कोविड-19 बीमारी को विश्व भर में फैलाकर महामारी बनाने में धार्मिक आयोजनों और धार्मिक यात्राओं की ख़तरनाक भूमिका दिखाई देती है। इसकी एक वजह ये है कि दूसरे आयोजन और समारोह में वर्गीय चरित्र ज्यों का त्यों (वर्गभेद) बने रहने के चलते वर्गीय दूरी बनी रहती है। जबकि धार्मिक आयोजनों में वर्ग भेद टूट जाता है। धार्मिक आयोजनों और धार्मिक यात्राओं में हर तरह के सामाजिक आर्थिक वर्ग के लोग एकजुट होते हैं। इस बात में तो अब रत्ती भर भी संदेह नहीं है कोविड-19 महामारी एक देश से दूसरे देश हवाई यात्रा करने में सक्षम जमात द्वारा ही ले जाया गया है।
#Coronavirus latest:
-Global cases top 932,000; almost 47,000 dead: Johns Hopkins
-South Korea adds 89 new infections in 24 hours, total cases at 9,976
-Trump seeks Walmart’s help for surgical gowns
-Los Angeles mayor says entire city should wear maskshttps://t.co/57Sovihroi— Bloomberg (@business) April 2, 2020
चर्चों ने साउथ कोरिया में कोविड-19 संक्रमण फैलाया
दक्षिण कोरिया में संक्रमण के बिल्कुल शुरुआती समय में दो अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक आयोजन हुए और उन दो धार्मिक आयोजनों के बाद संक्रमण के दो बड़े सामूहिक मामले सामने आए। दक्षिण कोरिया में धर्म कईयों के जीवन के केंद्र में है। चीन के बाद साउथ कोरिया ही कोविड-19 महामारी के चपेट में आया। जहां अब तक 9,887 से अधिक मामलों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और 165 लोगों की मौत हो चुकी है।
संक्रमण के अधिकांश मामले रहस्यमई शिन्चेऑन्जी चर्च से जुड़ा हुआ है। कोरिया की ‘सेंटर फॉर डिसीज ज्रिवेंन्शन एंड प्रिवेंशन’ रिपोर्ट के मुताबिक कुल पुष्ट केसों में से 63.5 प्रतिशत शिन्चेऑन्जी चर्च से जुड़ा हुआ है।
कोविड-19 प्रकोप के केंद्र (Daegu) शहर 25 लाख आबादी वाला शहर है जहाँ शिन्चेऑन्जी चर्च स्थित है। यहां के 73 प्रतिशत कोविड-19 पोजीटिव केस शिन्चेऑन्जी चर्च से जुड़े मिले हैं।
चर्च से जुड़े 1,96,000 लोगों का कोविड-19 टेस्ट करवाया गया। अधिकारियों ने संक्रमण को ट्रेस करते हुए दक्षिणी शहर बुसान स्थित एक चर्च से जोड़ा और वहाँ के लोगो को भी क्वारंटाइन में रखा गया। संभवतः चर्च के लोगो ने पहले एक दूसरे को संक्रमित किया फिर उन्होंने यात्राएं करके दूसरों को संक्रमित किया।
जबकि एक दक्षिणी शहर बुसान के एक कैथोलिक चर्च द्वारा 8-15 फरवरी के बीच तीर्थ यात्रियों के एक समूह को इजरायल के येरूशलम की तीर्थयात्रा पर ले जाया गयाथा। इजरायल से लौटे इन तीर्थयात्रियों में से 18 को इस कोविड-19 संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी।
South Korea has started using this upgrade to its “phone booth” style testing centres. The country is still mass testing to control the COVID19 outbreak. In last 24 hours
17,885 were in process of being tested. (Pic @YonhapNews ) pic.twitter.com/wxsiJfwyVB— Laura Bicker (@BBCLBicker) April 2, 2020
इके अलावा राजधानी सियोल के म्येओंगसेओंग चर्च में भी कई लोगो में कोविड-19 संक्रमित पाया गया। इस चर्च केकरीब 80,000 अनुयायी हैं।
दक्षिण कोरिया के सेओंगनाम में भी एक चर्च के भवन और आस पास के इमारतों से दर्जनों लोगों की कोरोनरी वायरस होने की पुष्टि हुई।
कोरिया में कोविड -19 के प्रसार में संगठित धर्म ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। बता दें कि कोरिया के 50 मिलियन लोगों में से लगभग 27-30% लोग ईसाई समुदाय के हैं। चर्च कोरिया में राजनीतिक रूप से भी सक्रिय है और सरकारी नीति पर एक शक्तिशाली प्रभाव डालता है। कोरियाई इंजीलिकल का प्रभाव विदेशों में भी दृढ़ता से महसूस किया जाता है। शिन्चेऑन्जी चर्च देश विदेशों में मिशनरियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या भेजता है।
पाकिस्तान में ईरान और सउदी अरब की यात्रा पर गए लोग लेकर आए कोविड-19
फरवरी के आखिर में ईरान से तीर्थयात्रा करके पाकिस्तान लौटे लोगों में से बड़ी संख्या में लोगो में कोविड-19 टेस्ट में पोजीटिव पाया गया। बावजूद इसके 10 से 15 मार्च तक लाहौर में एक धार्मिक आयोजन में जुटने की अनुमति दे दी, जिसमें 80 देशों के हजारों लोगो ने हिस्सा लिया था। लाहौर के धार्मिक आयोजन में हिस्सा लेकर वापिस लौटे गाजा पट्टी में कोविड-19 संक्रमण के दो मामले दर्ज हुए जहां दोनों फलस्तीनी नागरिक हाल ही में इस कार्यक्रम में भाग लेकर लौटे थे। कोविड-19 संक्रमण के फैलने की आशंका के कारण 12 मार्च को सभा को आखिरकार बंद कर दिया गया। लोगों को इस मामले के बारे में जानकारी के अनुसार, अधिकांश लोग पाकिस्तानी थे, लेकिन दूसरे देशों से कम से कम हजार लोग आए थे। पाकिस्तान के दक्षिणी प्रांत सिंध के चार लोग जो इस सभा में शामिल हुए थे, कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
लाहौर हुए धार्मिक आयोजन में शामिल हुए दक्षिणी प्रांत सिंध में 274 में से अब तक 140 लोग संक्रमित हैं। खैबर पख्तूनख्वा के उत्तरी-पश्चिमी प्रांत में परीक्षण किए गए 19 लोगों में से 15 को कोविड-19 बीमारी है। नतीजतन, पाकिस्तान में कोरोनोवायरस के मामलों में एकाएक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
इसके अलावा पाकिस्तान कोविड-19 से हुई पहली मौत एक 50 वर्षीय व्यक्ति की हुई जो इस महीने के शुरू में सऊदी अरब की धार्मिक यात्रा पूरी करके लौटा था।
पाकिस्तान में कोविड-19 संक्रमण के शनिवार तक 2104 मामले पाए गए हैं। इनमें से 26 लोगों की मौत हो चुकी है। पाकिस्तानी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक अधिकांश संक्रमित लोग ईरान से आए थे जहां अब तक कोरोना से 3,036 मौतें हो चुकी हैं।
As of April 1, Pakistan has 2104 confirmed cases of #COVID19 with 740 in Punjab, 709 in Sindh, 253 in Khyber Pakhtunkhwa, 158 in Balochistan,184 in Gilgit-Baltistan, 54 in Islamabad & 6 in PoK. 26 patients have lost their lives due to Coronavirus.
— ANI (@ANI) April 1, 2020
मलेशिया में धार्मिक सम्मेलन के बाद फैला कोरोना
मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर शहर में फरवरी के आखिर में एक 4 दिवसीय धार्मिक सम्मेलन हुआ जोकि विश्व का सबसे बड़ा इस्लामिक मिशनरी मूवमेंट था। इसमें 30 देशों के 16,000 लोग जुटे। इसमें 1500 विदेशी और 14,500 मलेशियाई नागरिक थे। बाद में इस चार दिवसीय सम्मेलन में शामिल 790 लोगो को मलेशिया में हुए कोविड-19 टेस्ट में पोजीटिव पाया गया।
मलेशियाई मीडिया के मुताबिक देश के ज्ञात कोरोविड-19 मामलों के आधे से अधिक मामले कुआलालंपुर धार्मिक संगोष्ठी में शामिल लोगो में पाई गई है। बता दें कि मलेशिया में अब तक 2766 कोविड-19 केस दर्ज हुए हैं जिनमें 43 की मौत हुई है।
मलेशिया में हुआ धार्मिक सम्मेलन ब्रूनेई और थाईलैंड में भी वायरस फैलाया, “दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे बड़े वेक्टर के तौर पर संक्रमण को लेकर गए। जिसमें से सबसे ज़्यादा 73 केस ब्रुनेई में निकले। इस सम्मेलन में शामिल सिंगापुर के 5 नागरिकों को भी कोविड-19 पोजीटिव पाया गया। जबकि इसमें शिरकत करने वाले तीन इंडोनेशिया नागरिकों में कोविड-19 की पुष्टि हुई जबकि एक कोरोना पोजीटिव केस वियतनाम में दर्ज किया गया जोकि उस मलेशिया के धार्मिक आयोजन में शामिल होकर लौटा था।
अमेरिका में संक्रमण का धार्मिक कनेक्शन
अमेरिका के लगभग तीन दर्जन लोग, जिन्होंने ग्रीर्स फेरी, अर्कांसस में गॉड चर्च के फर्स्ट असेंबलीज़ में भाग लिया था, उनका COVID -19 टेस्ट में पोजीटिव मिला। यह आयोजन मार्च की शुरुआत में आयोजित किया गया था, और कोविड 19 संक्रमित 34 लोगों में से 31 लोग या तो चर्च के कर्मचारी हैं या चर्च के सदस्य हैं। बता दें कि इस चर्च के 80 अनुयायियों में से 34 ने चर्च की सबा में भाग लिया था।
वहीं शिकागो उपनगर के एक चर्च में 15 मार्च की आयोजन के बाद, 43 लोगों ने COVID-19 से संबंधित लक्षणों की सूचना दी थी, बाद में इनमें से 10 लोगों के कोविड-19 टेस्ट पोजीटिव आए थे।
स्थानीय समाचार चैनल WTVY की रिपोर्ट के मुताबिक, लुइसियाना में पादरी ने मंगलवार 17 मार्च की रात में 300 से अधिक लोगों की सेवा ली और चर्च में सभा की। पादरी, टोनी स्पेल ने सीएनएन को बताया कि उनका मानना है कि कोरोनोवायरस “राजनीति से प्रेरित” हैं और उन्होंने दावा किया कि उनकी 22 मार्च रविवार की सेवा में 1,000 से अधिक लोग शामिल हुए।
कोविड-19 का सबसे ज़्यादा संक्रमण इस समय संयुक्त राज्य अमेरिका में है। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक इस समय सर्वाधिक 188,647 कोविड-19 संक्रमित हैं जबकि वहां अब तक 4059 लोगो की इससे मौत हो चुकी है।
अमेरिकी सरकार द्वारा लगातार कोविड-19 संकट से इन्कार किया जाता रहा। वहां पर फिजिकल डिस्टेंस और लॉकडाउन जैसी उपाय स्थिति को हालात बिगड़ने के बाद लागू किया गया।
ईरान में धार्मिक आयोजन से हुआ कोविड-19 का विस्फोट
ईरान के शहर कोम (Qom) बड़ी संख्या में कोविड-19 पोजीटिव पाया गया। बता दें कि ईरान के पवित्र शहर क़ोम में पांच दिवसीय धार्मिक आयोजन में तीर्थयात्री इकट्ठे हुए थे। जिसके बाद से वहां पर बड़ी मात्रा में लोग बीमार और संक्रमित हुए।
आयोजन के सिर्फ़ 16 दिनों में ही कोविड-19 महामारी ईरान के सभी 31 प्रांतों में फैल गया। साथ ही इराक़, पाकिस्तान, यूएई, कुवैत, क़तर जैसे 16 देशों ने दावा किया कि उनके यहां वायरस ईरान के ज़रिए पहुंचाया। ईरानी स्वास्थ्य अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों का टेस्ट करके कोविड-19 के प्रसार के मूल की खोज की। ईरान में अब तक 47,593 कोविड-19 संक्रमित केस दर्ज हुए हैं जबकि 3,036 लोगों की इससे मौत हो चुकी है।
ईरान की यात्रा के बाद कोविड-19 यात्रियों द्वार बहराइन और ओमान इराक के नजफ पहुँचे लोग बीमार मिले और फिर वहां संक्रमण के नए केस मिले। बता दें कि कोम में स्थित धार्मिक स्थल को शिया मुस्लिमों के बीच काफ़ी पवित्र माना जाता है। हर साल यहां लाखों शिया मुस्लिम श्रद्धालु आते हैं। ये इलाक़ा कोरोना महामारी का केंद्र बना हुआ है। यहां के धार्मिक स्थल को पहले बंद ना करने की वजह से ईरान सरकार की काफ़ी आलोचना भी हुई थी। ईरान की धार्मिक यात्रा के चलते इराक, बहरीन, ओमान, कुवैत, लेबनान और अन्य देशों में भी कोविड-19 महामारी फैली जिनके नागरिक ईरान के धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे।
सिंगापुर में संक्रमण कुआलालंपुर, और मलेशिया के धार्मिक यात्रा से आया संक्रमण
सिंगापुर में दो चर्चों के जरिए व्यापक तौर पर संक्रमण के बड़े केस आए। बता दें कि सिंगापुर के 90 नागरिक भी ईरान के कोम और मलेशिया के कुआलालंपुर के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने गए थे और फिर उनके जरिए ही कोविड-19 महामारी सिंगापुर पहुँची। मलेशिया के धार्मिक आयोजन में शामिल होकर लौटे पांचों नागरिकों में कोविड-19 की पुष्टि हुई। तब तक ये लोग सिंगापुर की 10 मंस्जिदों की विजिट कर चुके थे। इनके संपर्क में आए लोगो को भी कोविड-19 संकमित होने की पुष्टि हुई।
जबकि साउथ कोरिया में धार्मिक समारोह हुए और वहाँ शिंचोजी चर्च ग्रुप द्वारा संक्रमण के मामले फैले। सिंगापुर के कई नागरिक शिंचोजी चर्च की यात्रा करके लौटे थे और उनमें भी कोविड-19 संक्रमण पाया गया था। सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के 313 पुष्ट मामलों को देश के तीन चर्च से फैलने की पुष्टि की है।
सिंगापुर में इस महामारी के फैलने का मूल सोर्स दो विदेशी धार्मिक स्थल थे। जहं से आया कोविड-19 महामारी ने सिंगापुर में विकराल रूप पकड़ लिया। जहां अब तक 926 केस दर्ज किए गए हैं।
ब्रुनेई में कोविड-19 संक्रमण मलेशिया के धार्मिक आयोजन से आया
मलेशिया की धार्मिक सभा में शामिल होने वाले 53 वर्षीय रिटायर मार्च की शुरुआत में वापस अपने देश ब्रुनेई आ गए थे। वहां से लौटने के कुछ दिन बाद उन्हें खांसी और बुखार हुआ। 9 मार्च को उनके कोविड-19 टे,स्ट में पोजीटिव होने की पुष्टि होने के साथ ही ब्रुनेई का पहला कोविड-19 संकमित रजिस्टर किया गया। इसके अगले दिन 5 और नागरिक बीमार पड़ गए। इसके बाद मलेशिया धार्मिक आयोजन में शामिल हुए सभी 90 ब्रुनेई नागरिकों को ट्रेस किया गया। एक सप्ताह बाद ही कोविड-19 के 50 केस दर्ज किए गए। इनमें से 45 मलेशिया की धार्मिक आयोजम में शामिल होकर आए थे।
मलेशिया में हुआ धार्मिक सम्मेलन ब्रूनेई और थाईलैंड में भी वायरस फैलाया, “दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे बड़े वेक्टर के तौर पर संक्रमण को लेकर गए। जिसमें से सबसे ज़्यादा 73 केस ब्रुनेई में निकले। इस सम्मेलन में शामिल सिंगापुर के 5 नागरिकों को भी कोविड-19 पोजीटिव पाया गया। ब्रुनेई में फिलहाल संक्रमितों की संख्या 131 दर्ज है।
इंडोनेशिया जिसने दुनिया को संकट में देखकर भी सबक नहीं सीखा
मलेशिया में 27 फरवरी से 1 मार्च तक चार दिवसीय धार्मिक आयोजन किया गया था। जिसमें 700 इंडोनेशियाई नागरिक शामिल हुए थे। जिसमें से 16 इंडोनेशियाई नागरिकों को कोविड-19 पोजीटिव पाया गया। जबकि इंडोनेशिया में पहला मामला 2 मार्च 2020 को दर्ज किया गया था।
इसके बाद 19 मार्च को ही पूर्वी इंडोनेशिया के फ्लोरेस में एक कैथोलिक बिशप द्वारा एक धार्मिक आय़ोजन किया गया जिसमें 1000 अनुयायी शामिल हुए थे। ये कहना है प्रोवेंशियल गवर्नमेंट के प्रवक्ता मारियस अरदुजेलमू का। जबिक लोकल लोगो के मुताबिक उस कार्यक्रम में 4000 से ज़्यादा लोग शामिल हुए थे।
कोरोना के महामारी के बीच मुस्लिम तीर्थयात्री चार दिनों की प्रार्थना और अध्ययन के लिए इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर एकत्र हुए थे। जिसे 19 मार्च को सरकार द्वारा रोक दिया गया। हालांकि वहां तब तक 8600 लोग जमा हो चुके थे। उनमें से एक स्थानीय व्यक्ति को बुखार होने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया। और मेडिकल टीम सभी 8600 लोगो की मेडिकल स्कैनिंग की। इंडोनेशिया में अब तक 1677 लोग संक्रमित हैं जबकि 156 की मौत हो चुकी है।
भारत में कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति की धार्मिक आधार पर खोज-बीन नहीं हुई
निजामुदादीन मरकज में 12-15 मार्च तक चले धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए लोगो में से 400 के करीब लोगो में कोविड-19 के लक्षण दिखे हैं। जबकि 24 की पुष्टि हो चुकी है।
12 मार्च को निजामुद्दीन में मरकज में कार्यक्रम आयोजित हुआ वहां इकट्ठा होने वाले 2 दिन पहले ही आ गए होंगे। विशेषकर जो विदेश से आए होंगे। यानि ये विदेशी लोग अपने साथ कोविड-19 संक्रमण लेकर देश में 8-10 मार्च तक आ चुके थे। जबकि भारत सरकार 19 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलार्म बजाने के बाद जगी है। जबकि 10 मार्च को देश भर में होली का त्योहार मनाया गया। लोग इसमें ख़ूब गले मिले और हाथ मिलाया। होली पर भी कई लोग देश-विदेश से अपने घरों को लौटकर आए थे। हो सकता है उनमें से भी कुछ कोविड-19 संक्रमण लेकर आया हो।
निजामुद्दी मरकज के जरिए कोविड-19 के भयावह संक्रमण चेन सामने आने के बाद दिल्ली के मजनू टीला गुरुद्वारा से आज 200 लोगो को निकाला गया। इसी तरह देश में तमाम गुरुद्वारों बौद्ध मठों, मंदिरों व गुरुकुलों में भी अबी बहुत से लोग रह रहे हैं। वैष्णों देवी मंदिर के पास लोगो के फँसे होने की सूचनाएं आ रही हैं। इसके अलावा 18 फरवरी तक देश के तमाम प्रसिद्ध मंदिरों में भी भारी धार्मिक भीड़ जुटती रही है। अतः हर संक्रमित मरीज की धार्मिक एक्टिविटी को भी ट्रेस किया जाना चाहिए। चूँकि भारत एक धार्मिक मान्यताओं वाला समाज है। यहां बहुधर्मों के लोगों को धार्मिक तीर्थ स्थान हैं। भारत में अब तक 1637 केस कोविड-19 के दर्ज हुए हैं जबकि 45 लोगो की मौत हुई है।