निर्भया कांड पर वोट बटोरने वालों ने एक भी फैसले पर अब तक अमल नहीं किया ।
बलात्कार आज के दिन का सबसे ज्यादा प्रयुक्त हुआ शब्द है । हालात कुछ ऐसे हैं कि बीते हफ्तों में भी यह सबसे ज्यादा बार स्तेमाल में आया है ।
ऐसे में एक एक करके यह देखना समीचीन होगा कि हमारी सरकारों ने कानून बनाने या उसमें फांसी वाले अध्यादेश को जोड़ देने के सिवा क्या क्या कहा और क्या क्या किया ।
2012-2013 में जब निर्भया प्रकरण पर कांग्रेस बैकफुट पर थी और bjp उसकी हालत से सबसे ज्यादा लाभ की स्थिति में थी तो सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से तय हुआ कि महिलाओं की सुरक्षा को सार्वजनिक वाहनों में पूरी निगरानी में रखने के लिए सारे सार्वजनिक वाहनों को जीपीएस से जोड़ना अनिवार्य कर दिया जाए ।
2 जनवरी 2014 को केंद्रीय सरकार की CCEA ने एक प्रेस नोट जारी करके देश को बताया कि देश में पब्लिक रोड ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों में national vehical security tracking system लगाया जाएगा जो वाहनों में लगे gps से उनकी लोकेशन को हर मिनट ट्रैक करेगा । सभी वाहनों में एक पैनिक बटन भी लगाया जाएगा । 32 बड़े शहरों में वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था भी की जाएगी । इस सब पर करीब 1405 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान था।
मई में मोदी जी की सरकार आने के बाद कुछ हफ्तों तो गर्मी रही फिर हीला हवाली शुरू हो गयी । तमाम सामाजिक संगठनों और मीडिया में बनने वाले दबाव के चलते करीब ढाई बरस बाद मोदी सरकार ने 28 नवंबर 2016 को इसका गजट नोटिफाई किया । इसमें कहा गया कि CMVA 1988 की धारा 212 की उपधारा (1) के तहत 1st अप्रैल 2018 से e riksha और थ्री व्हीलर को छोड़कर सभी व्यावसायिक वाहनों में gps और panik बटन लगाना अनिवार्य होगा । इनका कंट्रोल सिस्टम केंद्र सरकार और राज्यों को लगाना था ।
इस बीच सिर्फ एक राज्य के ट्रांसपोर्ट विभाग को छोड़कर देश के किसी राज्य ने कुछ नहीं किया । केंद्र भी गैजेट निकाल कर सो गया । जिस एक राज्य में यह लागू हुआ वह है केजरीवाल का दिल्ली । जहां यह थ्री व्हीलर पर भी लागू किया गया जिन्हें bjp वालों ने भड़काया और केजरीवाल के खिलाफ कर दिया । पर दिल्ली एक अकेला राज्य है जिसने निर्भया मामले से उपजी जिम्मेदारी को पूरा किया । 22 राज्यों में सरकार वाली bjp के एक राज्य में भी अभी तक कुछ नहीं हुआ और न उनके केंद्र में ।
अब और आगे पढ़िए । इस पहली अप्रैल को मोदी सरकार ने अपने ही गैजेट की डेडलाइन संशोधित करते हुए नया गैजेट निकाल दिया । जिसमें लिखा है कि यह योजना अब 2018 की जगह 2019 में अप्रैल में लागू होगी । यानी बाल अगली केंद्र सरकार के पाले में ।
यह इन सरकारों की रेप जैसे गंभीर मामलों पर कार्यकुशलता का नमूना है !
वरिष्ठ पत्रकार शीतल सिंह की फ़ेसबुक दीवार से।