चुनाव चर्चा: तेलांगाना का चुनावी तिलिस्म और सेक्युलर रहने में नफ़ा-नुकसान तोलती TRS !

 

चंद्र प्रकाश झा 


 

तेलांगाना में सत्तारूढ़  ‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ के सर्वेसर्वा और स्वतंत्र भारत गणराज्य के इस नए राज्य के मुख्ययमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने जब प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में चार अगस्त 2018 को पिछली बार भेंट की तो हिन्दुस्तान का माहौल कुल मिलाकर चुनावी बन चुका था। ‘केसीआर’ के रूप में ज्यादा मशहूर राव साहिब को शायद लगा होगा कि देश में आम चुनाव अब कभी भी कराये जा सकते हैं।

केसीआर ने, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस के मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व के द्वितीय शासन-काल में कुछ हड़बड़ी में आंध्र प्रदेश से विभक्त कर सृजित किये गए इस नए राज्य तेलांगाना की राजधानी हैदराबाद लौटने के बाद, भारत संघ-राज्य के 72 वें स्वतन्त्रता दिवस, 15 अगस्त को चुनावी बिगुल बजा दिया है । केसीआर ने अपने राज्य के लोगों से एक पुरजोर अपील की। अपील थी कि लोग उन्हें इस राज्य को ‘स्वर्णिम तेलंगाना’ में परिणत करने के उनके प्रयास के प्रति समर्थन बरकरार रखें। उन्होंने स्वतन्त्रता दिवस पर इस राज्य के मुख्य राजकीय समारोह में अपने भाषण में मोदी जी की तारीफ करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। केसीआर ने मोदी जी के संसद में हालिया सम्बोधन में तेलांगाना के आंध्र प्रदेश से पृथक होकर ‘विकास के पथ पर परिपक्वता से आगे बढ़ने’ के जिक्र का विशेष उल्लेख किया। मोदी जी को इंगित करते हुए केसीआर ने ऐलान किया, ‘जैसा कि उन्होंने ( मोदी जी ) ने कहा है हमने घटिया राजनीति से हट कर और अनावश्यक विवाद को तूल देने के बजाय विकास कार्यों को श्रेयस्कर समझा है।’

मोदी जी के प्रति केसीआर का राजनीतिक और चुनावी मोह कोई नई बात नहीं है। उनकी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति ( टीआरएस ) ने राज्य सभा के उप सभापति के हाल के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस ( एनडीए ) में शामिल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल- यूनाइटेड के प्रत्याशी एवं प्रभात खबर हिंदी दैनिक के पूर्व सम्पादक, हरिवंश सिंह का समर्थन कर उन्हें विपक्षी दलों की लामबंदी के बाबजूद जीतने में मदद की थी. उसके पहले भी टीआरएस ने मोदी सरकार के विरुद्ध लोक सभा के मानसून सत्र में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रा बाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर मत-विभाजन में भाग नहीं लेकर उस प्रस्ताव का अप्रत्यक्ष रूप से साथ नहीं दिया था।टीआरएस ने राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में भी भाजपा के प्रत्याशियों क्रमशः रामनाथ कोविद और एम वेंकैया नायडू का खुल कर समर्थन किया था।

सियासी हल्कों में चर्चा है कि टीआरएस, मई 2019 के पहले निर्धारित आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा का हाथ थाम सकती है। केसीआर, हाल में मोदी जी से दो बार औपचारिक रूप से भेंट कर चुके हैं। वैसे टीआरएस, एनडीए में अभी शामिल नहीं है। केसीआर खुद कहते रहे हैं कि उनकी पार्टी का एनडीए के प्रति समर्थन, मुद्दों पर आधारित है। लेकिन भाजपा के तेलांगाना राज्य इकाई के प्रवक्ता कृष्णा सागर राव को सार्वजनिक रूप से यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं हुआ कि टीआरएस उन दलों में शामिल है, जो अगले आम चुनाव में एनडीए के  ‘नए मित्र’  बनने की राह पर चल रहे हैं।

टीआरएस नेतृत्व ने खुल कर ऐसा कुछ नहीं कहा है। पर संकेत दिए हैं कि टीआरएस का आम चुनाव के पहले नहीं तो चुनाव परिणामों के बाद में भाजपा से गठबंधन हो सकता है बशर्ते कि किसी को स्पष्ट बहुमत न मिले। स्पष्ट है कि केसीआर, चुनावी कदम फूँक-फूँक कर उठा रहे हैं। क्योंकि उन्हें बखूबी पता है कि तेलांगाना में अल्पसंख्यक मतदाता किसी भी पार्टी की संभावित जीत को हार और निश्चित हार को जीत में तब्दील कर सकते हैं। खुद टीआरएस ने 13 अगस्त को स्पष्ट करने की कोशिश की थी कि उनकी पार्टी ‘सेकुलर’  बनी रहेगी। उन्होंने कहा तो यही कि टीआरएस के भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन करने की कोई संभावना नहीं है।

आगामी आम चुनाव के लिए विभिन्न क्षेत्रीय दलों के संग मिल कर भाजपा- विरोधी महागठबंधन बनाने के लिए प्रयासरत कांग्रेस यह कहती रही है कि टीआरएस ने भाजपा के साथ गुप्त चुनावी समझौता कर लिया है। लेकिन टीसीआर इस कथन का खंडन कर कहते हैं कि वह अपने राज्य के विकास के लिए मोदी जी से मिलते रहे हैं और आगे भी उनसे भेंट करते रहेंगे। टीसीआर यह भी कहते हैं कि वह आगामी आम चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस , दोनों के ही खिलाफ क्षेत्रीय दलों का एक ‘फेडरल फ्रंट’  बनाने के अपने इरादे को लेकर अटल हैं। उनका कहना है कि वह किसी हड़बड़ी में नहीं हैं, फेडरल फ्रंट बनने में समय लग सकता है लेकिन उसकी वास्तविक जरूरत है। उन्होंने टीआरएस कार्यकारणी की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि उनकी पार्टी तेलांगाना में आगामी लोकसभा चुनाव ही नहीं विधान सभा के भी चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी। उन्होंने कहा कि इन चुनावों के लिए टीआरएस प्रत्याशियों के नामों की घोषणा सितम्बर 2018 से शुरू कर दी जाएगी।

तेलांगाना की मौजूदा विधान सभा का कार्यकाल, जुलाई 2019 में समाप्त होना हैं। संकेत हैं कि टीआरएस, विधान सभा के चुनाव समय से कुछ पहले लोकसभा चुनाव के साथ ही कराने के लिए तैयार है।

 



( मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)



 

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