चुनाव चर्चा: राज्यसभा चुनाव का लेखा-जोखा और इतिहास की गरिमा से शर्मिंदा वर्तमान!


चन्द्र प्रकाश झा 

भारत की संसद के उच्च सदन , राज्यसभा की अप्रैल में रिक्त हो रही सभी 59 सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव संपन्न हो गए है। इनमें से 33 सीटों पर निर्वाचन की प्रक्रिया निर्विरोध 15 मार्च को ही पूरी हो गई थी। शेष  25 सीटों पर चुनाव के लिए  23 मार्च  को मतदान कराये गए जिनमें 10 उत्त्तर प्रदेश की थीं। भाजपा को इस चुनाव से फायदा तो हुआ है लेकिन वह अभी भी सदन में बहुमत से दूर ही है. मीडिया ने राज्यसभा की इन सीटों सीटों पर चुनावों में भाजपा के पक्ष  में ‘क्रासवोटिगं’ को  उसकी रणनीतिक और  सूक्ष्म प्रबंधन की सफलता निरूपित की . प्रबंधन में रुपया, रसूख, पद, ब्लैकमेलिंग सब शामिल है। मीडिया ने  यूपी की नौवीं सीट पर भाजपा की जीत को गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनावों में हुयी उसकी  पराजय का “योगी का बदला” बताया।
निर्वाचित  सदस्यों में  उत्तर प्रदेश से  केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (भाजपा) प्रमुख है जो पिछले छह बरस से गुजरात से सदन के सदस्य थे . वह 2014 में लोक सभा के पिछले चुनाव में अमृतसर सीट पर कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह से हार गए थे जो बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री बने. राज्य सभा की निवर्तमान सदस्य फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन (सपा) भी छह बरस के एक और कार्यकाल के लिए फिर उत्तर प्रदेश  से ही निर्वाचित होने में कामयाब रहीं .केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर 15 मार्च को ही निर्विरोध जीत गए थे. बाद के चुनाव में जीतने वालों में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (बंगाल) , भाजपा प्रवक्ता नरसिम्हा राव ( यूपी ) और कर्नाटक से रिपब्लिक टीवी के मालिक राजीव चंद्रशेखर ( भाजपा )प्रमुख हैं। निवर्तमान सदस्यों में से जो चुनांव में नहीं उतरे उनमें राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य ,क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर और अभिनेत्री रेखा प्रमुख हैँ .
उत्तर प्रदेश :
इस राज्य से भाजपा ने नौ सीटें जीत कर राज्य सभा मे अपनी ताकत बढ़ाई . एक सीट सपा को भी मिली. बसपा हार गई .भाजपा का चुनावी सूक्ष्म प्रबंधन कामयाब रहा. राज्यसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को म‍िली हार के बाद पार्टी प्रमुख मायावती ने  प्रेस कॉन्फ्रेंस  में कहा कि गोरखुपर और फूलपुर में चुनाव में मिली हार के बाद राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने साजिश रची. बीजेपी गलत काम करने से बाज नहीं आ रही है. बीजेपी की अराजकता की वजह से राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा. बसपा अब अपनी नई रणनीति पर काम करेगी.  मायावती ने कहा कि  बीजेपी सरकार के पास सीबीआई और ईडी जैसे  ‘हथियार’  हैं जिसके जरिये वह  विपक्ष को डराने की कोशिश कर रही है . बीजेपी के तमाम हथकंडों के बावजूद बसपा के  भीमराव अंबेडकर को ज्यादा वोट मिले हैं. राज्यसभा चुनाव में बसपा को हराने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी. वहीं बसपा के एक उम्मीदवार ने ‘ दगाबाजी ‘ की. मायावती ने कहा कि बीजेपी के भी एक दलित विधायक ने अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर बसपा उम्मीदवार को वोट दिया. उन्होंने राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए कांग्रेस और सपा के विधायकों का अभार जताया. गौरतलब है कि विधानसभा में बसपा  के अपने  सिर्फ 19 सदस्य हैँ जिनमें से एक अनिल सिंह भाजपा के पाले मेंं चले गए और एक मुख्तार अंसारी जेल में बंद हैं .भाजपा के पास अपने आठ प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले मतों के अलावा 28 अतिरिक्त मत थे इसलिये उसने अपना नौवां प्रत्याशी बसपा के खिलाफ चुनाव मैदान में  उतार दिया. उसे नौंवी सीट भी जितने के लिए 8-9 वोट और जुटाने थे जो उसने साम , दाम , दंड , भेद से जुटा भी लिये. बसपा को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था लेकिन उसे सपा के अतिरिक्त वोट और कांग्रेस के सात मत तो मिले लेकिन राष्ट्रीय लोक दल का समर्थन उसके वादे के बावजूद नहीं मिला.स्पष्ट है कि भाजपा ने यह वादा तुड़वा लिया . सपा प्रत्याशी को जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 37 मत ही चाहिए थे पर कुल 38 वोट मिले जो उसके मत प्रबंधन में दोष दर्शाता है . बसपा के खिलाफ भाजपा के अनिल अग्रवाल की जीत सूक्ष्म प्रबंधन ही था .
कर्नाटक : 
कर्नाटक में, जहां विधानसभा के नए चुनाव इसी वर्ष अप्रैल -मई में निर्धारित हैं, राज्यसभा की सभी चार सीट के चुनाव बिन-विरोध संपन्न हो सकते थे।  लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के जनता दल प्रत्याशी के विरुद्ध अपना तीसरा उम्मीदवार खड़ा कर दिया।  रिपब्लिक टीवी के मालिक और रक्षा सेवाओं के विवादित वैश्विक कारोबारी, राजीव चंद्रशेखर पिछली बार बतौर निर्दलीय भाजपा के समर्थन से जीते थे। इस बार वह बतौर भाजपा प्रत्याशी जीते हैं।  कांग्रेस के सभी तीन प्रत्याशी, डॉ  एल हनुमनथैया , डा सईद नासिर हुसैन और जी सी चंद्र शेखर जीतने में सफल रहे।   विवाद , राजीव चंद्रशेखर के ‘हितों के टकराव’ को लेकर है। शराब कारोबारी विजय माल्या , भारतीय बैंकों से लिए सैंकड़ों करोड़ रूपये के ऋण और ब्याज चुकाए बगैर लन्दन फरार होने के पहले इसी तरह कर्नाटक से बतौर निर्दलीय भाजपा के समर्थन से जीते थे। माल्या के भी मामले में भी ‘ हितों का टकराव ‘ था। उन्हें किंगफिशर विमानन कम्पनी का मालिक होने के बावजूद विमानन मामले की संसदीय सलाहकार कमेटी सदस्य भी बना दिया गया था। राजीव चंद्रशेखर, रक्षा कारोबारी होने के बावजूद रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार कमेटी के सदस्य भी हैं।
झारखंड : 
झारखंड  में राज्यसभा की दो सीटों में से  एक पर भाजपा  प्रत्याशी और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष समीर उरांव तो निर्वाचित हो गए। लेकिन दूसरी सीट पर उसके प्रत्याशी  प्रदीप कुमार सोंथालिया को संयुक्त विपक्ष समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी धीरज साहू ने दशमलव शून्य एक ( .01 ) मत से हरा दिया . यह भारत में  सबसे कम अंतर से हुई  जीत है।
भाजपा ने यह कहते इस परिणाम को अदालत में चुनौती देने का ढिंढोरा पीटा कि चुनाव के दिन ही कोर्ट से दो साल की सज़ा पाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) विधायक अमित महतो का वोट अवैध है. बीजेपी प्रत्याशी समीर उराँव को 27, कांग्रेस के धीरज साहू को 26 और बीजेपी के प्रदीप कुमार सोंथालिया को 25.99 वोट मिले थे. चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग हुई थी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) ने अपने विधायक प्रकाश राम को पार्टी से निलंबित कर दिया . विपक्ष का कहना है कि चूंकि वोटिंग के वक़्त तक अमित महतो को सज़ा नहीं सुनायी गयी थी. ऐसे में उनके वोट को रद्द करने का कोई क़ानूनी आधार नहीं है. झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष  एवं कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने कहा कि  मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्पीकर फ़ैसला नहीं ले सकते.  अमित महतो ने जब सुबह क़रीब सवा नौ बजे वोट दिया तब तक  उन्हें सज़ा नहीं सुनायी  थी. वह क़ानूनन विधायक थे. किसी भी विधायक की सदस्यता रद्द करने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष करते हैं. इसके लिए उनके कार्यालय को  अदालत के  आदेश की प्रति मिलनी आवश्यक है. जिस वक़्त अमित महतो ने वोट दिया, तब तक स्पीकर ने उनकी सदस्यता रद्द नहीं की थी. सिल्ली से झामुमो विधायक अमित महतो को एक सरकारी अधिकारी से साल 2006 में की गयी मारपीट के मामले में अदालत ने 23 मार्च की दोपहर दो साल की सज़ा सुनाई थी.
पश्चिम बंगाल  : 
पश्चिम बंगाल  की छह सीटों में से एक पर विपक्षी कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी जीते .अन्य सभी सीटें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खाते में गई . मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एकमात्र प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ गया .
तेलेंगाना : 
इस नए राज्य में  सत्तारूढ़ तेलेंगाना राष्ट्र समिति ने राज्य सभा की तीनों सीटें जीत ली .पूर्व मंन्त्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी पी बलराम नायक हार गए .

इतिहास : 

स्वतंत्र भारत में द्वितीय सदन की उपयोगिता अथवा अनुपयोगिता के संबंध में संविधान सभा में विस्तृत बहस हुई और द्विसदनी विधानमंडल बनाने का निर्णय मुख्य रूप से इसलिए किया गया  कि  परिसंघीय प्रणाली को विविधताओं वाले विशाल देश के लिए सर्वाधिक सहज  माना गया।  संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाते हैं . 238 सदस्य राज्यों के और संघ -राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं। राज्य सभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और संघ- राज्य क्षेत्र दिल्ली तथा पुडुचेरी के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित हैं। राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। संविधान की चौथी अनुसूची में राज्य सभा में राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को स्थानों के आवंटन का उपबंध है। स्थानों का आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों के पुनर्गठन तथा नए राज्यों के गठन के परिणामस्वरूप, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को आवंटित राज्य सभा में निर्वाचित स्थानों की संख्या वर्ष 1952 से लेकर अब तक समय-समय पर बदलती रही है। प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार किया जाता है।  राज्य सभा एक स्थायी सदन है और यह भंग नहीं होता।  प्रत्येक दो वर्ष बाद राज्य सभा के एक-तिहाई सदस्य सेवा-निवृत्त हो जाते हैं। राज्यसभा के सद्स्य मंत्रि परिषद के सदस्य बन सकते है . सभापति का कार्यकाल 5 वर्षों का ही होता है, राज्यसभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति का भी चयन करती है।  राज्य सभा में वर्ष 1969 तक वास्तविक अर्थ में विपक्ष का कोई नेता नहीं होता था। उस समय तक सर्वाधिक सदस्यों वाली विपक्षी पार्टी के नेता को बिना किसी औपचारिक मान्यता विपक्षी नेता मानने की प्रथा थी। विपक्ष के नेता के पद को संसद में ” विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम (1977 ) द्वारा मान्यता प्रदान की गई।
संपत्ति 
इस बीच ‘ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ‘ नामक एक गैर-सरकारी संगठन की जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्यसभा के मौजूदा 229 सदस्यों में से 201 अर्ध-अरबपति  हैं .उनकी औसत संपदा 55 करोड़ रुपये की है . सबसे अमीर राज्यसभा सदस्य बिहार से जनता दल ( यूनाइटेड ) के महेंद्र प्रसाद है जिनकी घोषित  संपत्ति करीब 4 हज़ार करोड़ रुपये की है . जया बच्चन की घोषित संपदा एक हज़ार करोड़ रुपये की है.  मौजूदा 51 राज्य सभा सदस्यों का आपराधिक रिकार्ड है . इनमें सबसे ज्यादा 14 भाजपा के और 8 कांग्रेस के हैं .

(चंद्र प्रकाश झा  वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)



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