अभिषेक श्रीवास्तव
यह चेहरा याद है? और यह हँसी? याद हो तो सविनय भूल जाएं। ना याद हो तो समझें जान बची। उस वक्त इस शख्स की हँसी पर ढेरों पन्ने रंगे गए थे। इस हँसी में कुछ तो ऐसा था जो सबकी पकड़ से बाहर रहा। केवल बृजेश ठाकुर जानता था कि वह क्यों हँस रहा है। और वह अफ़सर जिसने इस हँसी को हमारी सभ्यता का चिरंतन संपादकीय बनाकर छोड़ा है। तारीख तेईस अगस्त, सन् 2018 और मजमून कुल मिलाकर साढ़े पांच वाक्यों का एक शासकीय आदेश।
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह से जुड़ी किसी प्रकार की जांच से संबंधित सूचना का प्रकाशन अब नहीं किया जा सकेगा। यह आदेश पटना उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता का है जिसे बिहार में समाज कल्याण विभाग के निदेशक न सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक को प्रेषित किया है।
महाधिवक्ता के पत्रांक संख्या 7773 के आदेश के अनुसार मीडिया को बालिका गृह कांड पर अब चुप रहना है। लोगों को नहीं बताना है कि उनकी बेटियों के साथ हुई नाइसाफियों में इंसाफ की जांच कहां और कैसे आगे बढ़ी। पत्र भेजने वाले ने लिखा है, ‘’सुलभ प्रसंग हेतु छायाप्रति संलग्न है’’। यह ‘’सुलभ प्रसंग’’ समाज कल्याण का है, महाधिवक्ता का या इस तस्वीर में हंस रहे शख्स का, यह नहीं बताया गया है।
इस संबंध में बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर का एक पत्र दिनांक 23 अगस्त 2018 को बिहार सरकार के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव (गृह) और प्रधान सचिव (समाज ल्याण) को भेजा गया था। इसमें उन्हें सूचित किया गया था कि बिहार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और माननीय जस्टिस डॉ. रवि रंजन की खण्डपीठ ने उसी दिन बालिका गृह कांड के मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया हाउसों द्वारा छापी जा रही खबरों का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से यह मांग की है कि वह मुजफ्फरपुर बालिका गृह की जांच से जुड़ी खबरों को न छापने का निर्देश मीडिया को दे।
उस आशय का पत्र नीचे देखा जा सकता है:
बस इतना लिखा गया है सभी मीडिया हाउसों को इस आदेश से अवगत कराया जा सकता है। वाद की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होनी है। इस दिन अगली तारीख पड़ेगी। तब हम नहीं जान पाएंगे कि वाद की अगली तारीख क्या है क्योंकि वह जांच से संबंधित सूचना है जिसके प्रकाशन की अब अनुमति नहीं है।
इसके ठीक उलट ज़रा अपने पड़ोसी पाकिस्तान पर निगाह डाल लें जहां अभी-अभी क्रिकेट खिलाड़ी रहे इमरान खान प्रधनमंत्री बनकर आए हैं। वहां सरकारी मीडिया संस्थानों को उनकी तहरीक-ए-इंसाफ़ सरकार ने पूर्ण संपादकीय आज़ादी दे दी है। वहां के सूचना मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन ने कहा है कि राजकीय मीडिया पर से हर किस्म की सियासी बंदिश को हटा लिया गया है और वह आज़ाद है।
इस सिलसिले में हुसैन ने एक ट्वीट भी किया:
As per vision of @ImranKhanPTI Ended political censorship on PTV, clear instructions issued for a complete editorial independence on PTV and Radio Pakistan, drastic changes ll be visible in Information Dept in coming 3 months Inshallah
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) August 21, 2018
जिस देश को हम तानाशाही और जोर-जबर के लिए पानी पी पीकर गाली देते हैं वहां लोकतंत्र अपना रंग दिखा रहा है। जिस देश के हम सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करते हैं वहां निरंकुशता का रंग अदालतों के परिसरों से निकलकर समाज के मुंह पर फैल रहा है। बिहार के बालिका गृह मामले में अब जांच से जुड़ी किसी भी ख़बर को सार्वजनिक किया जाना अपराध होगा। लिखने वाले पत्रकार पर तुरंत मुकदमा होगा।
बृजेश ठाकुर ऐसे ही नहीं हँस रहा था। उसकी हँसी के पीछे के भीतर पनपते हुए पिछले दिनों के पाकिस्तान का ख्वाब था।