इस साल जनता के शांति पुरस्कार (पीपीपी) के लिए 10 देशों से कुल 19 शांतिदूतों को लोगों ने नामित किया था। इनमें भारत से चार, पाकिस्तान से तीन, कोलंबिया से तीन और अन्य अर्जेंटीना, कैमरून, मेक्सिको, पेरू, सिएरा लियोन, ट्रिनिडाड टोबैगो व संयुक्त राज्य अमेरिका से थे। ये उन शख्सियतों के नाम थे जिन्होंने अपने-अपने तरीके से अलग-अलग सांस्कृतिक परिवेशों में अमन-चैन को कायम करने का अभियान चलाया है।
उक्त 19 नामांकनों में जो अंतिम 11 नाम चुन कर सामने आए हैं, उन्हें पब्लिक पीस लॉरियट की उपाधि से नवाज़ा गया है। इनमें भारत से नवदलित आंदोलन के प्रणेता काशी के डॉ. लेनिन रघुवंशी और नीलांजना सान्याल को शामिल किया है। यह पब्लिक पीस प्राइज़ का पांचवां संस्करण है जिसमें अलग-अलग देशों की जनता ने शांतिदूतों को वोट देकर आखिरी सूची में पहुंचाया है।
पीपीपी को नोबेल शांति पुरस्कार का समानांतर दरजा हासिल है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं, पर्यावरण की रक्षा करते हैं, शांति के लिए प्रतिबद्ध होते हैं और इसमें ऐसे मीडिया मंच भी शामिल होते हैं जो सामुदायिक या वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर शांति का पैगाम फैलाते हैं।
जिन 11 व्यक्तियों को इस साल पब्लिक पीस लॉरियट घोषित किया गया है, उनमें निम्न शामिल हैं:
मेक्सिको की मारिया देल कार्मेन फ्युंते केसादा, भारत के डॉ. लेनिन रघुवंशी, पाकिस्तान के दूर खान, अर्जेंटीना से इनेस पालोमेक, भारत से नीलांजना सान्याल, यूएस से डेविड और रेनाते जकुपका, यूएस-भारत से संयुक्त रूप में सेफसिटी नामक महिला सुरक्षा अभियान, कोलंबिया से पज़ाला मुजेर, कैमरून का अखबार दि आइ, इंटरनेशनल मेन्स डे और पाकिस्तान की मिराज बीबी