पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की महत्वपूर्ण सिफ़ारिश करने वाले बी.पी.मंडल का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। कान्स्टीट्यूशन क्लब में आज इसी परिप्रेक्ष्य में सामाजिक न्याय दिवस मनाया जा रहा था जिसमें तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठनोंं के लोग आमंत्रित थे। बीजेपी के सांसद उदित राज का नाम भी वक्ताओं में था। लेकिन जैसे ही वे बोलने के लिए माइक पर पहुँचे, उनके ख़िलाफ़ जोरदार नारेबाज़ी होने लगी। आयोजकों ने बहुत कोशिश की कि श्रोता शांत रहें, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। मंच से यह भी कहा गया कि यह किसी एक दल का कार्यक्रम नहीं है और सभी को बोलने का मौक़ा मिलेगा, लेकिन उदित राज के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी बंद नहीं हुई।
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आख़िरकार उदित राज को बिना भाषण दिए ही कान्स्टीट्यूशन क्लब छोड़कर जाना पड़ा। इस बीच कुछ युवक उनके ख़िलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते भी नज़र आए। नारेबाज़ी करने वालों का आरोप है कि बीजेपी लगातार आरक्षण के सिद्धांत पर हमला कर रही है, लेकिन सांसद होते हुए भी उदित राज मुँह सिले हुए हैं।
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उदित राज 2014 के चुनाव में बीजेपी के सांसद चुने गए। उनका बीजेपी में जाना आश्चर्यजनक था। पूर्व आईआरएस अधिकारी उदित राज का पहले नाम रामराज था। उन्होंने डॉ.आंंबेडकर का असल अनुयायी होने का दावा करते हुए अपने हज़ारों समर्थकों के साथ हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। बाद में नौकरी छोड़कर उन्होंने ‘जस्टिस पार्टी’ बनाई और बीएसपी पर डा.आंबेडकर के सिद्धांतों को छोड़ने का आरोप लगाते हुए चुनावी मैदान में कूदे। इस बीच वे हिंदू धर्म की कुरीतियों पर जमकर प्रहार करते रहे और बौद्ध धर्म न अपनाने की वजह से मायावती को निशाना भी बनाते रहे। लेकिन कई सालों की जद्दोजहद के बाद जब उन्हें कोई सफलता नहीं मिली तो अचानक बीजेपी में चले गए। हिंदू राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध आरएसएस के दिशा निर्देश पर चलने वाली बीजेपी में जस्टिस पार्टी वाले उदित राज का जाना लोगों को पचा नहीं, पर वे बीजेपी में अच्छी तरह पचा लिए गए।