संजय कुमार सिंह
धर्मसभा की खबर बहुत हुई। चुनाव से पहले ऐसे आयोजन का मकसद आप जानते हैं। खबरों से यह दिखाई पड़ रहा है कि सरकार और प्रधानमंत्री पर मंदिर बनवाने के लिए दबाव है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलवर की एक रैली में कल (रविवार, 25 नवंबर 2018) को इस मामले में अपना पक्ष रखा और कहा कि इस साल के शुरू में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जब अयोध्या विवाद पर सुनवाई करनी चाही तो कांग्रेस ने महाभियोग की धमकी दी थी। किसी का नाम लिए बगैर मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस के कुछ राज्य सभा सदस्य जो वकील भी हैं, ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि सुनवाई आम चुनाव के बाद तक के लिए टल जाए, जजों को डराने की कोशिश की थी।
मोदी ने रैली में कहा कि कांग्रेस को लोकतंत्र और न्यायपालिका में कोई भरोसा नहीं है। बात नहीं करती है और संसद में कार्यवाही रोक देती है। पर यह जो नया गेम खेल रही है वह खरतनाक है और उसपर चर्चा होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, अगर सुप्रीम कोर्ट का कोई जज (मामलों की सुनवाई के लिए) समय तालिका उसके (कांग्रेस के) राजनीतिक इरादों का ख्याल रखते हुए न बनाए और अयोध्या जैसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर न्याय करने के लिए हर किसी की बात सुनना चाहे तो पार्टी के वकील, जो राज्य सभा के सदस्य हैं, जजों को डराने का खेल शुरू कर देते हैं। उन्होंने आगे कहा, वे राज्य सभा में अपनी संख्या के बल पर न्यायपलिका को डराने का काम कर रहे हैं। पर हम लोकतंत्र के मंदिर में ऐसा काला काम नहीं होने देंगे।
धर्म सभा की खबर के साथ प्रधानमंत्री का ऐसा कहना महत्वपूर्ण है। आइए देखें आज के अखबारों ने इसे कैसे छापा है। अंग्रेजी अखबारों में हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसे धर्मसभा की खबर के साथ अलवर/अयोध्या/नागपुर डेटलाइन से लीड बनाया है। शीर्षक है, “कांग्रेस राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट को डरा रही है : मोदी”। “अयोध्या मुकाबला : प्रधानमंत्री को अदालत की सीधी निन्दा करने की हिम्मत दिखानी चाहिए : सिबल।” असल में प्रधानमंत्री के आरोप पर अधिवक्ता, कांग्रेस नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य (1998) ने कहा है कि मैं जनवरी से नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट में नहीं पेश हुआ हूं। क्या प्रधानमंत्री को न्यायपालिका के खिलाफ बयान देने की हिम्मत है। अखबार ने इसे प्रमुखता से छापा है। इस खबर के साथ धर्म सभा की फोटो है। नीचे तीन कॉलम की छह लाइनों में अलग-अलग प्रधानमंत्री का आरोप, सिबल की चुनौती और मोहन भागवत का बयान है।
इंडियन एक्सप्रेस ने धर्म सभा की खबर पहले पेज पर दो कॉलम में छापी है और उसी के नीचे दो कॉलम में अलवर रैली की खबर है। पहली खबर का फ्लैग शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता में (मंदिर) नीचे : भागवत”। मुख्य शीर्षक है, “अयोध्या से नागपुर, आरएसएस, वीएचपी के लिए निशाना सुप्रीमकोर्ट है और लक्ष्य मंदिर”। अलवर में प्रधानमंत्री के आरोपों की खबर का शीर्षक है, “मोदी ने कहा कांग्रेस अयोध्या पर निर्णय में देर करा रही है।”
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अलवर की खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “मंदिर मामले को चुनाव के बाद तक रोकने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के जज पर दबाव बनाया : प्रधानमंत्री”। मुख्य खबर के साथ अखबार ने मोदी के आरोपों को दो कॉलम के एक बॉक्स में फोटो के साथ प्रमुखता से छापा है और सिंगल कॉलम में एक अन्य खबर छापी है जिसका शीर्षक है, “अब कांग्रेस नेता ने मोदी के पिता को निशाना बनाया”। इसके साथ तीन कॉलम में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की एक खबर ग्वालियर डेटलाइन से है। इसका शीर्षक है, “शाह ने कहा, सरकार अयोध्या मामले पर जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तक इंतजार करेगी”। इंट्रो है, “इसका मतलब हुआ, फिलहाल कानून बनाने की योजना नहीं”। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रधानमंत्री के आरोपों पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया या सिबल की चुनौती पहले पेज पर प्रमुखता से तो नहीं है।
टेलीग्राफ ने धर्मसभा की खबर को फोटो के साथ लीड बनाया है। उसमें अलवर रैली की चर्चा है और सूचना कि खबर अंदर है। वहां यह खबर सिंगल कॉलम में है। टेलीग्राफ ने इस खबर के साथ एक और खबर प्रमुखता से छापी है, इस खबर के मुताबिक भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ‘रावण’ आजाद ने रविवार को नई दिल्ली में कहा कि वे सोमवार को अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट, अनिल कुमार को संविधान की एक प्रति सौंपेंगे और उन्हें संविधान के पालन की जिम्मेदारी की याद दिलाएंगे। उन्होंने कहा, भीम आर्मी की ओर से मैं कल (26 नवंबर, आज संविधान दिवस भी है) बाबासाहब के संविधान की एक प्रति लेकर जाउंगा और कहूंगा कि देश संविधान से चलता है और देश तथा उत्तर प्रदेश सरकार चला रहे लोग अगर इस संविधान से लोगों की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।
धर्म सभा की टेलीग्राफ की खबर का शीर्षक, “मंदिर के लिए कानून बनाने के मंत्री के आश्वासन का दावा” है। इसके मुताबिक, प्रधानमंत्री के करीबी होने का दावा करने के लिए जाने जाने वाले गिरधर मिश्र उर्फ स्वामी रामभद्राचार्य ने दावा किया, 23 नवंबर की रात आठ बजे उनकी बात एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से हुई जो मोदी के बाद दूसरे नंबर के मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि सरकार 11 दिसंबर से 12 जनवरी के बीच मंदिर के लिए कानून बनाएगी और कोई भी इस तारीख को नहीं बदल सकता है। अपने हिन्दी अखबारों में आप खुद देखिए धर्म सभा के बारे में क्या सूचना है और कौन सी नहीं है। तथा प्रधानमंत्री का आरोप कैसे छपा है।
दैनिक भास्कर ने धर्म सभा की खबर को लीड बनाया है। दो लाइन का फ्लैग शीर्षक है, “विहिप का आयोजन बिना प्रस्ताव खत्म; संत समाज बोला – मुस्लिमों ने राम जन्म भूमि पर दावा नहीं छोड़ा तो 40 हजार मंदिर मुक्त करवाने की मुहिम छेड़ेंगे”। इसके साथ दो कॉलम में दो लाइन के शीर्षक से प्रधानमंत्री की अलवर रैली का शीर्षक है, “राम मंदिर पर जजों को डरा रही कांग्रेस : मोदी”। इसके साथ दो कॉलम में ही एक और शीर्षक है, “कारण न गिनाएं, सोचें कि मंदिर कैसे बनेगा : भागवत”। इसके साथ तीन कॉलम में संतो की फोटो के नीचे लिखा है, संत पहले मंदिर की तारीख पर अड़े थे अब की सब्र की बात। भास्कर की मुख्य खबर है, कानून के जरिए राम मंदिर निर्माण का दबाव बनाने के मकसद से अयोध्या में आयोजित विहिप की धर्मसभा रविवार को भाषणों के साथ खत्म हो गई। इसके साथ और भी कई छोटी-बड़ी खबरें हैं।
दैनिक हिन्दुस्तान ने प्रधानंमत्री के आरोप की खबर पहले पेज पर टॉप में दो कॉलम में लगाया है। शीर्षक में या आस-पास कपिल सिबल या कांग्रेस का पक्ष नहीं है। नवभारत टाइम्स में पहले पेज पर पूरा विज्ञापन है। ईयर पैनल में सूचना है, “रैली में पीएम ने मंदिर पर कांग्रेस को घेरा”। खबरों के पहले पन्ने पर यह खबर धर्म सभा की खबर के साथ बैनर से ज्यादा प्रमुखता है। मास्टहेड पर चढ़ी हुई है। फोटो देखें। नवोदय टाइम्स में यह खबर धर्म सभा की खबर से अलग पहले पेज पर दो कॉलम में है। प्रधानमंत्री की डेढ़ कॉलम की फोटो के साथ जिसमें वे दोनों हाथ फैलाए हुए हैं। दैनिक जागरण में अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के जजों को डरा रही है कांग्रेस शीर्षक से यह खबर धर्म सभा की मुख्य खबर के नीचे चार कॉलम में है। अमर उजाला ने प्रधानमंत्री के आरोप के जवाब में मोहन भागवत के बयान को लगाया है। पहले पेज पर धर्म सभा की खबर के नीचे। राजस्थान पत्रिका ने धर्म सभा की खबर के साथ प्रघानमंत्री के आरोप को पहले पेज पर ही सिंगल कॉलम में छापा है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।