भाकपा माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने पटना में आज संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार चुनाव में भाजपा-जदयू के सारे दांव फेल हो चुके हैं। ऐसा दिख रहा है कि इधर-उधर व भावनात्मक मुद्दे की बजाए इस बार का बिहार चुनाव जनता के मुद्दे व सवालों पर हो रहा है। बिहार की जनता में भाजपा-जदयू के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है और हर दिन यह बढ़ता ही जा रहा है। बदलाव के लिए बिहार की जनता संकल्पित है। और उससे पूरे देश को उम्मीद है। महागठबंधन के पक्ष में लहर चल रही है। लोग अपनी जरूरतों की बात देख रहे हैं।
भाकपा-माले के खिलाफ भाजपा के लोग दुष्प्रचार में उतर गए हैं और इस नाम पर डर पैदा करना चाहते हैं। लेकिन आज पूरा हिंदुस्तान भाजपा के डर के साए में जी रहा है। मजदूर, किसान, युवा, महिलाएं, व्यवसायी, अल्पसंख्यक समुदाय अर्थात सभी तबके भाजपा से आतंकित हैं। किसानों की खेती छीन लेने का कानून बना दिया गया, बेरोजगारों की फौज दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रहा है, अल्पसंख्यकों को देशद्रेाही कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है, रोजगार का भयावह संकट है, हाथरस जैसी जघन्य घटनाएं हो रही हैं और बिहार में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड घटित हुआ। देश व बिहार की जनता भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे इस आतंक व दहशत की सियासत को बखूबी समझ चुकी है।
माले महासचिव ने आगे कहा कि कोरोना को लेकर मोदी जी ने आधा सच कहा। हर कोई जानता है कि कोरोना अभी गया नहीं। उन्हें तो देश की जनता से अपनी विफलता के लिए माफी मांगनी चाहिए थी क्योंकि उन्होंने कहा था कि 21 दिनों में कोरोना पर नियंत्रण हासिल कर लिया जाएगा। लाॅकडाउन फेल कर गया, उसके लिए माफी मांगनी चाहिए। लाॅकडाउन के नाम पर तो रोजी-रोटी छीनने का काम हुआ है। सरकार अपनी विफलता छुपा रही है।
दीपंकर ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा है कि मास्क पहनकर वोट देने जाना है। लेकिन गरीब जनता के पास मास्क नहीं है। इसलिए मास्क व सैनिटाइजर की व्यवस्था आयोग व प्रशासन को करनी होगी। मास्क के नाम पर वोट के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। हमने इस मामले में आयोग को लिखकर भेजा है। उम्मीद है कि वह कदम उठाएगी। वैक्सीन को चुनाव से जोड़ना पूरी तरह गलत है। चुनाव आयोग को इस बात की गारंटी करनी चाहिए कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हो। वैक्सीन न केवल बिहार बल्कि पूरे देश व दुनिया के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आज बिहार एक कठिन दौर व दर्द से गुजर रहा है। लोगों को कोरोना काल में लाॅकडाउन की मार झेलनी पड़ी। बिहार के लोगों को बार-बार अपमानित किया गया। जनादेश के साथ अपमान हुआ। बेरोजगारी चरम पर है। नीतीश जी कहते हैं कि बिहार में समुद्र ही नहीं तो औद्योगिक विकास कहां से होगा? इससे अतार्किक बात और क्या हो सकती है? प्रवासी मजदूरों से ही पूछ लीजिए हरियाणा-पंजाब का विकास कैसे हुआ, जहां समुद्र नहीं है। शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। हर स्कूल में कंप्यूटर टीचर, म्यूजिक टीचर आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। नीतीश जी के राज में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
माले महासचिव ने कहा कि नीतीश कुमार थके-हारे नेता है। बिहार की राजनीति में एक जेनरेशन शिफ्ट हो रहा है। लालू जी जेल में हैं। रामविलास जी गुजर गए। लेकिन नीतीश जी सोच रहे हैं कि अवसरवाद दिखलाकर युवाओं को आगे आने से रोके देंगे, तो इस बार ऐसा नहीं होने वाला है।
पूर्व राज्यसभा सांसद व पसमांदा समाज के नेता अली अनवर ने कहा कि हम पूरी तरह से वामपंथी व महागठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में है। नीतीश जी ने 2017 में जनादेश से जो विश्वासघात किया, उसे बिहार की जनता कभी भूल नहीं सकती। आज उनको सजा देने का वक्त आ गया है। और पूरा बिहार उनके खिलाफ गोलबंद हो चुका है।
भाकपा माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि बिहार के चुनाव में लोगों को तोड़ने वाले एजेंडे चलने वाले नहीं है। आज जनता के मुद्दे सामने है। चुुनाव का जो भी समय बचा है, उसमें भाजपा अमन-चैन को खराब करने की कोशिश करेगी। हमारी कोशिश शांति व्यवस्था को बनाए रखने की होगी। हम भाजपा की ऐसी साजिशों को कभी सफल नहीं होने देंगे। बिहार की जनता से अपील की कि अफवाहों से सावधान रहें और भाजपा-जदयू को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखलाने के लिए एक-एक वोट की गारंटी करे।
बगोदर के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि बिहार बदलाव के मुहाने पर खड़ा है। झारखंड की रघुवर सरकार की तरह ही यहां की जनता ने नीतीश कुमार को सत्ता से बदेखल करने का मन पूरी तरह बना लिया है।
भाकपा माले, बिहार राज्य कार्यालय सचिव, कुमार परवेज द्वारा जारी