भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी की एक दिवसीय वर्चुअल बैठक आज जूम ऐप पर संपन्न हुई. बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह व अमर; विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, सत्यदेव राम, संदीप सौरभ, गोपाल रविदास, अरूण सिंह, अजीत कुशवाहा, महानंद सिंह, रामबलि सिंह यादव सहित ऐपवा नेता मीना तिवारी, शशि यादव और सभी जिला के सचिव व संयोजक उपस्थित थे. बैठक की अध्यक्षता काॅ. अमर ने की.
बैठक में आजादी के बाद के अब तक की सबसे बड़ी महामारी, जिसमें सरकारों को युद्ध स्तर पर उतरकर लोगों की जिंदगी बचाने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए थी, प्रधानमंत्री के अमानवीय रुख व अन्य दूसरी चीजों को लगातार प्राथमिकता देने पर दुख व गहरी चिंता व्यक्त की गई.
ऐसे दौर में भी हमारे प्रधानमंत्री 20000 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा और मन की बात की गाथा सुनाने में ही व्यस्त हैं. स्थिति यह है कि लोग एक सम्मान की जिंदगी मर भी नहीं सकते हैं. जिस भाजपा ने 2017 के यूपी चुनाव में शवदाहगृह बनाने का वादा किया था, वहां आज लोगों की लाशें ऐसे ही गंगा में फेंक दी जा रही है. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी बहुत धीमी गति से चल रही है.
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था, जो आमतौर पर पूरे देश में सबसे कमजोर मानी जाती है, इस इमरजेंसी दौर में तो लगभग दम तोड़ चुकी है. लिहाजन, आम से खास लोग लगातार मौत की चपेट में आ रहे हैं. समय पर ऑक्सीजन व अन्य सुविधायें नहीं मिलने के कारण मरने के अलावा कोई और विकल्प बचा ही नहीं है. परिस्थितियों में सुधार लाने की बजाए नीतीश सरकार कोरोना संक्रमण का आंकड़ा कम करके यह दिखलाना चाहती है कि कोविड नियंत्रण में आ रहा है. आज जब एक-एक एंबुलेंस काफी महत्व रखता है, वहां भाजपा के सांसद एंबुलेंस को छुपा कर रखे हुए हैं और उससे बालू व शराब ढुलवा रहे हैं. इससे ज्यादा अमानवीय और क्या हो सकता है?
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदइंतजामी लगातार लोगों को मौत के मुंह में धकेल रही है. सबसे खतरनाक यह है कि कोविड का संक्रमण तेज गति से ग्रामीण इलाकों में फैल रहा है. लेकिन वहां न तो कोई जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है न वैक्सीनेशन. यह साबित हो चुका है कि मंगल पांडेय जैसे अयोग्य आदमी के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में इंच भर भी सुधार नहीं हो सकता है. यह समझ से परे है कि नीतीश कुमार आखिर ऐसे नकारे स्वास्थ्य मंत्री को पद पर क्यों बनाकर रखे हुए हैं? मंत्री के नकारेपन के खिलाफ आज पूरे राज्य में जनता का आक्रोश फूट पड़ा है.
कोविड ने राज्य व्यवस्था की घोर विफलता को उजागर किया है और यह विफल व्यवस्था फिलहाल मोदी-शाह नामक घोर असफल व जनविरोधी शासक द्वारा संचालित है. इस देश बेचू व आदमखोर सरकार को जो अपनी जनता को न्यूनतम सुविधा न दे सके, गद्दी पर बने रहने का कोई भी अधिकार नहीं है. इसलिए हमारी पार्टी ने देश बेचू, आदमखोर – मोदी-शाह गद्दी छोड़ का नारा दिया है.
बैठक से यह निर्णय लिया गया कि आगामी 15 मई को कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए घरों व कार्यालयों से विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा. जिसमें उपर्युक्त मांग के साथ-साथ भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी पर मुकदमा दर्ज कर तत्काल उनकी गिरफ्तारी व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की बर्खास्तगी की मांग जोर-शोर से उठाई जाएगी.
भाकपा-माले ने बिहार की जनता से अपील की है कि संकट के इस दौर में वे आगे आएं, 15 मई को अपने-अपने घरों से प्रतिवाद करें, सरकार को मजबूर करें और यथासंभव कोविड पीड़ितों की सहायता करें.
बैठक में यह भी तय हुआ कि पार्टी, आइसा व इनौस द्वारा जिस प्रकार से पटना में कोविड मरीजों की सहायता में कोविड हेल्प सेंटर चलाया जा रहा है, इस तरह का सेंटर पूरे बिहार में संचालित किए जाएं. सभी विधायक लगातार अपने इलाकों में कोविड मरीजों की सेवा में तत्पर हैं और लगातार डटे हुए हैं. इस संकट के समय जनता की हर प्रकार से सेवा ही हमारी प्राथमिकता है.
पार्टी के सभी विधायकों ने जिला प्रशासन को अपने विधायक मद से जरूरी स्वास्थ्य उपकरणों की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. इसे युद्धस्तर पर किया जाना चाहिए ताकि समय पर लोगों को सुविधायें हासिल हो सके.
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