उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस चालक और टेक्नीशियन की हड़ताल का आज छठा दिन है। हड़ताल को वजह से एंबुलेंस सेवाएं बाधित हैं। सूबे के सभी जिलों में तकरीबन 5 हजार से ज्यादा एंबुलेंस खड़ी हैं। हड़ताल की वजह से तमाम मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए सरकार कर्मचारियों से बात कर समाधान निकालने के बजाए एंबुलेंस के दूसरे संचालन के विकल्प को तलाश कर रही है।
नए सिरे से हो रही भर्ती
दरअसल, यूपी में एंबुलेंस सेवाएं निजी हाथों में हैं। सूबे में 108, 102 और लाइफ स्पोर्ट सिस्टम के रूप में तीन तरह की सेवाएं हैं। जिसका टेंडर सरकार निजी कंपनियों को देती है। एएलएस एंबुलेंस सेवा देने वाली पुरानी कंपनी का टेंडर समाप्त होने के बाद सरकार ने नई कंपनी को इसका टेंडर दिया है। सारा विवाद यहीं से शुरू हुआ है। हड़ताल पर गए कर्मचारियों का आरोप है कि नई कंपनी उनको निकालकर नए सिरे से भर्ती कर रही है। जोकि उनके साथ ज्यादती है।
हड़ताल कर रहे एक कर्मचारी आदित्य पाठक कहते हैं कि नए कर्मचारियों के साथ ही पुराने कर्मचारियों से भी बीस-बीस हज़ार रुपये जमा करने को कहा जा रहा है। इसी के विरोध में कर्मचारियों ने 26 जुलाई से ही एंबुलेंस खड़ी करके हड़ताल शुरू कर दी।
नौकरी से हटाया जा रहा है
टेंडर बदलते ही नई कंपनी ने छटनी शुरू कर दी। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन सभी जिलों के पदाधिकारियों को हटा दिया गया है। जबकि हड़ताल कर रहे 570 कर्मचारियों को दो दिन पहले ही बर्ख़ास्त कर दिया गया है और ये प्रक्रिया अभी भी जारी है। बड़ी बात ये है कि कंपनी ने ये कदम सरकार के निर्देश के बाद उठाया है।
हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि हम जनता की परेशानियों को देखकर कई जगह एंबुलेंस चला रहे हैं, ताकि किसी मरीज को नुकसान न हो। सारे ज़िलों में वहां की संख्या के हिसाब से कुछ स्टाफ़ मौजूद है ताकि इमर्जेंसी सेवाएं बाधित न होने पाएं। लेकिन सरकार और एंबुलेंस संचालन करने वाली कंपनी हम लोगों को लगातार धमका रही हैं और हड़ताल खत्म करने का दबाव बना रही हैं।
सुनने को तैयार नहीं योगी
वहीं हड़ताल पर गए कर्मचारियों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रवैया सख्त नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस सेवाओं को किसी भी दशा में बाधित नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो इस स्थिति में संबंधित एंबुलेंस सेवा प्रदाता के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रियंका गांधी का ट्वीट
इस बीच मुद्दा राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ रहा है। कांग्रेस की यूपी प्रभारी, महासचिव प्रियंका गांधी ने हाल ही ट्वीट में किया कि उप्र में कोरोना काल में सरकार एंबुलेंस कर्मियों पर फूल बरसाने की बात करती थी और उन्होंने जैसे ही अपने अधिकारों की आवाज उठाई, सरकार उन पर लट्ठ बरसाने की बात कर रही है।
उप्र में कोरोना काल में सरकार एंबुलेंस कर्मियों पर फूल बरसाने की बात करती थी और उन्होंने जैसे ही अपने अधिकारों की आवाज उठाई, सरकार उन पर लट्ठ बरसाने की बात कर रही है।
सरकार ने एस्मा लगाकर 500 से ऊपर कर्मी बर्खास्त कर दिए और जनता परेशान है।
ऐसी सरकार से प्रदेश को भगवान बचाए। pic.twitter.com/1CvF05GseH
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 29, 2021
कर्मचारियों का दुख
कर्मचारियों की मांग की इसमें ठेके की प्रथा को खत्म कर दिया जाए। ताकि समय-समय निजी कंपनियों के द्वारा उनका शोषण बंद हो सके। कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना जैसे कठिन समय में जिस तरह उन्होंने जान जोखिम में डालकर काम किया उसके बाद इस तरह का बर्ताव बहुत निराश करने वाला है।
कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें सरकारी कर्मचारी बनाया जाए। क्योंकि सरकार की ओर से उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती है। यहां तक की सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम वेतनमान भी नहीं मिल रहा है। सरकार ने कोरोना वॉरियर्स के लिए 50 लाख रुपये की घोषणा की है लेकिन हम लोग उसमें शामिल नहीं हैं। आज हमें कुछ हो जाता है तो हमारे परिवार के पास कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
वहीं बीबीसी के मुताबिक लखनऊ में भी ज़िला प्रशासन ने हड़ताल कर रहे एम्बुलेंस ड्राइवरों से गाडियां लेकर लालबाग गर्ल्स कॉलेज में जमा करा ली हैं जहां बड़ी संख्या में एंबुलेंस खड़ी हैं। कुछ जगहों पर रोडवेज कर्मचारियों की मदद से एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है लेकिन यह ज़्यादा दिनों तक संभव नहीं है।