चंद्र प्रकाश झा
मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से ही कराया जाएगा जिसके साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर आडिट ट्रेल ( वीवीपीएटी ) का भी उपयोग किया जाएगा. छत्तीसगढ़ विधानसभा के पिछले चुनाव के लिए नवम्बर 2013 में मतदान हुआ था। चुनाव परिणाम 8 दिसम्बर को को घोषित किये गये थे। उसमें भाजपा को 49 , कांग्रेस को 39 और बसपा को एक सीट मिली थी। चार निर्दलीय भी जीते थे। राज्य में पन्द्रह साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार हैं।
चुनावी तैयारियां कुछ चौंका देने वाली है। राजस्थान पत्रिका ने खबर दी है कि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने 22 अरब खर्च कर मुफ़्त का जियो सिम युक्त 50 लाख स्मार्ट मोबाइल फोन निःशुक्ल बांटने की सरकारी योजना शुरू करने की ठानी है। स्मार्ट फोन उन लोगों को मिलेंगे जिनकी दस रुपए की भी ‘ परचेज पॉवर ‘ नहीं है। सवाल उठे हैं कि उनके हाथ में सरकारी मोबाइल तो आ जाएगा लेकिन उन्हें दो जून का भोजन उपलब्ध होगा यह निश्चित नहीं है। एक फोन की कीमत 4100 बताई जा रही है। इसे ग्रामीण ओर आदिवासी इलाकों के बेहतरी के लिये बनाई गई योजना बताया जा रहा है।
जबकि इस साल छत्तीसगढ़ में 2018-19 के पंचायत और ग्रामीण विकास के बजट में 16 प्रतिशत की कमी की गयी। छत्तीसगढ़ ने ग्रामीण विकास के लिये कुल बजट का 5.4 प्रतिशत आवंटन किया जो देश के 18 राज्यों के इस मद में खर्च किये जाने वाली औसत रक़म से भी कम है।
अरबो रुपयों की मुफ्त स्मार्ट मोबाइल योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार की संस्था छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) द्वारा किया जा रहा है. बताया जाता है कि माइक्रोमैक्स कम्पनी के इस मोबाइल फोन के साथ ही इंस्टाल्ड सिम कार्ड भी दिया जाएगा, लाभार्थियों को दिये जाने वाले फोन में 2 जीबी रैम, 16 जीबी स्टोरेज, 8 मेगा पिक्सल का बैक और 5 मेगा पिक्सल का फ्रंट कैमरा रहेगा छत्तीसगढ़ में देश की सबसे कम कनेक्टिविटी है। सो 600 करोड़ रुपये मोबाइल टावरों की स्थापना पर खर्च किये जायेंगे।
इसके पहले भी छत्तीसगढ़ में वोटरों को रिझाने के लिए ‘ गिफ्ट’ के रूप साड़ी, जूते-चप्पल, शराब की बोतल बांटने की खबरे आती थी। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एक रुपए में एक किलो चावल देने की सरकारी लोकलुभावन योजना शुरू कर दी। तर्क दिया गया कि यह चावल उन आदिवासी इलाकों में भुखमरी रोकेगा जहां छत्तीसगढ़ से लगे ओडिशा के कालाहांडी जैसे हालात हैं।
दूसरी खबर भी गौरतलब है। राज्य में ऐसे 3, 630 मतदाताओं की शिनाख्त हुई हैं जिनकी आयु 100 साल से अधिक है। निर्वाचन आयोग , आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उनका सत्यापन कर रहा है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुब्रत साहू के अनुसार राज्य में 100 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के सत्यापन में पाया गया कि इनमें से कुछ की मृत्यु हो चुकी है और कुछ की उम्र गलत दर्ज है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. उन्होंने 2004 के विधान सभा चुनाव के बाद नई सरकार बनाई थी। 15 अक्टूबर 1952 को पैदा हुए रमन सिंह , 1990 और 1993 में मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे थे। वह 1999 में लोकसभा के भी सदस्य चुने गये थे। उन्होंने 1999 से 2003 तक केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री का पद संभाला था। वह पेशेवर डाक्टर हैं। उन्होंने 1975 में आयुर्वेदिक मेडिसिन में बी.ए.एम.एस. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भारतीय जनसंघ के सदस्य के तौर पर राजनीति शुरू की थी।
उधर , छत्तीसगढ़ के नए राज्य के मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी की नेतृत्व वाली पार्टी , जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 11 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा पिछले बरस अक्टूबर में ही कर दी थी। कांग्रेस से अलग होने के बाद अजीत जोगी ने नई पार्टी का गठन कर सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वह 9 नवम्बर 2000 से 6 दिसम्बर 2003 तक मुख्यमंत्री रहे थे। अजीत जोगी, इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहे। बाद में वह मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ( अब दिवंगत ) अर्जुन सिंह के कहने पर कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में आये। वह विधायक और सांसद भी रह चुके हैं। अजीत जोगी ने आगामी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को हाल में पूरी तरह नकारते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर कटाक्ष कर कहा कि वह खुद ‘ पैराशूट’ वाले नेता हैं। राहुल गांधी ने हाल में रायपुर में कहा था कि चुनाव में ‘ पैराशूट वाले नेताओं की रस्सी काट दी जाएगी ‘ ।
गौरतलब है कि अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने कांग्रेस से बिलासपुर के कोटा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया है. इस पर अजीत जोगी का कहना है कि रेणु जोगी स्वतंत्र है, जहां और जिसकी टिकट पर चाहें चुनाव लड़ सकती हैं. लेकिन वह खुद राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होकर क्षेत्रीय पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं जाएंगे.
इस बीच , कांग्रेस मध्य प्रदेश, और राजस्थान की ही तरह छत्तीसगढ़ में भी दलित मतदाताओं का समर्थन जुटाने के लिए बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने पर विचार कर रही है। उन्होंने हाल में इन तीनों राज्यों के पार्टी प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की। बैठक में बसपा के साथ गठबंधन की योजना पर भी विचार किया गया। इसमें चुनाव प्रचार की तैयारियों और टिकटों के आवंटन को लेकर भी चर्चा होने की खबर है। बताया जाता है तीनों राज्यों में बसपा के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में लगभग आम सहमति है. लेकिन गठबंधन की सीटों की संख्या को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं हो सकी है. बैठक में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश पटेल भी मौजूद थे. चुनाव पूर्व के सर्वेक्षणों के अनुसार कांग्रेस और बसपा का गठबंधन हो जाने से भाजपा की दुश्वारियां बढ़ सकती हैं।
( मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)