1 मार्च 2017 को शाम चार बजे के आसपास वेबसाइट फ़र्स्टपोस्ट के राजनीतिक संपादक संजय सिंह ने उमर ख़ालिद का इंटरव्यू लिया। उन्होंने इंटरव्यू में उन्होंने ‘सेव डीयू’ कैंपने और छात्रों के आज़ादी वाले नारे को लेकर जिस तरह से विरोध जताते हुए अपनी बात रखी, वह हैरान करने वाली थी। उन्होंने साफ़ कहा कि आज़ादी के नारे का मतलब देश से अलग होना होता है, इसलिए इसका पर्याय खोजा जाना चाहिए। सजय सिंह राजनीतिक संपादक हैं, लेकिन शायद भारतीय राजनीति के अहम ऐतिहासिक पड़ाव, यानी इमरजेंसी विरोधी आंदोलन को भूल चुके हैं। तब जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया जिसे बार-बार आज़ादी की दूसरी लड़ाई कहा गया। तो क्या जे.पी देश तोड़ना चाहते थे ? यहाँ तक कि अन्ना हज़ारे भी अपने आंदोलन को दूसरी आज़ादी की लड़ाई बताते थे।