SKM की आज होने वाली अहम बैठक रद्द, संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटी सरकार के साथ बैठक के लिए रवाना!

संयुक्त किसान मोर्चा सरकार के रवैया से नाखुश है। उनका कहना है कि सरकार बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है। मंगलवार को आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए सिंघू बॉर्डर पर किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी लेकिन उससे पहले ही अचानक पांच सदस्यीय कमेटी मोर्चा कार्यालय से निकल कर कहीं और रवाना हो गई है। बताया जा रहा है कि कमेटी सरकार के नुमाइंदों के साथ बैठक करेगी। बैठक में एमएसपी समेत कई मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक में गुरनाम चढूनी, शिवकुमार कक्का, अशोक धवले समेत अन्य नेता मौजूद रहेंगे, वहीं सरकार की ओर से भी कई प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

बता दें कि किसान संगठनों की बैठक से पहले किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने किसानों की मांगों की स्थिति स्पष्ट नहीं की है और न ही पांच सदस्यीय समिति को बातचीत के लिए कोई निमंत्रण भेजा है। केंद्र द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद अब किसानों की मांग है कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाया जाए।

नाराज़ किसान दिल्ली जाने का फैसला ले सकते हैं..

दरअसल, चार दिसंबर को एसकेएम ने बातचीत के लिए पांच सदस्यों की कमेटी बनाई थी, लेकिन पिछले दो दिनों में सरकार से बातचीत का न्यौता नहीं मिला था। वहीं, सड़क खाली करने के मुद्दे को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई है। अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि क्या किसान अब घर लौटेंगे?  बता दें कि सरकार से बात करने वाली कमेटी के सदस्य युद्धवीर सिंह, गुरनाम सिंह चादुनी, शिव कुमार कक्का और अशोक धवले ने सोमवार को सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने दो दिन से सरकार के आमंत्रण का इंतजार किया है, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब उन्होंने आगे की रणनीति के लिए पहले से गठित मोर्चा की 9 सदस्यीय समिति के साथ भी बैठक की।

उम्मीद थी कि कमेटी बनने के बाद सरकार से बातचीत आगे बढ़ेगी..

लंबे समय से सिंघू बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर की सड़कों पर किसान डटे हैं, लेकिन आगे की राह दिखाई नहीं दे रही। कल किसान नेताओं ने मीडिया के सामने आकर सरकार के समाधान को लेकर गंभीर नहीं होने पर बात की। शिव कुमार कक्का ने कहा कि सरकार के रवैये को देखते हुए आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, उम्मीद थी कि कमेटी बनने के बाद अन्य मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

पिछले दो दिनों में सरकार ने उदासीनता दिखाई है..

वहीं, युद्धवीर सिंह ने कहा कि बार-बार यह प्रचार प्रसार करने की कोशिश की जा रही है कि किसानों की मांग पूरी हो गई है, लेकिन किसान स्पष्ट करना चाहते हैं कि ऐसी कोई मांग नहीं है जो मांग पत्र के बाहर हो। केवल शेष विषयों को सरकार के समक्ष रखा गया है। पिछले दो दिनों में सरकार ने उदासीनता दिखाई है। यह निराशाजनक है। आपको बता दे कि ऐसे तो किसानों की 6 मांगें हैं। लेकिन किसान एमएसपी गारंटी कानून, किसानों से मुकदमों की वापसी और मृतक किसानों को मुआवजे पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं।

यह है अटकलें..

सरकार ने एमएसपी के लिए कमेटी बनने की मांग की, लेकिन किसान चाहते है कानून बने कमेटी नही। वहीं, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे की मांग को लेकर केंद्र ने कहा उसके पास मृत किसानों के आंकड़े नहीं हैं। किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग का ठीकरा केंद्र राज्य सरकारों पर फोड़ रही है।

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