भाजपा सत्ता की भूखी, अपने सहयोगियों को भी नहीं छोड़ा- माले

भाकपा-माले बिहार राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है। पैसे व ताकत के बल पर विपक्षी विधायकों को खरीदना, धमकाना व तोड़ डालना उसके लिए आम बात है। ऐसा करके उसने कई राज्यों में गैरभाजपा सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से गिराकर अपनी सरकार भी बनाई है। उसके डीएनए में ही साजिश व तमाम संवैधानिक मर्यादाओं की हत्या करके सत्ता हासिल करने की भूख है।

भाजपा गठबंधन धर्म निभाने का महज दिखावा करते आई है। बिहार विधानसभा चुनाव में हम सबने देखा कि उसने लोजपा का क्या हश्र करवा दिया। आज लोजपा अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। लोजपा के बाद अब उसने जदयू को ही निशाना बना लिया है। अरूणाचल में जदयू के 6 विधायकों को तोड़कर भाजपा ने साबित कर दिया है कि अब वह नीतीश कुमार को पूरी तरह बर्बाद करने पर तुली हुई है।

कुणाल ने कहा कि नीतीश कुमार को गंभीरता से सोचना चाहिए कि 2010 में 115 सीट लाने वाली जदयू को इस चुनाव में भाजपा ने कैसे 43 सीटों पर सिमटा दिया। विधानसभा चुनाव का परिणाम हालांकि एनडीए के पक्ष में रहा लेकिन जनता में बदलाव की आकांक्षा की भावना को हर किसी ने महसूस किया था। कुर्सी पर बने रहने के लिए नीतीश कुमार भाजपा जैसी पार्टियों से हर किस्म का समझौता करते गए। बिहार में आरएसएस को अपनी सांप्रदायिक राजनीति का खुलकर इस्तेमाल करने का मौका दिया। भाजपा के ही दबाव में गरीबों के जनसंहारियों को बरी करवाया। लेकिन अब तो भाजपा ने उन्हें पूरी तरह कठपुतली बना दिया है।

नीतीश कुमार के इस दोहरे चरित्र को जानते हुए भी बिहार की जनता ने 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जीत दिलाई थी, लेकिन नीतीश जी जनादेश से विश्वासघात करते हुए उसी भाजपा के गोद में जा बैठे थे। उसी दिन उनके भविष्य की रूपरेखा तय हो चुकी थी।

सुशील मोदी दरअसल अंबानी-अडानी जैसे काॅरपोरेटों को किसान मानते हैं

29 दिसंबर के किसानों के राजभवन मार्च पर भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि कल के राजभवन मार्च में दसियों हजार किसान सुशील मोदी को किसान नहीं दिखते, क्योंकि भाजपा व पूरा संघ गिरोह तो अब खेत-खेती व किसानी काॅरपोरेट घरानों के हवाले कर देना चाहती है। भाजपा के लिए अब खेतों में काम करने वाले लोग किसान नहीं, बल्कि दुनिया के अमीरों में शुमार अंबानी-अडानी किसान हैं और वे उनके लिए सारी संवैधानिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

माले राज्य सचिव ने कहा कि बिहार की धरती सहजानंद सरस्वती, मास्टर जदगीश, रामनरेश राम के किसान आंदोलन की धरती रही है। भाकपा-माले के नेतृत्व में यहां के गरीब-बटाईदार किसानों ने जब अपना हक मांगा, तो भाजपा के ही नेतृत्व में रणवीर सेना जैसी सेनायें बनाई गई थी। इसमें कोई दो मत नहीं कि रणवीर सेना को संरक्षण देने वालों में सुशील मोदी का भी नाम था। जिस रणवीर सेना ने सैंकड़ों महिलाओं-दलितों-बच्चों की बर्बर तरीके से हत्या की, उसके सरगना को भाजपाइयों ने ‘गांधी’ कहकर बुलाया। भाजपा के हाथ गुजरात से लेकर यूपी और बिहार तक दलितों-गरीबों-मजदूरों-अकलियतों-महिलाओं के खून से रंगे हैं। अब वे किसानों के दमन पर उतारू हैं।

कुणाल ने कहा कि दरअसल कल के राजभवन मार्च से भाजपा के इस झूठ की पोल खुल गई कि बिहार में कृषि विरोधी तीनों कानूनों के खिलाफ कोई आंदोलन है ही नहीं। कल दसियों हजार किसानों ने पटना में जुटकर इस बात का ऐलान कर दिया कि आज पंजाब के बड़े फार्मरों से लेकर बिहार के छोटे-मझोले-बटाईदार यानि सब प्रकार के किसान इन तीनों काले कानूनों के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं। भाजपा नेताओं का झूठ बेनकाब हो चुका है।

दोनों मोदी कॉरपोरेट की भाषा बोल रहे: राजाराम सिंह

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के वर्किंग ग्रुप के सदस्य व बिहार-झारखंड के प्रभारी राजाराम सिंह ने कल के सफल राजभवन मार्च के लिए बिहार के किसानों, बटाईदारों, कृषक मजदूरों एवं उनके विभिन्न संगठनों व उनके नेताओं को बधाई दी है।

उन्होंने नीतीश सरकार से मांग की कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों-बटाईदारों के फसलों की सरकारी खरीद की जाए एवं बिहार सरकार केंद्र के तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों से बिहार के किसानों को राहत देने के लिए बिहार विधान सभा में कृषि अध्यादेश पारित करे।

उन्होंने प्रदर्शनकारी किसान नेताओं-कार्यकर्ताओं पर से झूठे मुकदमों को हटाने की मांग की। कहा कि किसान महासभा के नेता व घोषी के विधायक रामबली सिंह यादव राज्यपाल से मिलने वाले संयुक्त शिष्टमंडल में थे, लेकिन उनपर नामजद एफआईआर की गयी है, ऐसे ही अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं पर मुकदमे थोप दिए गए हैं।

राजाराम सिंह ने किसान आंदोलन को बदनाम करने वाले भाजपा नेता सुशील मोदी के बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि सुशील मोदी का बयान असल में उनकी कॉरपोरेटपरस्ती और भाजपा की हताशा व डर को प्रदर्शित करता है कि इन किसान विरोधी कानूनों की वजह से कहीं बिहार का किसान भी कृषि मजदूरों की तहर संघर्ष करने वाली ताकतों के साथ न चल जाए।


भाकपा माले, बिहार राज्य कार्यालय सचिव, कुमार परवेज द्वारा जारी

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