बिहार: मनोज मंज़िल गिरफ़्तार, नामांकन करते ही भेजे गये जेल

आख़िर वही हुआ जिसकी आशंका थी। बिहार में आरा के अंगियाव विधानसभा क्षेत्र से भाकपा (माले) प्रत्याशी मनोज मंज़िल को आज शाम नामांकन के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया। 2015 में भी ठीक ऐसा ही किया गया था जब मनोज ने 32 हजार वोट हासिल किये थे। इस बार भी उनकी गिरफ्तारी के बाद उत्तेजित समर्थकों ने नारेबाज़ी के बीच उन्हें विधानसभा पहुँचाने का संकल्प लिया।

मनोज मंज़िल कौन?

मनोज मंज़िल के बारे में मीडिया विजिल में कल विस्तार से एक स्टोरी छपी थी जिसमें बताया गया था कि कैसे सड़क पर स्कूल जैसे अभिनव प्रयोग करने वाले इस दलित नौजवान ने शासन और प्रशासन से अनवरत संघर्ष करते हुए नागार्जुन की कविता हरिजन गाथा को चरितार्थ किया हुआ है। वह इलाक़े में जनांदोलनों का सबसे प्रमाणिक चेहरा है। इस स्टोरी को पढ़ने के लिए आप नीचे की लिंक पर क्लिक करें।

मनोज मंज़िल: भोजपुर में ‘हरिजन गाथा’ को चरितार्थ करता एक विलक्षण युुवा!

गिरफ्तारी से पहले भाकपा माले के पोलिट ब्यूरो सदस्य कॉमरेड स्वदेश भट्टाचार्य ने मनोज मंज़िल को माला पहनाकर नामांकन के लिए रवाना किया। उनके साथ युवाओं का हुजूम नारेबाज़ी करते हुए चल रहा था।

मनोज के ऊपर तीस से ज़्यादा मुकदमे हैं। भाकपा माले का कहना है कि सारे मुकदमे राजनीतिक प्रकृति के हैं और जनांदोलनों का नेतृत्व करने का परिणाम हैं। पार्टी के नेता रवि राय ने फेसबुक पर लिखा-

“आखिरकार आज देर शाम नामांकन के तुरन्त बाद चुनाव आयोग के ऑफिस के अंदर से ही Manoj Manzil को गिरफ्तार कर ही लिया गया, ठीक उसी तरह जैसे 2015 विधानसभा चुनाव में किया गया था. बिहार के चुनावी समर में मनोज मंज़िल एक ऐसे अनूठे नेता हैं जो 5 साल जनता के बीच रहते हैं लेकिन चुनाव के वक्त जेल में. बाकी ज्यादातर नेता 5 साल नहीं, केवल चुनाव में ही जनता को नजर आते हैं. मनोज को रोकने का केवल यही तरीका समझ आता है सरकार और प्रशासन को. जनांदोलनों के 30, FIRऔर मुकदमों का मेडल सीने पे लगाए मुस्कराते हुए मनोज जेल गए और इधर जनता ने ये एलान कर दिया कि सरकार मनोज को जेल भेजे तो भेजे- हम तो मनोज को विधानसभा में भेज के ही रहेंगे.”

बहरहाल मनोज को पता था कि उनकी गिरफ्तारी निश्चित है। इसलिए उन्होंने पहले ही एक अपील रिकार्ड कर ली थी। आप इस वीडियो में देख सकते हैं–

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