तेरह मिनट के भाषण से समझिए मीडिया के युद्धप्रेम के पीछे की असल राजनीति

ठीक हफ्ते भर पहले दिल्‍ली में मीडियाविजिल के आयोजन में वरिष्‍ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने एक घटना का जि़क्र किया था जब वे किसी कॉलेज में व्‍याख्‍यान देने गए थे। उनसे एक छात्र ने संदर्भ से हटकर सवाल पूछा कि तीसरा विश्‍व युद्ध कब होगा। उन्‍होंने उस छात्र से कहा- हम तीसरे विश्‍व युद्ध के बीच में हैं लेकिन यह युद्ध कम्‍युनिकेशन के औज़ारों से लड़ा जा रहा है।

संयोग नहीं है कि देश के ‘सबसे तेज़’ टीवी चैनल आज तक ने 13 मई से विश्‍व युद्ध का एलान कर दिया। जिस तरीके से बिना संदर्भ के आज तक ने रैन्‍समवेयर नामक वायरस के कंप्‍यूटर नेटवर्कों पर हमले की घटना पर ट्वीट किया- तीसरा विश्‍व युद्ध शुरू- उससे कोई भी दर्शक हैरान-परेशान हो जाएगा। वरिष्‍ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने आज तक के स्‍क्रीन शॉट को शेयर करते हुए लिखा:

सवाल उठता है कि मीडिया की युद्ध में इतनी दिलचस्‍पी क्‍यों है? इसका जवाब हमें प्रशांत टंडन के 6 मई वाले व्‍याख्‍यान में मिलता है जिसमें वे बताते हैं कि कैसे आज हथियारों के डीलर ही मीडिया के मालिक बन बैठे हैं। पूरा व्‍याख्‍यान नेशनल दस्‍तक के वीडियो में सुनिए और समझिए कि मीडिया को विश्‍व युद्ध इतना प्‍यारा क्‍यों है।

First Published on:
Exit mobile version