बनारस के पीड़ित किसानों से मिले राहुल गांधी, भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ़ नई सुगबुगाहट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लंकर संघर्ष कर रहे हैं। ताज़ा मामला मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना का है जिसमें बिना सहमति के एक हजार से ज्‍यादा किसानों की जमीन कब्‍ज़ा ली गई है और किसान दिल्‍ली से लेकर बनारस के मिनी पीएमओ और योगी आदित्‍यनाथ तक अपनी गुहार लगा चुके हैं। मोहनसराय के किसान अपने खून से नरेंद्र मोदी और योगी को ख़त लिख चुके हैं लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

बीते 29 अप्रैल को जब राहुल गांधी ने दिल्‍ली के रामलीला मैदान में जनाक्रोश रैली की, उस दिन बनारस के किसानों ने तंग आकर राहुल गांधी से अर्जी लगाते हुए एक लंबा पत्र लिखा। उन्‍होंने 30 अप्रैल को जंतर-मंतर पर राहुल गांधी को आने का न्‍योता दिया।

ताज़ा स्थिति यह है कि आखिरकार मंगलवार को राहुल गांधी ने बनारस के किसानों के साथ मुलाकात की और उनकी लड़ाई में भागीदार होने का आश्‍वासन भी दिया। इस आशय की खबरें आज के अख़बारों में विस्‍तार से प्रकाशित हुई हैं। भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ बनारस एक नई लड़ाई का गवाह बनने जा रहा है।

नीचे प्रकाशित है बनारस के किसानों द्वारा राहुल गांधी को लिखा गया पत्र:


सेवा में
परम आदरणीय श्री राहुल गाँधीजी,
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
नई दिल्ली. 

विषय: वाराणसी में किसान विरोधी मोहन सराय ट्रान्सपोर्ट नगर योजना के खिलाफ बीसों वर्ष से संघर्ष कर रहे 1194 किसानों की जमीन वैधानिक रूप से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के आधार पर वापस करने की जगह भाजपा सरकार द्वारा हिटलरशाही रवैया अक्तियार करने के खिलाफ अन्दोलनरत किसानों के बीच जन्तर मन्तर पर 30 अप्रैल को जाकर समर्थन कर नरेन्द्र मोदी किसान विरोधी चेहरा उजागर करने के सन्दर्भ में

महोदय,

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जनपद की राजातालाब तहसील अन्तर्गत ग्राम बैरवन, सरायमोहन, कन्नाडाड़ी एवं मिल्कीचक के 1194 किसान कथित तौर पर अधिग्रहित जमीन को पाने के लिए मोदी और योगी सरकार को खून से खत लिखकर थक चुके हैं। इंसाफ पाने के रास्ते लगभग बंद होते जा रहे हैं। ये हजारों किसान आपसे काफी उम्मीद लेकर मुलाकात के लिए आये हैं। इनके साथ धोखे की कहानी की शुरुआत उत्तर प्रदेश आवास अनुभाग-3, दिनांक 4 मई 1998 को सचिव अतुल गुप्ता की तरफ से सुझाव व आपत्ति, दिनांक 18/05/1998 को विशेष सचिव लखनऊ को दिया गया। सरकारी गजट उत्तर प्रदेश 18 दिसम्बर 2000 धारा-4 की कार्यवाही का आदेश हुआ। किसानों की सहमति बगैर धारा-3 की कार्यवाही योजना के अतिशीघ्र क्रियान्वयन के कारण 9 अप्रैल 2001 को धारा- 4 की कार्यवाही के 110 दिन के अन्दर ही अर्जेंन्टी दिखाकर धारा-6 की घोषणा कर दी गयी। इसके लिए पर्यावरण विभाग से भी अनुमति नहीं ली गयी।

सन् 2000 में भूमि मूल्यांकन बाजार दर 1,00,000/- रूपये से 3,00,000/ रुपये प्रति विस्वा जमीन थी जबकि विकास प्राधिकरण ने मुआवजा 5 हजार, 9 हजार एवं 12000 हजार प्रति विस्वा तय किया। वर्तमान समय में सर्किल रेट लगभग 4 लाख से 15 लाख रुपया प्रति विस्वा है लेकिन सरकार मात्र 1.25 लाख रुपये की बात कर किसानों के साथ छलावा कर रही है। ट्रान्सपोर्ट नगर योजना बसाने के लिए 17 अप्रैल 2003 को उक्त गाँव की कुल 214 एकड़ भूमि ली गयी जिसमें 1194 किसान प्रभावित हुए। किसानों की बिना सहमति एवं बिना मुआवजा के राजस्व अभिलेखों से काटकर वाराणसी विकास प्राधिकरण का नाम दर्ज कर दिया गया। योजना से प्रभावित किसानों की जमीन बहुफसली है जिसमें लगभग 90% किसान अतिलघु 5 से 10 विस्वा के रकबे वाले हैं जिसमें फूल, बागवानी, सब्जी इत्यादि व्यवसायिक खेती कर सम्मान से अपने परिवार की जीविका चलाते हैं। जीविका का एकमात्र साधन किसानी ही है। उक्त गाँवों की महिलाएं पूरी कर्मठता से व्यवसायिक किसानी करती हैं। अपनी उपज को बाजार तक पहुँचाने का कुशल प्रबन्धन के तहत कार्य करती हैं।

2003 से किसानों की जमीन पर वैधानिक अधिकार नहीं रहने के कारण किसान अपने ही जमीन से वैधानिक रूप से वंचित हो गये हैं जिससे सरकारी सुविधाएं जैसे खाद, बीज, बिजली बिल इत्यादि पर सब्सिडी के साथ आपदा राहत इत्यादि सरकारी एवं गैरसरकारी योजनाओं से बेदखल हो गये हैं। किसान अपनी जमीन वापसी के लिए लगातार अन्दोलन कर रहे हैं।

श्रीमानजी, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के सेक्शन 24, धारा 5(1) में स्पष्ट है कि कोई भी परियोजना पाँच वर्ष में लागू होकर चालू नहीं होती है तो योजना स्वत: निरस्त हो जायेगी। किसान विरोधी मोहनसराय ट्रान्सपोर्ट नगर योजना निरस्त करने के लिए प्रभावित किसान दर्जनों बार प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी संसदीय कार्यालय एवं दिल्ली कार्यालय के साथ शासन प्रशासन को पत्र के माध्यम से जमीन वापसी की गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक कोई पहल नहीं होने से किसान विचलित हैं। उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और शादी विवाह में बहुत परेशानी हो रही है जिससे परेशान किसान लगातार विगत 20 दिनों से वाराणसी में खून से खत लिखकर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के आधार पर अपनी जमीन वैधानिक रूप से वापसी कराने की माँग कर रहे हैं। प्रधानमन्त्री का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी वार्ता तक नहीं किये उल्टे प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र में ज्ञापन देने गये किसानों को पुलिस बल के सहारे प्रताड़ित कर उत्पीड़न किया गया। इन परेशान किसानों की अब आपसे ही उम्मीद है क्योंकि किसान हितों के लिए आपकी व्यापक सोच एवं संघर्ष से किसान आपको अपना मसीहा मानता है।

हम किसानों की आपसे गुजारिश है कि 29 अप्रैल 2018 को रामलीला मैदान से इस समस्या को उठाते हुये सवाल करने की कृपा करें। 30 अप्रैल को किसान खेत मजदूर कांग्रेस के नेतृत्व में जंतर-मंतर पर वाराणसी के किसान अपने सांसद नरेन्द्र मोदी को खून से खत लिखेंगे जिससे उन्हें न्याय मिल सके। महोदय, हक दिलाने के इस आन्दोलन में हम किसानों को 30 अप्रैल को जंतर-मंतर धरनास्थल पर आपकी गरिमामयी उपस्थिति की अपेक्षा है। आपकी उपस्थिति से न सिर्फ वाराणसी के किसानों में इंसाफ की आस जगेगी बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के परेशान किसानों को भी रास्ता मिलेगा।

नोट- 30 अप्रैल 2018 को जन्तर मन्तर पर खून से खत लिखने एवं लोकसभा के घेराव में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष आदरणीय राजबब्बर जी एवं कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता श्री अजय लल्लू जी की सहभागिता की स्वीकृति मिल चुकी है।

सादर,
विनय शंकर राय
प्रदेश संयोजक, किसान खेत मजदूर कांग्रेस, उत्तर प्रदेश एवं संयोजक, किसान संघर्ष समिति, मोहनसराय


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