बिहार में महाठबंधन: आरजेडी 144, कांग्रेस 70 और लेफ़्ट 29 सीटों पर लड़ेगा चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में सीटों का विवाद सुलझ गया है। राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और भाकपा माले के बीच सीटों को लेकर सहमति बन गई है। खबरों के मुताबिक बिहार विधानसभा की 243 सीटों में कांग्रेस को 70 और वामपंथी दलों को 29 सीटें दी गई हैं। वामपंथी दलों को दी गई 29 सीटों में भाकपा माले 19 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीपीएम के हिस्से चार और सीपीआई के हिस्से छह सीटें आयी हैं। आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं खबर है कि मुकुश साहनी की पार्टी को आरजेडी अपने कोटे से सीटें देगी।

सीट बंटवारे की आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है। आज कल में आधिकारिक ऐलान हो सकता है। बता दें कि महागठबंधन को लेकर लगातार संशय का माहौल बना हुए था। सीटों के बंटवारे को लेकर कई दलों की नाराजगी सामने आई थी। जीतनराम माझी के बाद उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन से बाहर हो गए। इसके बाद भाकपा-माले ने एनडीए के खिलाफ विपक्ष की कारगर एकता न बन पाने का दुख जताते हुए 30 विधानसभा क्षेत्रों की पहली सूची जारी कर दी थी।

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा था कि विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर भाकपा-माले व राष्ट्रीय जनता दल के बीच राज्य स्तर पर कई राउंड की बातचीत चली। हमने अपनी सीटों की संख्या घटाकर 30 कर ली थी। संपूर्ण तालमेल की स्थिति में इन प्रमुख 30 सीटों में से भी 10 सीटें और भी कम करते हुए हमने 20 प्रमुख सीटों पर हमारी दावेदारी स्वीकार कर लेने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन राजद की ओर से हमारे लिए जो सीटें प्रस्तावित की गईं हैं उनमें हमारे सघन कामकाज, आंदोलन व पहचान के पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद, गया, बक्सर, नालंदा आदि जिलों की एक भी सीट शामिल नहीं है। ऐसे में जब पहले चरण के नामांकन का दौर शुरू ही होनेवाला है, हम अपनी सीटों की यह पहली सूची जारी कर रहे हैं।

भाकपा माले की पहली सूची जारी होने के बाद महागठबंधन पर दबाव बढ़ गया था। अब खबर है कि महागठबंधन में भाकपा माले की ओर से प्रस्तावित की गई 20 सीटों के करीब ही 19 सीटें दी जा रही हैं।

वहीं एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर जारी घमासन अभी थमा नहीं है। अभी एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी की सीटों का मामला अभी फंसा हुआ है। चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है और सम्मानजनक समझौता नहीं होने पर अगल चुनाव लड़ने की धमकी दे रहे हैं।


 

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