अख़बारनामा: बीजेपी की मजबूरी को दरियादिली बता रहा है जागरण

संजय कुमार सिंह

आज के अखबारों में बड़ी राजनीतिक खबर बिहार में भाजपा, जनता दल यू (यानी नीतिश कुमार की पार्टी) और लोजपा (राम विलास पासवान) में सीटों का तालमेल तय होने की खबर ही है। 72 साल के राम विलास पासवान इमरजेंसी में जेल गए थे और 1977 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। इससे पहले 1969 में बिहार विधान सभा के सदस्य चुने गए थे। आठवीं बार के सांसद राम विलास पासवान 2010 से 2014 तक राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं और विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में श्रम मंत्री थे। 2004 में यूपीए की सरकार में रसायन और उर्वरक मंत्री थे। इससे पहले 1996 में वे रेल मंत्री रह चुके थे। इस समय वे उपभोक्ता मामलों के मंत्री हैं।

तीन राज्यों में भाजपा की हार के अगले दिन उनके पुत्र और सांसद चिराग पासवान ने वित्त मंत्रालय से पूछा था नोटबंदी से क्या फायदा हुआ? इस संबंध में लिखे पत्र में उन्होंने 17 नवंबर 2016 के पत्र का भी जिक्र किया था जो उन्होंने नोटबंदी के 10 दिन बाद लिखा था। ताजा पत्र में उन्होंने लिखा था, मैं निवेदन करता हूं कि देश को पिछले दो साल में नोटबंदी से किस तरह से फायदा हुआ है उसकी जानकारी दी जाए, 2019 के लोकसभा चुनाव काफी करीब हैं, लिहाजा नोटबंदी के फायदे की लिस्ट मुहैया कराई जाए, जिससे मैं चुनाव के दौरान इसके फायदे के बारे में लोगों को जानकारी दे सकूं।

इस पृष्ठभूमि में इतवार को दिल्ली में जब पारा गिरकर 3.7 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया तो भाजपा ने दर्ज किया गया और यह 12 वर्षों में दिल्ली का सबसे ठंडा दिसंबर रहा। इसी दिन लोकसभा चुनाव से पहले अपने एक सहयोगी को अलग होने से रोक लिया है। और इस तरह राजनीतिक तापमान नियंत्रण में रखने की कोशिश की है। आप जानते हैं कि भाजपा अपने दो सहयोगियों – तेलुगू देशम पार्टी और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (उपेन्द्र कुशवाह) को खो चुकी है। शिव सेना ने भी अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है। ऐसे में भाजपा के लिए लोजपा का महत्व समझा जा सकता है। खासकर तब जब राम विलास पासवान के अलग होने का मतलब जो लगाया जाएगा वह सब जानते हैं।

इसीलिए रामविलास पासवान ने राज्यसभा की सीट मांगी है और उन्हें देने का आश्वासन भी मिला है। भले ही यह सीट बढ़ती उम्र के कारण मांगी गई है पर इसका मतलब जीत सुनिश्चित करना भी है। क्या आपके अखबार में आपको यह सब बताया? याद दिलाया? आइए देखते हैं। वैसे तो अभी सीटों की संख्या ही तय हुई है और यह पता नहीं चला कि 22 सासंद वाली भाजपा किन पांच के टिकट काटेगी और दो सांसद वाले नीतिश कुमार कहां से किसे मैदान में उतारेंगे। पर अखबारों की खबरों से लगता है कि सब ठीक है।

दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर लीड है। शीर्षक है, “भाजपा की दरियादिली, राजग का बिहार में सीटों का बंटवारा तय”। उपशीर्षक है, “भाजपा व जदयू 17-17 और लोजपा छह सीटों पर लड़ेगी चुनाव”। इस खबर के साथ अंदर के पन्ने पर संबंधित सामग्री होने की सूचना है। वहां, सात कॉलम में शीर्षक है, “धनाढ्य घरानों का बेमेल गढजोड़ है महागठबंधन : मोदी”। इसके नीचे तीन कॉलम में खबर का शीर्षक है, “भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान पीएम ने कहा”।

यह खबर चेन्नई डेटलाइन से है और बताया गया है कि प्रधानमंत्री चेन्नई मध्य, चेन्नई उत्तर, मदुरै, तिरुचिरापल्ली और तिरुवल्लुर निर्वाचन क्षेत्रों के भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं से वीडियो संबोधन के जरिए कहा कि लोग धनाढ्य वंशों के एक बेतुके गठबंधन को देखेंगे। इसी के साथ दूसरी तीन कॉलम की खबर खबर अहमदाबाद डेटलाइन से है। शीर्षक है, “जसदण में भाजपा की जीत, गुजरात में शतक पूरा”। इसी के साथ यहीं सिंगल कॉलम में खबर है झारखंड के कोलेबिरा में कांग्रेस की जीत। मतलब भाजपा हारी तो एक कॉलम में और जीती तो तीन कॉलम में। झारखंड में कुल 82 विधानसभा सीटें हैं और भाजपा के पास 47 है। यहां किसी भी पार्टी की 100 सीटें तो होनी नहीं है पर 50 नहीं हुआ यह भी खबर हो सकती थी?

अंग्रेजी अखबारों में यह हिन्दुस्तान टाइम्स में लीड है। टाइम्स ऑफ इंडिया में भी पहले पन्ने पर है। सीटों के बंटवारे की सामान्य खबर की तरह। टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पेज की खबर के साथ फुल कवरेज अंदर होने की सूचना है। वहां एक विश्लेषण है, “भाजपा सहयोगियों को अचानक सौदेबाजी की शक्ति मिली”। हालांकि, इसी पेज पर चेन्नई वाली खबर भी है जिसमें प्रधानमंत्री ने महागठबंधन को अपवित्र कहा है। यानी खुद करें तो ‘दरियादिली’ और दूसरे दल वाले करें तो अपवित्र। गनीमत यह है कि इसे पहले पन्ने पर नहीं छापा। छाप ही देता तो हम लोग क्या कर लेते।

द टेलीग्राफ में यह खबर तीन कॉलम में लीड है। फ्लैग शीर्षक है, “नीतिश और पासवान मोदी पर म्यूट कर दिए गए”। मुख्य शीर्षक है, “भाजपा के सहयोगियों की कानफाड़ू चुप्पी” नई दिल्ली डेटलाइन से लिखी जेपी यादव की टेलीग्राफ की खबर यहां मौसम ठंडा होने की सूचना के साथ यह भी बताती है कि भाजपा की यह प्रेस कांफ्रेंस पार्टी के मुख्यालय में न होकर अमित शाह के घर पर हुई। इसमें कहा गया है कि अमित शाह ने एलान किया कि सहयोगियों ने आम राय से मिलकर चुनाव लड़ना और 2014 से ज्यादा सीटें जीतना तथा फिर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाना तय किया है। अखबार ने लिखा है कि पासवान और नीतिश दोनों ने मोदी का एक बार भी नाम नहीं लिया। एनडीए में भरोसा जताते हुए नीतिश ने कहा कि हमें 2014 के मुकाबले नहीं 2009 के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतना है। 2009 में राजग को बिहार की 40 में से 32 सीटें मिली थीं जबकि 2014 में 31 सीटें ही मिली थीं। इसबार जेडीयू राजग में नहीं थी।

नवोदय टाइम्स ने इस खबर के साथ तेजस्वी यादव का ट्वीट छापा है जो इस प्रकार है, “लोजपा और जदयू को दो साल बाद प्रधानमंत्री मोदी से नोटबंदी पर सवाल पूछने का फायदा मिला। जनादेश चोरी के बाद भी भाजपा बिहार में इतनी मजबूत हुई कि 22 वर्तमान सांसद होने के बावजूद 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 2 सांसद वाले नीतिश जी भी 17 सीट पर लडेंगे।” अब समझ जाइए राजग की कितनी पतली हालत है। नवोदय टाइम्स ने उपशीर्षक में लिखा है कि पासवान जाएंगे राज्यसभा। यह एक महत्वपूर्ण सूचना है जिसे अमूमन तवज्जो नहीं दी गई है।

अमर उजाला में यही खबर गुडी-गुडी छपी है। कुछ हाईलाइट्स गौरतलब हैं। बड़े-छोटे भाई का झगड़ा खत्म कर जुड़वां भाई का फार्मूला तय, पासवान को राज्यसभा भेजेंगे। त्याग और तोहफे से भाजपा ने बिहार में राजग को बचाया ….. और समझौता : जदयू को बनाया बराबर का भागीदार। कोई मतभेद शीर्षक खबर में कहा गया है, हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। राजग के साथ रहने का फैसला लेने के लिए चिराग का शुक्रिया। राम विलास पासवान, लोजपा अध्यक्ष। मतलब पिता पुत्र को शुक्रिया कहे और अखबार पहले पन्ने पर बताए। यही है राजनीति और यही है पत्रकारिता।

नवभारत टाइम्स ने इस खबर को टॉप बॉक्स बनाया है और शीर्षक लगभग वही है जो तेजस्वी का ट्वीट है। इसके मुकाबले हिन्दुस्तान में यह खबर लीड है और शीर्षक, महासंग्राम 2019 के लिए बिहार में चुनावी बिसात सजी। राजस्थान पत्रिका ने इसे तीन राज्यों में हार से जोड़ा है और शीर्षक लगाया है 22 सांसदों वाली भाजपा को 5 सीटें कम। देखिए, एक ही खबर को कितने ढंग से परोसा जा सकता है। जागरण जिसे दरियादिली कह रहा है उसे तेजस्वी राजग की पतली हालत बता रहे हैं और भाजपा बिहार में अपने पांच सांसदों का टिकट काटेगी पर राज्यसभा में रामविलास पासवान को भेजेगी। राजनीति और वह भी एंटायर पॉलिटिकल साइंस। बिहार में सब ठीक है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )


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