इस रंग बदलती दुनिया में इंसान की नीयत ठीक नहीं ….
संजय कुमार सिंह
दूसरी बड़ी गलती यह है हरिवंश के संपादक बनने से अगर झाऱंखड व बिहार को गर्व हो सकता है तो बलिया का क्या
इतनी सारी सूचनाओं को छोड़कर सिर्फ झारखंड औऱ बिहार को गर्व क्यों? जहां तक मेरी जानकारी है, हरिवंश संपादक के रूप में रांची में बैठते थे। तो बिहार को गर्व क्यों? और बिहार को गर्व है तो कोलकाता या बंगाल को क्यों नहीं? मैं नहीं कहता कि एक पाठक के रूप में मेरे इन सवालों का जवाब है ही नहीं। हो सकता हो, हो पर वह दिया क्यों नहीं गया। अखबार पाठक का होता है – मालिक, संपादक या पूर्व संपादक का नहीं। यह अंक ऐसा लग रहा है जैसे इसके पीछे की सोच हो – मेरी मर्जी।
यही नहीं, अखबार तो कोलकाता से भी निकलता है। हरिवंश का पत्रकारीय जीवन कोलकाता में भी बीता है। कोलकाता या बंगाल को गर्व क्यों नहीं? मेरी राय में यह सब आदमी को छोटा बनाने वाली पत्रकारिता है। या अहसान उतारने वाली पत्रकारिता है। पहले पेज पर सिंगल कॉलम में कुछ नई या पूरी जानकारी के साथ लिखी खबर इससे कम प्रभाव नहीं छोड़ती। लेकिन आज की पत्रकारिता यही है। मैं तो कहूंगा कि इस रंग बदलती दुनिया में इंसान की नीयत ठीक नहीं ….
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।