गल्ली-गल्ली में बॉय बोले ‘जिंगोस्तान जिंदाबाद !’


भाइयों बहनों दिल्ली की सल्तनत के पास इसका जवाब नहीं है। इसके लिए 56 इंच का सीना चाहिए।


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दास मलूका

आगरे के किले में आधी रात शहंशाह अकबर के भूत ने हाथ मसलते हुए बीरबल के भूत से पूछा-

“तैमूरी ख़ानदान ने तो कश्मीरियों से तेगें छीन कर उन्हें फ़िरन पहना दी थी बीरबल ! ये फ़िदायीन कब से हो गए ? “

जवाब तो बीरबल के पास भी नहीं था। मगर बादशाह के सामने कुछ कहने की मजबूरी थी –

“जिल्ले इलाही जैसे आपने फ़िरन पहनाई, किसी ने उन्हें बमों वाली बेल्ट पहना दी, मगर सवाल अब उस फिदायीन का नहीं है, जिसने घात लगाकर 38 जवान शहीद कर दिए।”

तो फिर !!!

“सवाल उस सर्जिकल स्ट्राइक का है जो  जम्हूरिया-ए-हिन्दोस्तान के मौजूदा सुल्तान ने पाकिस्तान के भीतर घुस के करवाई…..और आम इंतेखाबात करीब आते ही बॉलीवुड के चुलबुले अदाकारों से इतरा कर पूछा…हाउज़ द जोश !” 

मतलब !!!

“मतलब ये हुज़ूर कि ‘सर्ज़िकल स्ट्राइक’ तो इल्जाम  के मुताबिक ‘फ़र्ज़िकल’ ही निकली। सर्ज़िकल स्ट्राइक का तो कोई असर हुआ ही नहीं। क्या अब दूसरी‘सर्जिकल स्ट्राइक’ होगी ?”

“हम बादशाह हैं बीरबल, “तख़्त – ए – इख़्तेदार” पर बैठे शख्स की जेहनी बुनावट समझते हैं। सर्ज़िकल स्ट्राइक होगी नहीं, शुरु हो चुकी है”

“क्या फ़रमाते हैं हुज़ूर”.…हैरत में पड़े बीरबल की आंखें फटी रह गयीं !

“यक़ीन करो बीरबल, यक़ीन करो….सर्ज़िकल स्ट्राइक शुरु हो चुकी है। इस बार ये उस पार नहीं इसी पार हो रही है। इसकी शुरुआत मरदुए टीवी के परदे ने कर दी है….”

बादशाह का भूत अपनी बात पूरी भी न कर पाया था कि पौ फट गई। मुग़लिया दौर के मुर्गे के भूत ने बांग दी, और ख़ालिस कलगी वाले रंग-बिरंगे मुर्गे से ब्रॉयलर के मुर्गे मे तब्दील हो कर अपने चिकन बनने का इंतज़ार करने लगा। बांग के साथ ही अकबर-बीरबल के भूत भी अगली रात की मुलाकात तक ग़ायब हो गए।

आइए अब मरदुए टीवी के परदे की ओर चलते हैं। लता मंगेशकर की दर्द भरी आवाज़ में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों…’ पूरी शिद्दत के साथ बज रहा था। शहीद जवानों के पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटे ताबूत हो चुके थे। गृहमंत्री ने बड़े दिनों बाद बंद गले का सूट पहना था, लिहाजा असहज महसूस कर रहे थे। लेकिन टीवी बिना बोले बता रहा था कि वो सूट से नहीं जवानों की शहादत से असहज हैं।

‘भगवती चाट भंडार’ के काउंटर पर 10 रुपए के सिक्के बीनते राम रतन साहू से उनके BA पास भतीजे ने पूछा

“ए काका, ई गनवा लता मंगेसकर कौन पिच्चर में गायीं थीं हो ?”

“भाक ससुर गिनती भुलवा दिए…..अब फिर से गिनना पड़ेगा….दस के सिक्का में मिलावट बहुत है….अरे कौनो छब्बीस जनौरी – पन्द्रा अगस्त को गायी होगी….तब से अब ले बाज रहा है…सुनो चुप्पे-चाप”

लेकिन भतीजा BA पास था इतना जल्दी चुप कैसे होता ! राम रतन का ध्यान समोसे में और भतीजे की नजर दुकान में चल रहे टीवी पर । अचानक भतीजा चीखा

“ए काका….हइ ल्ले रोए लागी हो टीबी वाली मेहररुआ”

भतीजे की चीख़ सुन कर राम रतन के साथ दुकान में मौजूद चाट के चटोरे ग्राहकों की निगाह भी टीवी से चिपट गई।

एक चैनल पर टीवी की एंकर रिपोर्टर से सवाल करते-करते रो पड़ी। रिपोर्टर रिपोर्ट देने से पहले एंकर को सांत्वना देने लगा। एंकर ने आंखें पोछीं और भर्राए गले से एंकरिंग फिर चालू।

दुकान में मौजूद हर शख्स थोड़ी देर के लिए सन्न ! फिर ‘कॉमन मिनिमम’ राय बनी

“पाकिस्तनवा पर एक बेर फेर अटैक ज़रूरी है, मानिए चाहे मत मानिए”

इस राय के बीच शाम की जलेबी लेने आए शाखा बाबू की अकेली आवाज़ सुनाई पड़ी।

“मोदिए करेगा, मानिए चाहे मत मानिए”

यूं तो खुद शाखा बाबू को डायबिटीज़ है, लेकिन पोते को वो दूध के साथ जलेबी खिलाना स्वास्थ्य वर्धक मानते हैं। जब से किसी ने बताया फार्म का अंडा वेज है तो वो उसका हौसला बढ़ाते हैं कि घर के बाहर अंडा भी खा लिया करे।

शाखा बाबू का पोता खुद शाखा नहीं जाता। सुबह 11 बजे से पहले उसकी आंख ही नहीं खुलती।

लेकिन शाखा से अलग उसके पास इधर ‘हिंदू हित’ के काम अचानक बढ़ गए हैं।

अचानक एक जुमला उसकी जबान पर आया है

ये नया हिंदुस्तान है, घर में घुसेगा भी और मारेगा भी !

अब उसे उस घर की तलाश है जिसमें घुसना है और मारना  है, मगर वो घर है कि मिल ही नहीं रहा है।

अपने घर में टीवी पर वो गोसाईं बाबा और चर्मा जी का चैनल देख रहा है।

चर्मा जी का चैनल सरेआम बता रहा है कि तीन तरीके हो सकते हैं पाकिस्तान पर सर्ज़िकल स्ट्राइक सीजन-2 के, तो गोसाईं बाबा के चैनल ने एयर फोर्स के युद्धाभ्यास को लगभग युद्ध की तरह ही पेश कर दिया। लड़ाकू जहाज उड़ा और दुश्मन का ठिकाना ध्वस्त।

एक आंख से टीवी देखता और दूसरी आंख से  मोबाइल पर ‘पबजी’ खेलता शाखा बाबू का पोता बुदबुदाया

ये नया हिंदुस्तान है, घर में घुसेगा भी और मारेगा भी!

इस आक्रोश में उसने कम से कम एक  दुश्मन को अपने मोबाइल पर ही मार गिराया।

उधर गली में गुस्साए नारों से भरी तिरंगा यात्रा…..और नजदीक….और नजदीक आती जा रही है। जिसका स्थायी अंतरा है

…….गोली मारो स्सालों क

……गोली मारो स्सालों को

…….गोली मारो स्सालों को

स्सालों को…स्सालों को…स्सालों को

दिल्ली के बेर सराय में UPSC की तैयारी में जुटा बिहारी नौजवान फ़ेसबुक पर एक पुराना वीडियो देख रहा है। ये 2014 से पहले का वीडियो है, और 56 इंच की आवाज़ गूंज रही है।

“मुझे जवाब दीजिए…..प्रधानमंत्री जी….सीमाएं आपके हाथ में हैं, कोस्टल सिक्योरिटी आपके हाथ में है, BSF, सेना सब आपके हाथ में है, नेवी आपके हाथ में है, ये विदेश से घुसपैठिए कैसे घुस जाते हैं ? सारा कम्युनिकेशन आपके हाथ में है…भारत सरकार इंटरप्ट कर सकती है..जानकारी हासिल करके आप इसे रोक सकते हो, आपने इसे रोकने के लिए क्या किया ?  भाइयों बहनों दिल्ली की सल्तनत के पास इसका जवाब नहीं है। इसके लिए 56 इंच का सीना चाहिए।”

नौजवान ने उकता कर गहरी सांस भरी और फिर नई नई आई फिल्म ‘गल्ली बॉय’ का रैप सांग सुनने लगा।

जिंगोस्तान ज़िंदाबाद

पकड़ो, मारो, काटो…ची ss  दो !

साफसुथरी चमड़ियों पर गहरे-गहरे नील दो !

धीरे–धीरे सारे खुद्दार खुद ही मान जाएंगे !

इनके पैरों के नीचे की, धरती इनसे छीन लो !

….देश को खतरा है, हर तरफ आग है, तुम आग के बीच हो

जोर से चिल्ला लो, सबको डरा दो…अपनी जहरीली बीन बजा के सबका ध्यान खींच लो

सबको चूना लगा लो, सबको टोपी पहना दो

कोई साथ न दे तो उसके ख़ून से ईगो सींच लो

जिंगोस्तान जिंदाबाद…जिंगोस्तान जिंदाबाद…जिंगोस्तान जिंदाबाद !