आज के अखबारों में यह खबर छपी है कि 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ था, इसी विरोध में कांग्रेस ने काले कपड़ों में प्रदर्शन किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह आरोप लगाया है और साथ में इसे मुस्लिम तुष्टीकरण का मामला भी बना दिया है। ठीक है कि अमित शाह अपनी राजनीति कर रहे हैं और इसमें वही करेंगे जो ज्यादा जाना-समझा जाता है। पर हिन्दू कैलेंडर में एनवर्सरी जैसा कुछ होता नहीं है और जन्म दिन से लेकर एक जनवरी को नया साल या 25 दिसंबर को क्रिसमस मानने का कोई रिवाज नहीं है। हमारा नया साल अलग होता है। हिन्दू वादी लोग इन अंग्रेजी त्यौहारों का विरोध भी करते हैं और जन्म दिन मनाने को अंग्रेजों का चोंचला भी कहते हैं। 14 फरवरी को विरोध भी करते हैं। पर पांच अगस्त को मंदिर के शिलान्यास से जोड़ दिया गया जबकि दो साल बाद पांच अगस्त को बहुत कुछ बदल गया है। वैसे भी हम होली, दीवाली उसी तारीख को नहीं मनाते हैं। ऐसे में 5 अगस्त को क्या राम मंदिर का हैप्पी वाला बर्थ डे होगा? और इसे विरोध प्रदर्शनों से मुक्त रखने का कोई हिन्दू उत्सव होने वाला है?
इंटरनेट पर नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार अमित शाह ने महंगाई पर कांग्रेस के विरोध-प्रदर्शन को अलग ही एंगल दे दिया। उन्होंने इशारों में कहा कि कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने काले कपड़े पहने ताकि कांग्रेस राम मंदिर भूमि पूजन दिवस के खिलाफ दिखे। आप जानते हैं कि पांच अगस्त को ही अनुच्छेद 370 हटाया गया था और उसका कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। राजनीतिक चर्चा में यह भी पांच ट्रिलियन की तरह गायब है जबकि यहां जीरो गिनने या जानने की कोई जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि कांग्रेस को विरोध करना होता तो इसपर भी कर सकती थी और तब इस तरह का एंगल भी नहीं दिया जा सकता था और तानाशाही वाले अंदाज में काम करने, कश्मीर जैसे मामले में गफलत आदि के आरोप भी सरकार पर लगाए जा सकते थे। पर कांग्रेस ने ऐसा कुछ नहीं किया। उसने सिर्फ महंगाई को मुद्दा बनाया – क्योंकि उसकी भी राजनीति है। इसका असर होगा और असर हुआ इसीलिए अमित शाह इसे अलग रंग और एंगल देने की कोशिश कर रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे पहले पन्ने पर छापा है – यह भी कम नहीं है।
इसपर Akhilendu Arjeria ने फेसबुक पर लिखा है, साल के हर दिन कोई न कोई हिन्दू त्यौहार मनाया जाता है। विरोधी दलों को चाहिए कि वे कोई आंदोलन, धरना, प्रदर्शन करने से पहले हिन्दू धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों से यह पूछ लें कि वे किस दिन प्रदर्शन कर सकते हैं? उनसे अनुमति मिलने के बाद ही कोई प्रदर्शन करें ताकि ये शातिर दिमाग स्वयंभू ठेकेदार बाद में यह न कह सकें कि विपक्ष का प्रदर्शन महंगाई बेरोजगारी के खिलाफ नहीं, बल्कि मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने तथा हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए किया गया है।जयहिंद।
इसपर Anup Badoniya की टिप्पणी है, गृह मंत्री अमित शाह जी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को शायद हिंदू पंचांग की बिल्कुल जानकरी नहीं है, जो राम मंदिर की आधारशिला रखने की तिथि अंग्रेजी पंचांग के हिसाब से आज 5 अगस्त को बता रहे हैं। हमारे हिंदू धर्म में हम कोई भी शुभ काम करते हैं तो हिंदू पंचांग के रीति-रिवाज से करते हैं और इस हिसाब से राम मंदिर का शिलान्यास – (दिनांक: 5 अगस्त 2020) विक्रमी संवत्: 2077, मास अमांत: श्रावण, मास पूर्णिमांत: भाद्रपद, पक्ष: कृष्ण, वार: बुधवार, तिथि: द्वितीया नक्षत्र: धनिष्ठा, को हुआ था।आज (5 अगस्त 2022) का पंचांग – विक्रमी संवत्: 2079, मास पूर्णिमांत: श्रावण (सावन), पक्ष: शुक्ल, दिन: शुक्रवार, ऋतु: वर्षा, तिथि: अष्टमी, नक्षत्र: स्वाति है।
इस हिसाब से 2022 में राम मंदिर शिलान्यास की मूल तिथि वह नहीं है जो 5 अगस्त के दिन 2020 में थी। इसलिए योगी जी और अमित शाह जी पहले अपने हिंदू पंचांग की जानकारी हासिल करें, फिर हमारे हिंदू धर्म के ठेकेदार बनें। जय सियाराम।
वैसे तो मुझे पंचांग की मामूली समझ भी नहीं है पर इतना जरूर जानता हूं कि हमारे यहां अंग्रेजी कैलेंडर से बर्थडे मनाने का प्रचालन बहुत नया है और एक-दो पीढ़ी पहले ही इसका कोई रिवाज नहीं था। बहुत से लोग मिल जाएंगे जो तारीख की बजाय अपना जन्म दिन शिवरात्रि या विजयदशमी के दिन बताते हैं। ऐसे जन्मे बच्चे का अंग्रेजी वाला बर्थडे स्कूल में ही लिखा जाता है घर में लोग शिवरात्रि या बसंत पंचमी को ही मनाते हैं। जाहिर है मैं पढ़े-लिखे, अंग्रेज बन रहे सेकुलरों, कम्युनिस्टों की बात नहीं कर रहा हूं। पर हिन्दू धर्म को खतरे में बताने वालों को इन बातों का ध्यान तो रखना ही चाहिए।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।