गुजरात का ‘स्नूपगेट’ छापना इंडिया टुडे के संपादक के लिए अग्निदीक्षा क्यों थी?

 

यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाएँ इन दिनों जिस तरह से ‘मी टू’ कैंपेन के तहत चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन कर रही हैं, उसमें गुजरात का ‘स्नूपगेट’ किसी को भी याद आ सकता है। 2013 के उत्तरार्ध में यह सनसनीख़ेज़ खुलासा हुआ था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एक लड़की का पीछा करवा रहे हैं और इसे अंजाम दे रहे हैं अमित शाह। यह ख़बर चर्चा में तो रही, लेकिन  इसे छाप पाना आसान नहीं था। इंडिया टु़डे के पूर्व संपादक दिलीप मंडल के मुताबिक ये उनके पत्रकारीय जीवन की अग्निदीक्षा थी। एक फे़सबुक पोस्ट में उन्होंने आभार जताया है कि टी.वी.टुडे के मालिक अरुण पुरी ने इस ख़बर और अमित शाह का कार्टून लगा कवर पेज भी जाने दिया, जबकि अँग्रेजी इंडिया टुडे में यह नहीं छपा था।

सबसे पहले पढ़िए, दिलीप मंडल ने क्या लिखा है स्नूपगेट पर—

एमजे अकबर नपेंगे तो नरेंद्र मोदी कैसे बचेंगे?

दिसंबर 2013 में मैंने मैनेजिंग एडिटर रहते हुए इंडिया टुडे हिंदी का ये कवर बनाया था. एमजे उस समय तक इंडिया टुडे छोड़कर बीजेपी में जा चुके थे. अरुण पुरी मेरे प्रधान संपादक थे.

यह कवर इंग्लिश मैगजीन में नहीं छपा. मेरी मैगजीन में छप गया और लाखों घरों और लाइब्रेरी में पहुंच गया. देश की सबसे बड़ी पत्रिका इंडिया टुडे की बिक्री उस समय अच्छी-खासी हुआ करती थी.

जो आदमी प्रधानमंत्री पद का दावेदार था, और ओपिनियन पोल बता रहे थे कि वह पीएम बनने जा रहा है, उसके बार में इस विवाद को छापना कि वह अपने मंत्री से एक लड़की का पीछा करवाता है, आसान काम नहीं रहा होगा. इस बात को कवर पर लाकर हर शहर-कस्बे तक पहुंचा देने का मतलब आप समझ सकते हैं.
यह एक जोखिम था, जो मैने यह जानते हुए लिया कि इसकी कितनी भारी कीमत मुझे चुकानी पड़ सकती है.

पत्रकारिता में ये मेरी अग्निदीक्षा थी.

अरुण पुरी ने मुझे यह करने दिया, इसके लिए मैं उनका आभारी रहूंगा. यह कवर अरुण पुरी की मंजूरी से प्रेस में छपने गया.

आख़िर ये पूरा मामला था क्या। मुंबई में रह रहे सामाजिक कार्यकर्ता विनोद चंद (Vinod Chand) ने इस बाबत फेसबुक पर लिखा है जिसका अनुवाद वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह ने किया है। पढ़िए और याद कीजिए—

और मानसी सोनी मीटू होने से चूक गईं !!

आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा भुज में काम कर रहे थे। उन्होंने 2004 में आरकिटेक्ट मानसी सोनी से एक गार्डन की लैंडस्केपिंग कराई।

इस गार्डन का उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने किया। इस समारोह के दौरान शर्मा ने मानसी सोनी का परिचय मुख्यमंत्री से कराया।

दोनों ने ईमेल आईडी का आदान-प्रदान किया ।

महिला प्रदीप शर्मा के करीब थी इसलिए उसने उनके साथ यह जानकारी साझा की ।

जल्द ही मोदी ईमेल से फोन कॉल पर आ गए और सुश्री सोनी के साथ नंबर का आदान-प्रदान हो गया ।

बात और आगे बढ़ी तथा मानसी सोनी को मुख्यमंत्री निवास पर आमंत्रित किया गया।

वहां उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध रोक कर रखा गया था। उसने शर्मा को सूचना दी। शर्मा ने बचने के लिए बीमारी का बहाना करने की सलाह दी ।

एक डॉक्टर को बुलाया गया। मानसी सोनी किसी तरह निकल पाईं। इससे पहले वहां काफी कुछ हो चुका था और जाहिर तौर पर साहेब को शक था कि मानसी सोनी ने जो कुछ भी हुआ था उसे रिकार्ड कर लिया है। कहने की जरूरत नहीं है कि ब्लैक मेल करने का जो तरीका आप उपयोग करते हैं उसका डर आपको अपने खिलाफ भी किए जाने का डर रहता है।

इसलिए मानसी सोनी का पीछा करने और उसपर नजर रखने के लिए दो स्वतंत्र टीम लगाई गई। दोनों एक दूसरे से आजाद थी। इसके साथ आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा की बी खबर ली गई। इसमें उनका कैरियर नष्ट हो गया।

एक टीम का नेतृत्व अमित शाह ने किया था, जिसने सुश्री सोनी पर नजर रखने के लिए पुलिस के संसाधनों का उपयोग किया लेकिन साहेब दूसरी टीम के उपयोग में हमेशा एक कदम आगे रहते थे ।

मानसी सोनी बैंगलोर चली गई लेकिन वहां भी उनका पीछा किया गया। तब कहानी सार्वजनिक हो गई और इस मामले को ‘स्नूपगेट’ नाम मिला।

मानसी सोनी का परिवार दृश्य में आया और सबसे आपना काम करने को कहा । मामला धीरे-धीरे काल कवलित हो गया।

लेकिन आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा का कैरियर मोदी और शाह की जोड़ी ने नष्ट कर दिया गया और मानसी सोनी ने मीटू का मौकाहमेशा के लिए खो दिया ….

ये लोग कुछ शीर्ष पदों पर कब्जा कर पाए और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया।

कैसी विडंबना है ।



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