2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी होने का गौरव हासिल करने वाले शाह फ़ैसल ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया है। इस संबंध में जारी बयान में उन्होंने आरोप लगाया है कि कश्मीर में जारी अंधाधुंध हिंसा पर केंद्र सरकार कोई गंभीर पहल नहीं कर रही है और हिंदुत्ववादी ताकतें देश के 20 करोड़ मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने में जुटी हैं जिसके विरोध में वे इस्तीफ़ा दे रहे हैं। उन्होंने इसके अलावा भी कई मुद्दे गिनाए हैं।
कयास हैं कि वे नेशनल कान्फ्रेंस ज्वाइन करेंगे और बारामूला से अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट भी किया है कि ‘शाह फैसल का इस्तीफ़ा नौकरशाही के लिए नुकसानदेह पर राजनीति के लिए फायदेमंद है।’
इससे पहले बीती जुलाई में भी वे एक ट्वीट की वजह से चर्चा में आए थे। उन्होंने बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर एक ट्वीट करते हुए लिखा था- ‘पितृसत्ता + जनसंख्या + निरक्षरता + शराब + पोर्न + टेक्नालॉजी + अराजकता = रेपिस्तान!’
उनके इस ट्वीट पर सरकार की ओर से उन्हें नोटिस जारी किया था जिसे ‘लव लेटर’ बताकर उन्होंने सार्वजनिक कर दिया था-
वैसे ये चिंता की बात है कि आईएएस टॉप करने वाला प्रतिभाशाली कश्मीरी नौजवान दस साल भी सेवा में नहीं रह सका। शाह फैसल का इस्तीफ़ा कश्मीर के लोगों में बढ़ते बेगानेपन की भावना और केंद्र सरकार की कश्मीर नीति के असफल होने का ही सबूत है।
शाह फ़ैसल शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस करके अपने अगले कदम की जानकारी देंगे।