देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों, शोध संस्थाओं और प्रयोगशालाओं में काम कर रहे शोधार्थी इन दिनों फेलोशिप वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। अपनी इन मांगों को लेकर इन छात्रों ने अपने-अपने संस्थानों में इसको लेकर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया और संस्थान के प्रमुख से इस संदर्भ में कई पत्र भी MHRD और अन्य संबंधित विभागों को भिजवाया गया।
शोध छात्रों की फेलोशिप में अंतिम बार बढ़ोत्तरी साल 2014 में और उसके पहले साल 2010 में हुई थी। छात्रों को इस बात की उम्मीद थी की 2018 में भी फेलोशिप में बढ़ोत्तरी होगी लेकिन इस प्रक्रिया में देरी होने कारण छात्र आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं। फ़ेलोशिप में वृद्धि की सुगबुगाहट उस वक़्त ही शुरू हो गयी थी जब वर्तमान सरकार ने Prime Minister Research Fellowship (PMRF) शुरू करने की घोषणा की थी। इसके तहत शुरुआत में IIT, IISc या IISER में शोध करने वाले B.Tech छात्रों को 70000 रुपये प्रतिमाह फ़ेलोशिप देने का प्रावधान किया गया था। इससे वर्तमान में इन संस्थानों में शोध कर रहे शोधार्थियों में काफी रोष था और उनका कहना था कि इससे पहले से शोध कर रहे सीनियर शोधार्थी हतोत्साहित होंगे। वर्तमान में जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप 25000 और सीनियर रिसर्च फ़ेलोशिप 28000 रुपये प्रतिमाह है। साल 2010 में फेलोशिप में ३३% की वृद्धि की गयी थी जिसके बाद JRF को 12000 से बढ़ाकर 16000 तथा SRF को 14000 से बढ़ाकर 18000 किया गया था। इसके बाद साल 2014 में 56 % की बढ़ोत्तरी की गयी थी जिसमें JRF को 14000 से बढ़ाकर 25000 तथा SRF को 18000 से बढ़ाकर 28000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया था।
छात्रों की ओर से इस बाबत पिछले 20 नवंबर को प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफ के विजयराघवन से मुलाकात करके अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा था। छात्रों की प्रमुख मांगें इस प्रकार थी :
- जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप को बढ़ाकर 50000 तथा सीनियर रिसर्च फ़ेलोशिप को 56000 रुपये प्रतिमाह किया जाये।
- फ़ेलोशिप में बढ़ोत्तरी सातवें वेतन आयोग की तर्ज पर की जाये।
- हर चार साल में फ़ेलोशिप नियमित समीक्षा के लिये कोई नियम बनाया जाये।
- छात्रों को फ़ेलोशिप समय से हर महीने वितरित की जाये।
छात्रों को ओर से इस बाबत 10 दिसम्बर तक का समय दिया गया है। सरकार की तरफ से इस मामले में प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजयराघवन ने ट्वीट करके छात्रों को ये आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
इस बीच फॉरवर्ड प्रेस की एक खबर से छात्रों में हड़कंप मच गया है जिसमें सूत्रों के हवाले से ये कहा गया है कि फ़ेलोशिप में मात्र 15 % बढ़ोत्तरी पर विचार किया जा रहा है। पहले ही बढ़ोत्तरी में देरी से आंदोलनरत छात्रों में इस खबर के बाद से छात्रों में काफी आक्रोश है। यहाँ गौरतलब है कि वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में भारत में प्रति मिलियन 215.853 शोध छात्र हैं जबकि हमारे पड़ोसी देश चीन में ये आंकड़ा 1176.577 प्रति मिलियन का है। इस सन्दर्भ में छात्रों का ये मानना है कि फ़ेलोशिप का कम होना भी एक बहुत बड़ा कारण है जिसकी वजह से तमाम भारतीय छात्र विदेशों में जाना पसंद करते है।