एक नाटकीय घटनाक्रम में बॉम्बे लॉयर्स असोसिएशन (बीएलए) ने जस्टिस लोया की मौत की जांच के केस में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पुनरीक्षण करने के लिए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में ही लगा दी है। इस साल 19 अप्रैल को जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस खानविलकर और जस्टिस चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने तहसीन पूनावाला, बंधुराज लोन और अन्य की इस संबंध में दायर याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें बीएच लोया की मौत की परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।
इस 114 पन्ने के फैसले में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई थी कि उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है और न्यायपालिका की छवि को खराब किया है। इसीलिए बीएलए ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने न्यायपालिका को बदनाम करने की मंशा से वह याचिका नहीं लगाई थी।
पुनरीक्षण याचिका में कहा गया है कि फैसले के पैरा 70 से 75 को हटा दिया जाए क्योंकि रिकॉर्ड के अनुसार उसमें त्रुटि है। इन पैराग्राफ में कोर्ट ने जनहित याचिका की संभावनाओं पर बात की है और याचिकाकर्ता और उसके वकीलों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी भी की है।
इसी तरह पैरा 43 को भी याचिका में चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि बॉम्बे हाइकोर्ट के जज जज लोया की मौत के संबंध में आशंकाओं को दूर करने के लिए प्रेस के पास गए थे, जबकि यह बात गलत है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं को उन तमाम व्यक्तियों से जवाब तलब करने का अवसर नहीं दिया गया जिनके बयान महाराष्ट्र के इंटेलिजेंस के आयुक्त ने दर्ज किए थे।
सबरंग से साभार