जब मतगणना जारी था और पूरा देश परिणाम जानने की उत्सुकता में टीवी पर आँखें गड़ाए बैठा था ठीक उस वक्त केंद्र की अंतरिम सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय में विलय करने का फैसला ले लिया.
According to the order, Statistical Wing, comprising the NSO with constituents as the CSO and the NSSO, will be an integral part of the main ministry.https://t.co/7gx4vWBBz6
— The Quint (@TheQuint) May 26, 2019
23 को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में आदेश में कहा कि भारतीय आधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली के संबंध में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के कामकाज को सुव्यवस्थित और मजबूत करने तथा मंत्रालय के भीतर प्रशासनिक कार्यों को एकीकृत करके अधिक तालमेल बैठाने के लिए यह कदम उठाया गया है.
आदेश के मुताबिक, सांख्यिकी शाखा मुख्य मंत्रालय का एक अभिन्न हिस्सा होगा. इस सांख्यिकी शाखा में एनएसओ के साथ घटक के रूप में सीएसओ और एनएसएसओ शामिल होंगे. इसमें कहा गया है कि एनएसएसओ की अध्यक्षता सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन सचिव करेंगे. इसके विभिन्न विभाग महानिदेशक (डीजी) के जरिये सचिव को रिपोर्ट करेंगे.
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में जो आर्थिक आंकड़े पेश किये थे उन पर कई सवाल उठे और सरकार ने उन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया था.
कुछ समय पहले पिछली सीरीज के आंकड़ों के आधार पर नीति आयोग ने रिपोर्ट में दावा किया था कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले चार सालों में (2014-18) अर्थव्यवस्था औसतन 7.35 फीसदी की तेजी से आगे बढ़ी है. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनोहन सिंह के कार्यकाल में (2005-14) अर्थव्यवस्था औसतन 6.67 फीसदी की तेजी से आगे बढ़ी थी.
हालांकि रिपोर्ट पर यह कहते हुए सवाल उठाए गए कि आंकड़ें सीएसओ की जगह नीति आयोग ने क्यों जारी किए. साथ ही जानकारों का आरोप है कि जीडीपी सीरीज में करेंट बेस ईयर 2011-12 लेने के कारण राष्ट्रीय आय बढ़ा-चढ़ाकर की पेश की गई.
बीते साल दिसंबर में राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के रोजगार सर्वे को पांच दिसंबर को कोलकाता में हुई बैठक में मंजूर किया गया था. इस सर्वे को सांख्यिकी और कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी किया जाना था. लेकिन सरकार इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने से बचती दिखी, जिसके बाद संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष पीसी मोहनन और संस्थान की गैर-सरकारी सदस्य जेवी मीनाक्षी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
दरअसल इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि देश में साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी.
सरकार के इस फैसले को एक “दुर्भाग्यपूर्ण कदम” करार देते हुए, पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन ने द टेलीग्राफ से बातचीत करते हुए कहा है कि “एनएसएसओ द्वारा प्राप्त स्वायत्तता अब नहीं होगी।” मने सरल भाषा में कहें तो सरकार के इस निर्णय से एनएसएसओ की स्वतंत्रता ख़त्म हो जाएगी.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) विस्तृत आर्थिक आंकड़े जैसे जीडीपी वृद्धि, औद्योगिक उत्पादन और मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी करता है. इसका प्रमुख महानिदेशक होता है.
वहीं एनएसएसओ स्वास्थ्य, शिक्षा, घरेलू खर्च और सामाजिक एवं आर्थिक सूचकांकों से जुड़ी रिपोर्ट पेश करता है और सर्वेक्षण कराता है. अभी तक एनएसएसओ और सीएसओ स्वतंत्र रूप से काम कर रहे थे.