चंद्र प्रकाश झा
छत्तीसगढ़ में माओवादी-नक्सलियों के हौवा के बीच निर्वाचन आयोग ने 90 सीटों की छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव दो चरणों में कराने का निर्णय किया है। पहले चरण में माओवादी – नक्सली प्रभावित बताये जाने वाले दक्षिणी जिलों के 18 निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग 12 नवंबर को होगी। दूसरे चरण में शेष 72 सीटों पर वोटिंग 20 नवंबर को होगी। मतगणना एकसाथ 11 दिसंबर को होगी। उसी दिन सबके परिणाम मिल जाने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति -जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे पूर्व सांसद पी.एल.पुनिया ने आरोप लगाय है कि ” दो चरणों में चुनाव होने से सत्ता का दुरूपयोग होगा। लेकिन जनता को हम पर और हमें जनता पर भरोसा है।” उनके अनुसार चुनाव कार्यक्रम तैयार करने प्रदेश की राजधानी रायपुर आये चुनाव आयुक्तों से कांग्रेस ने एक ही चरण में वोटिंग कराने का आग्रह किया था। लेकिन भाजपा ने दो चरण में वोटिंग कराने को कहा था। निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस का आग्रह नामंजूर कर भाजपा का सुझाव मानना श्रेयस्कर समझा। जाहिर है यह निर्णय सुरक्षागत कारणों से भी लिया गया है। इरादा यही लगता है कि माओवाद प्रभावित 18 निर्वाचन क्षेत्रों के चप्पे-चप्पे पर वोटिंग के दिन हथियारबंद केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जा सके। छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की कितनी कंपनियां तैनात की जाएंगी इसका अधिकृत ब्योरा अभी नहीं मिला है। राज्य में कुल पोलिंग स्टेशन 23632 होंगे। कुल मतदाताओं की संख्या 1.85 करोड़ है।
छत्तीसगढ़ में मतदान के पहले चरण की 18 सीटों पर चुनाव की अधिसूचना 16 अक्टूबर को जारी होगी। नामांकन पत्र 23 अक्टूबर तक भरे जा सकेंगे। उनकी जांच 24 अक्टूबर को होगी। पर्चे वापस लेने की आखिरी तारीख 26 अक्टूबर है। दूसरे चरण में जिन 72 सीटों पर वोटिंग 20 नवंबर को होगी उनके लिए अलग चुनाव अधिसूचना 26 अक्टूबर को जारी होगी। उन सीटों पर पर्चे भरने की आखिरी तारीख 2 नवंबर है। अगले दिन उनकी जांच की जाएगी। पर्चे वापस लेने की आखिरी तारीख 5 नवंबर है। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 5 जनवरी 2019 को समाप्त होना है। भाजपा पिछले तीन राज्य विधान सभा चुनाव में लगातार विजयी रही है। पेशा से चिकित्सक मौजूदा मुख्यमंत्री डा.रमण सिंह 15 बरस से इस पद पर विराजमान हैं। उनके पुत्र अभिषेक सिंह का नाम स्वदेश में कर बचाने के लिए अपना धन गैर कानूनी तरीकों से विदेशी खातों, शेयर, बांड आदि में निवेश करने वालों के बारे में प्रकाशित ‘पनामापेपर्स’ में शामिल बताया जाता है।
इस बीच, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में चुनाव से पहले पुलिस ने भाजपा नेता के फार्म हाउस पर छापा मारा है। छापामार कार्रवाई में पुलिस ने 32 बंडल कंबल जब्त किए हैं। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य ओम प्रकाश टावरी के विवेकानन्द वार्ड कोंडागांव के फार्म हाउस पर छापामार कार्रवाई की गई है। पुलिस को शिकायत मिली थी कि भाजपा नेता चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए कंबल बांटने वाले हैं।
छत्तीसगढ़ में चुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस को दो बड़े झटके लगे। पहला झटका तब लगा जब उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य मंत्री मायावती की अध्यक्षता वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कांग्रेस से चुनावी किनाराकसी कर ली। मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बसपा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने चुनावी राज्यों में गठबंधन न होने के लिए कांग्रेस नेताओं को जिम्मेदार ठहराया और तल्ख़ लहजे में कहा कि ” कांग्रेस की रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई। कांग्रेस, बसपा की पहचान खत्म करना चाहती है।” बसपा ने छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से गठबंधन कर लिया, जिसका गठन उन्होंने कुछ अरसा पहले कांग्रेस से अलग होने के बाद किया था। इस घटनाक्रम से जहां भाजपा को कुछ खुशी हो सकती है वहीं कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि वह 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने के प्रयास में लगी थी।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को दूसरा झटका तब लगा जब उसकी प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष एवं मौजूदा विधायक , रामदयाल उइके भाजपा के पाले में चले गए। उइके भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में भगवा पाले में गए। वह 4 बार विधायक रहे हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भगवा पाला से कांग्रेस में लाये थे। उइके ने वर्ष 2000 में जोगी जी के लिए अपनी मरवाही विधान सभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। खबरें हैं कि वह मरवाही से ही भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। इस सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने टिप्पणी की कि ” चुनाव का मौसम है,आना जाना लगा रहेगा।”
खबरें हैं कि कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ( सीईसी) की 12 अक्टूबर को हुई बैठक में छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची लगभग तय हो गयी। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अंतिम मंजूरी मिलते ही इसे कुछेक दिन में जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद की बागडोर संभालने के बाद पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक इकाई , कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) का तो पुनर्गठन किया है , पर सीईसी ज्यों का त्यों है।
छत्त्तीसगढ़ राज्य का गठन केंद्र में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की सरकार के कार्यकाल में 1 नवम्बर 2000 को मध्यप्रदेश से पृथक कर किया गया। छत्त्तीसगढ़ विधान सभा के चुनाव अभी तक मध्य प्रदेश विधान सभा के चुनाव के साथ ही कराये जाते रहे हैं। छत्त्तीसगढ़ के कुल 90 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 29 अनुसूचित जनजाति के लिए और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। शेष 51 सीटें सामान्य हैं। राज्य के अभी करीब एक करोड़ 81 लाख मतदाताओं में 90 लाख महिला और 810 ‘ ट्रांसजेंडर’ मतदाता भी शामिल हैं। मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण 31 जुलाई से शुरू हुआ। अंतिम तौर पर मतदाता सूची का प्रकाशन 27 सितंबर को किया गया।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पिछले चुनाव के लिए नवम्बर 2013 में मतदान हुआ था। चुनाव परिणाम 8 दिसम्बर को घोषित किये गये थे। उसमें भाजपा को 49, कांग्रेस को 39 और बसपा को एक सीट मिली थी।
चुनाव चर्चा के 15 अगस्त के अंक में हमने छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारियां का जायजा लिया था जो कुछ चौंका देने वाली थी। राजस्थान पत्रिका ने खबर दी थी कि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने 22 अरब खर्च कर मुफ़्त का जियो सिम युक्त 50 लाख स्मार्टमोबाइल फोन निःशुक्ल बांटने की सरकारी योजना शुरू की है। एक फोन की कीमत 4100 बताई गई। इसे ग्रामीण ओर आदिवासी इलाकों के बेहतरी के लिये बनाई गई योजना बताया गया। अरबो रुपयों की मुफ्त स्मार्ट मोबाइल योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार की संस्था छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) द्वारा किया गया। बताया जाता है कि माइक्रोमैक्स कम्पनी के इस मोबाइल फोन के साथ ही इंस्टाल्ड सिम कार्ड भी था। लाभार्थियों को दिये जाने वाले फोन में 2 जीबी रैम, 16 जीबी स्टोरेज, 8 मेगा पिक्सल का बैक और 5 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा भी था। छत्तीसगढ़ में देश की सबसे कम कनेक्टिविटी है। सो 600 करोड़ रुपये मोबाइल टावरों की स्थापना पर खर्च करने की योजना बनी। इसके पहले भी छत्तीसगढ़ में वोटरों को रिझाने के लिए ‘ गिफ्ट’ के रूप साड़ी, जूते-चप्पल, शराब की बोतल बांटने की खबरे आती थी। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एक रुपए में एक किलो चावल देने की सरकारी लोकलुभावन योजना शुरू कर दी। तर्क दिया गया कि यह चावल उन आदिवासी इलाकों में भुखमरी रोकेगा जहां छत्तीसगढ़ से लगे ओडिशा के कालाहांडी जैसे हालात हैं।
रमन सिंह ने 2004 के विधान सभा चुनाव के बाद नई सरकार बनाई थी। 15 अक्टूबर 1952 को पैदा हुए रमन सिंह, 1990 और 1993 में मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे थे। वह 1999 में लोकसभा के भी सदस्य चुने गये थे। उन्होंने 1999 से 2003 तक केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री का पद संभाला था। वह पेशे से डाक्टर हैं। उन्होंने 1975 में आयुर्वेदिक मेडिसिन में बी.ए.एम.एस. की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने भारतीय जनसंघ के सदस्य के तौर पर राजनीति शुरू की थी।
छत्तीसगढ़ के नए राज्य के मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी की नेतृत्व वाली पार्टी- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने विधानसभा चुनाव केलिए 11 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा पिछले बरस अक्टूबर में ही कर दी थी। वह 9 नवम्बर 2000 से 6 दिसम्बर 2003 तक मुख्यमंत्री रहे थे। अजीत जोगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहे थे। बाद में वह मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ( अब दिवंगत ) अर्जुन सिंह के कहने पर कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में आये। वह विधायक और सांसद भी रह चुके हैं।
गौरतलब है कि अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने कांग्रेस से बिलासपुर के कोटा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया है। इस पर अजीत जोगी का कहना है कि रेणु जोगी स्वतंत्र है, जहां और जिसकी टिकट पर चाहें चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन वह खुद राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होकर क्षेत्रीय पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं जाएंगे।
( मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)