अख़बारनामा: गोमूत्र पीकर डायबिटीज़ ‘ठीक’ कर चुके गडकरी बेहोश क्यों हुए?

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संजय कुमार सिंह


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी शुक्रवार को एक दीक्षांत समारोह के दौरान मंच पर बेहोश हो गए। हालांकि वे जल्दी ही ठीक हो गए। और बाद में सब कुछ ठीक होने का दावा किया। लेकिन किसी मंत्री का मंच पर बेहोश हो जाना स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण घटना है और मंत्री के साथ ऐसा हो सकता है तो आम आदमी की क्या औकात? सार्वजनिक रूप से सबसे ज्यादा बीमार मंत्रियों वाली केंद्र सरकार देश में चिकित्सा और समान्य जांच पड़ताल की पर्याप्त और उपयुक्त व्यवस्था किए जाने की बजाय लोगों का बीमा करा रही है और यह बीमा अस्पताल में दाखिल होने वालों के लिए ही है। इस क्षेत्र में काम करने वालों का अनुमान है कि सिर्फ चार प्रतिशत लोगों को अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत होती है, तब भी।

दूसरी ओर, देश में डायबिटीज (मधुमेह) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें शुगर सही मात्रा में रहना आवश्यक है। जांच की सुविधा आम आदमी को घर पर रखना चाहिए, जो न रख सके उसके लिए ये सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए। इस लिहाज से दिल्ली सरकार का मोहल्ला क्लिनिक का आईडिया प्रशंसनीय है। इसके अलावा लोगों को लगातार शिक्षित करने की आवश्यकता है पर नितिन गड़करी जैसे लोग दावा करते हैं कि गोमूत्र पीने से उनकी डायबिटीज ‘ठीक’ हो गई और मंच पर बेहोश हो जाते हैं तो हल्के में टालते हैं और अखबार या टेलीविजन चैनल इसपर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं समझते हैं। आज खबरों की चर्चा के साथ इस महत्वपूर्ण मामले को भी समझने की कोशिश।

आज टाइम्स ऑफ इंडिया और टेलीग्राफ को छोड़कर (मैं जो अखबार देखता हूं) किसी ने भी इस खबर को गंभीरता नहीं दी है। गोमूत्र से डायबिटीज ठीक हो जाने के दावे से जोड़कर नहीं देखा है। खासकर पहले पन्ने पर। अमूमन चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग और कुछ गैर सरकारी संगठन इस दिशा में काम करते हैं और अखबारों को समय-समय पर सामग्री भी उपलब्ध कराते हैं। पर वह अलग बात है। हालांकि, वही संगठन कल यह काम करते तो आज अखबारों में इस खबर की स्थिति अलग हो सकती थी। अंग्रेजी अखबारों में इंडियन एक्सप्रेस हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। यह सही है कि गडकरी बाद में सामान्य हो गए और उन्होंने बेहोश होने के कई कारण बताए। पर वो सभी कारण वहां मौजूद दूसरे लोगों पर भी लागू होते हैं। बेहोश गडकरी ही क्यों हुए?

टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पन्ने पर है शीर्षक है, गडकरी मंच पर बेहोश हुए, कहा उन्हें घुटन महसूस हुई। खबर में लिखा है और अंदर शुगर या ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) का मामला नहीं होने की सूचना भी दी है। हालांकि, अंदर दीक्षांत समारोह के लिए पहने गए परिधान (ब्रिटिश कालीन गाउन) को जिम्मेदार ठहराया गया है। एक सूचना गडकरी के साथ दुर्घटनाएं होती रही हैं, से यह मामला आम लगता है लेकिन उनकी हेल्थ रिपोर्ट कार्ड पर एक नजर में बताया गया है कि 11 नवंबर 2016 को उन्होंने कहा था कि दिल्ली के प्रदूषण का असर उनके स्वास्थ्य पर हुआ है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि उनका वजन ज्यादा है, वे डायबिटिक हैं और दोनों समस्याओं के नियंत्रण के लिए सितंबर 2011 में उनकी बैरियैट्रिक सर्जरी हुई थी।

द टेलीग्राफ में यह खबर पहले पन्ने पर चार कॉलम में बॉटम है। फ्लैग शीर्षक है, गडकरी मंच पर बेहोश हुए, कई कारण गिनाए। मुख्य शीर्षक है, (डराने वाली इस) घटना से गोमूत्र पहेली सुलझी। मुंबई डेटलाइन से अर्नब गांगुली की खबर में कलकत्ता और गुरुग्राम से इनपुट है। खबर इस प्रकार है, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी शुक्रवार को एक दीक्षांत समारोह के दौरान मंच पर बेहोश हो गए और जल्दी ही ठीक भी हो गए। बाद में जारी उनके अपडेट्स से संभावित कारण पर नए सिरे से ध्यान गया। वह गोमूत्र है जिसे उन्होंने डायबिटीज ठीक करने का श्रेय दिया था।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री को आमतौर पर एक कार्यकुशल मंत्री के रूप में देखा जाता है। अहमदनगर के राहुरी में एक कृषि विश्वविद्लाय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रगान के दौरान वे बेहोश हो गए। फुटेज में वे कुछ चबाते हुए नजर आ रहे हैं उनकी आंखें चढ़ती हैं और लगता है कि वे बेहोश होने वाले हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव उनके बगल में थे, ने उन्हें थाम लिया। मंत्री धीरे-धीरे कुर्सी पर बैठ गए। शुरू में 61 साल के गडकरी ने इसका कारण ब्लड शुगर कम होना बताया। बाद में उन्होंने ट्वीट किया, ब्लड शुगर कम होने से हल्की चिकित्सीय स्थिति थी। चिकित्सकों ने देखा है और अब मैं ठीक हूं। आप सब की शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया।

बाद में उन्होंने कहा, मैंने घुटन महसूस की। पंडाल चारों ओर से बंद था, हवा नहीं आ रही थी। मैंने दीक्षांत समारोह का परिधान पहन रखा था। इसलिए ऑक्सीजन कम थी। इसी कारण मैं बेहोश हो गया। अब मुझे ब्लड प्रेशर या शुगर की कोई समस्या नहीं है। नागपुर हवाई अड्डे पर गडकरी ने कहा, कार्यक्रम के दौरान बेहद गर्मी के कारण मुझे वर्टिगो और घुटन (की समस्या) हुई। मेरा ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर नॉर्मल है। इस घटना के कारण ढेर सारे पार्टी कार्यकर्ता चिन्तित हैं। चिकित्सक की सलाह के अनुसार मैं कुछ जांच कराउंगा।

अखबार ने लिखा है, मंच पर हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से एक साल पहले किए गए गडकरी के खुलासे में फिर से दिलचस्पी जगी है। तब उन्होंने कहा था, मैं रोज गोमूत्र पीता हूं। मेरी डायबिटीज अब ठीक है। मंत्री ने आगे कहा था, मुझे इंसुलिन नहीं लेना पड़ता है। पहले शुगर लेवल 120, 122, 124 होता था अब यह नियंत्रण में है। अखबार ने लिखा है, एक सवाल के जबाव में शुक्रवार को एक डॉक्टर ने कहा, गडकरी ने कुछ साल पहले सर्जरी कराई थी और इससे उनके डायबिटीज ठीक होने तथा बेहोश होने की घटना स्पष्ट होती है। डायबिटीज के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने यह स्पष्ट करने के बाद कि वे गडकरी के मेडिकल विवरण से वाकिफ नहीं हैं, और सिर्फ पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे हैं और यह मंत्री जी के शुरुआती बयान पर आधारित है – लो ब्लड शुगर बैरियैट्रिक सर्जरी की जानी हुई मुश्किल है, भले ही कम होती है।

अखबार ने इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, कलकत्ता के प्रोफेसर ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी सतीनाथ मुखोपाध्याय के हवाले से लिखा है, हाइपोग्लाईसेमिया (लो ब्लड शुगर) भले कम होता है पर पता है कि होता है और इससे लोग बेहोश हो सकते हैं। डॉक्टर ने यह भी कहा कि गोमूत्र से डायबिटीज ठीक होने का कोई सबूत नहीं है। कोई नहीं, कैसा भी नहीं। गुड़गांव के चिकित्सक और डॉक्टर्ड हब की संस्थापक जोयीता बसु ने कहा, डायबिटीज के मरीजों को चाहिए कि वे ब्लड शुगर लेवल पर नजर रखें और सप्ताह में कम से कम तीन चार बार इसकी जांच करें। ऐसे लोगों को (चारो समय का) खाना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

हिन्दी अखबारों में नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में दो लाइन के शीर्षक और चार लाइन की खबर है। शीर्षक है मंच पर गडकरी बेहोश, बाद में बोले ठीक हूं। दैनिक भास्कर में पहले पन्ने पर फोटो के साथ सिंगल कॉलम की खबर है। फ्लैग शीर्षक है, शुगर की कमी मुख्य शीर्षक है स्टेज पर बेहोश हुए गडकरी, अब सुधार, शिरडी रवाना। दैनिक जागरण में पहले पेज पर अंदर खबर होने की सूचना भर है। पहले पेज पर शीर्षक है, राष्ट्रगान के दौरान गश खाकर गिरे गडकरी। अंदर दो कॉलम की फोटो के साथ दो कॉलम में खबर है। शीर्षक वही है जो पहले पन्ने पर है। अखबार ने मुंबई डेटलाइन से प्रेस ट्रस्ट की खबर छापी है।

नवोदय टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर सिंगल कॉलम में फोटो के साथ है। शीर्षक है, …. और मंच पर बेहोश होकर गिर पड़े नितिन गडकरी। हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर सिंगल कॉलम की छोटी खबरों के बीच एक खबर छापी है सड़कें खराब मिलीं तो ठेकेदार पर कार्रवाई होगी। यहां यह खबर पेज 09 पर होने की सूचना है और शीर्षक में दी गई सूचना नवोदय टाइम्स की खबर का अंतिम वाक्य है। अमर उजाला में यह खबर आधे कॉलम में बीमार मंत्री की फोटो के साथ एक कॉलम में है। शीर्षक है, ऑक्सीजन की कमी से बेहोश हुए गडकरी।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर ली और सबको ख़बर दी है।