राजनेता-प्रशासन गठजोड़ के संरक्षण में चल रहा बिहार में अवैध शराब का कारोबार- माले

भाकपा माले ने कहा है कि बिहार में राजनेता और प्रशासन गठजोड़ के संरक्षण में शराब का अवैध कारोबार चल रहा है। गोपालगंज के विजयीपुर में जहरीली शराब पीने से लगातार हो रही मौतों की जांच रिपोर्ट जारी करते हुए भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि ‘कहने को तो बिहार में शराबबंदी है, लेकिन सच यह है कि यह केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गयी है। उन्होंने कहा कि प्रशासन और शराब माफिया ही गरीबों को शराब बनाने के लिए बाध्य करते रहते हैं और जब कोई घटना घटती है तो ये लोग फिर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।

माले की जांच टीम में महबूब आलाम के साथ फुलवारी के विधायक गोपाल रविदास भी शामिल थे। जांच रिपोर्ट जारी करने संवाददाता सम्मेलन में माले विधायक दल के सचेतक अरूण सिंह और औराई से महागठबंधन के प्रत्याशी रहे व इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम शामिल थे।

महबूब आलम ने कहा कि यह कोई गोपालगंज की घटना नहीं है, बल्कि मुजफ्फरपुर में भी विगत दिनों ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां 4 लोगों की दर्दनाक मौतें हो गई हैं। उन्होंने कहा कि आज शराबबंदी के नाम पर लाखों गरीब बिहार की जेलों में बंद हैं। सरकार बताए कि नशा-मुक्ति के लिए उसने जेल के अंदर और बाहर कौन से उपाय किए हैं? आज बिहार के किसी भी जिले मे नशा-मुक्ति केंद्र काम नहीं कर रहा है। उलटे शराब माफियाओं की चांदी है। शराब माफियाओं पर कार्रवाई की बजाए सरकार गरीबों को निशाना बनाती रहती है। बड़े ताज्जुब की बात है कि यह सारा घटनाक्रम बिहार के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार के इलाके में हो रहा है और सरकार सच को झुठला रही है।

गोपालगंज के विजयीपुर में लगातार कई मौतों से इलाके में दहशत का माहौल है, लेकिन जिला प्रशासन हकीकत को छुपाने में लगा हुआ है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि वहां के डीएम ने बयान दिया है कि मजदूरों की मौत जहरीली शराब से नहीं बल्कि उनकी स्वभाविक मौत हुई है। यह वक्तव्य सरासर गलत है। जबकि ग्रामीणों से बातचीत के बाद पाया गया कि ये मौतें जहरीली शराब के कारण हुई है, लेकिन प्रशासन के दबाव के कारण मृतकों के परिजन यह सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।

माले की फैक्ट फैन्डिंग रिपोर्ट में पाया गया है कि मझवलिया में नरसिंह ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मजूदरों व कुछ और लोगों ने पास के ही मठिया गांव के पास जाकर शराब पी थी। जिसके बाद मंगू उरांव (45 वर्ष), बुधवा पन्ना और कर्मा पन्ना की मौत इलाज के दौरान हो गई। इन मृतक मजदूरों के परिवारों ने भी स्वीकार किया है कि ये मौतें जहरीली शराब के कारण हुई है। ये सारे मजदूर झारखंड के जिला गुमला के हैं। जिला प्रशासन ने इन सभी लोगों के शवों का पोस्टमार्टम कराकर घर भेज दिया है और जहरीली शराब की बात से इंकार किया है।

वहीं, रामअवध यादव और काशी यादव, दोनों बाप-बेटे की भी इसी दौरान मौत हुई। उनका बिना पोस्टमार्टम कराए ही अंतिम संस्कार कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन ने अपनी जांच में इन मौतों को स्वभाविक मौत करार देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है, जो पूरी तरह संदेहास्पद है। बताते चलें कि इनके परिवार में एक व्यक्ति चैकीदार है, इनको पुलिस प्रशासन ने धमकी दे रखी है कि अगर वे लोग शराब की बात उठाइएंगे तो चैकीदार वाली नौकरी चली जायेगी। इसलिए लोग आधिकारिक तौर पर वक्तव्य नहीं दे रहे। दूसरी तरफ अभी तक तिलकधारी यादव, रामधनी गोड़ गम्भीर रूप से बीमार हैं और इनका इलाज गोपालगंज के सदर अस्पताल में चल रहा है और प्रशासान इसकी लीपा-पोती करने में लगा हुआ है।

माले ने मांग की है कि सरकार द्वारा सभी मृतक मजदूरों को 10 लाख रु. और बीमार लोगों के समुचित इलाज के लिए 5-5 लाख रु. मुआवजा दिया जाए। सभी बीमार लोगों का समुचित इलाज होना चाहिए और उन्हें तत्काल पीएमसीएच पटना रेफर किया जाना चाहिए।

मुजफ्फरपुर (कटरा) की घटना

औराई विधानसभा से महागठबंधन समर्थित भाकपा-माले के पूर्व प्रत्याशी आफताब आलम कटरा थाना दरगाह टोला पहुंचें, जहां विगत 48 घंटों में 4 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई है। जांच रिपोर्ट जारी करते हुए उन्होंने कहा कि ये घटना थाने से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर घटी है। मरने वालों में अजय मांझी 25 वर्ष, राम चन्द्र मांझी 60 वर्ष, मंजू देवी 50वर्ष और विनोद माझी 30 वर्ष हैं। मृतक अजय मांझी के 8 बच्चे हैं।

माले की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कटरा प्रखंड में दारू का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। अगर प्रशासन गंभीर रहता तो घटना नहीं होती। मामले को लेकर भाकपा माले लागातार आवाज उठाती रही है। आफताब आलम ने कहा कि 2 साल पहले भी अशोक राम की मौत शराब की वजह से हुई थी। जब तक कटरा थाना प्रभारी व एसएसपी को हटाया नहीं जाएगा तब तक ये घटनायें घटती रहेगी। महबूब आलम ने कहा है कि राज्य सरकार के भूमि एवं राजस्व विभाग मंत्री राम सूरत राय इस इलाके के विधायक हैं, लेकिन अभी तक वे घटनास्थल पर भी नहीं पहुंचे हैं।


विशद कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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