योगी के गले में बेरोज़ागारी की फाँस, लखनऊ में धरना-प्रदर्शन, आरक्षण हज़म करने का भी आरोप!

प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा युवा हैं जिन्होंने टेट की परीक्षा को पास की है लेकिन सभी बेरोजगार हैं और जीवनयापन में कठिनाइयों का सामना कर रहें हैं।  खुद सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश की भाजपा सरकार ने हलफनामा देकर बताया था की 51 हज़ार पदों पर भर्ती शुरू करेंगे। लेकिन अपने उस वादे को भूल गयी है।

यूपी में योगी सरकार चुनावी दाँव के तहत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दों को उभारने की कोशिश कर रही है, लेकिन बेरोज़गारी का मुद्दा उसकी गले की फाँस बना हुआ है। इसके अलावा जहाँ भर्तियाँ हुईं भी, वहाँ आरक्षण के नियम का पालन नहीं किया गया।

खाससतौर पर शिक्षक बनने की चाह धरने वाले अभ्यर्थी अलग-अलग मांगो को लेकर लखनऊ में लगातार प्रदर्शन कर रहें हैं। सभी की माँगें एक ही जैसी हैं कि शिक्षक भर्ती शुरू की जाए। राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में लाखों पद खली पड़ें हैं, जिसकी वजह से शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है।

इस आंदोलन में शामिल विकलांगों की भी बड़ी तादाद शामिल है। उनकी माँग है कि नियमानुसार उन्हें 4% आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन पिछली भर्ती में उन्हें इस से वंचित रखा गया है। वहीं एससी-ओबीसी आरक्षित वर्ग के हकों के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं का कहना है कि नियमानुसार वह 21 फीसदी व 27 फीसदी आरक्षण के हकदार हैं लेकिन ओबीसी वर्ग को 69 हजार भर्ती में 4 प्रतिशत से भी कम आरक्षण का लाभ मिला है। एससी वर्ग में भी 21 प्रतिशत का लाभ नहीं मिला। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में भी यही माना और सरकार को रिपोर्ट भेजी है। लेकिन सरकार उसे दबा कर बैठ गई है जो सरकार की नीयत को संदिग्ध बनाता है।

प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा युवा हैं जिन्होंने टेट की परीक्षा को पास की है लेकिन सभी बेरोजगार हैं और जीवनयापन में कठिनाइयों का सामना कर रहें हैं।  खुद सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश की भाजपा सरकार ने हलफनामा देकर बताया था की 51 हज़ार पदों पर भर्ती शुरू करेंगे। लेकिन अपने उस वादे को भूल गयी है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोर्ट में दिए हलफ़नामे के अनुसार 51 हज़ार पद, इसी प्रकार 68,500 में से बचे हुए  22 हज़ार पद और हर साल 10 से 15 हज़ार पदों पर सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों को जोड़ दिया जाये तो 1 लाख पदों पर तुरंत शिक्षक भर्ती शुरू होनी चाहिए।

यूथ फॉर स्वराज के एक प्रतिनिधिमंडल, यूथ कैबिनेट सदस्य पुष्कर पाल के नेतृत्व में शिक्षक भर्ती शुरू करवाने को लेकर लखनऊ में चल रहे धरने में आंदोलनरत युवाओं की माँगों का समर्थन करने पहुँचा। पुष्कर पाल ने कहा, “जब राज्य में 68,500 पदों पर भर्ती निकली थी तो उसमें से 22,000 पद खली रह गए थे। सरकार ने उस समय यह कहा था कि इन पदों को अगली भर्ती परीक्षा में जोड़ दिया जायेगा, जबकि ऐसा नहीं हुआ और 69 हज़ार पदों पर अलग से भर्ती निकली पर उमसे में ये पद नहीं जोड़े गए। ऐसे में तुरंत इन पदों को जोड़ा जाए और टीईटी, सुपरटेट तक पास कर चुके होनहार युवाओं को इन पदों पर मौका दिया जाए।”

यूथ फॉर स्वराज एम्प्लॉयमेंट फ्रंट के संयोजक अंकित त्यागी ने कहा “यूथ फॉर स्वराज इन माँगो का समर्थन करता है, और सरकार से अनुरोध करता है कि युवाओं की इन सभी मांगो को पूरा करते हुए उन्हें राहत दे, कोरोना की महामारी में ये किसी भी सरकार को शोभा नहीं देगा कि युवा सड़कों पर मजबूरन आन्दोलन कर रहें हों।”

 

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