आज हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर दो परस्पर विरोधी खबरें हैं। लीड सरकारी प्रचार है, मार्च में जीएसटी वसूली 1.30 लाख करोड़ का निशान छू लेगी। शीर्षक में कलेक्शन लिखा है और इसका मतलब होता है संग्रह लेकिन सरकार जिस ढंग से जीएसटी वसूली कर रही है उसमें इसका बढ़ना खबर नहीं है और हो भी कैसे, जब लोगों की आय घट रही है। आय घटेगी तो खरीदारी कम होगी और खरीदारी कम होगी तो जीएसटी कम आएगा। पर सरकार लगातार बता रही है कि वसूली बढ़ रही है पर कैसे यह नहीं बता रही है। यह भी नहीं कि राज्यों का हिस्सा क्यों नहीं दिया जा रहा है या उस मोर्चे पर भी कोई परेशानी है।
इस बारे में एक खबर कल द टेलीग्राफ में थी। इस खबर के अनुसार, अनुमान है कि 2020-2021 से लेकर 2022-23 की पहली तिमाही तक राज्यों के हिस्से में 7.1 लाख करोड़ रुपए के भुगतान की कमी रहेगी जबकि जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत संग्रह 2.25 लाख करोड़ ही होना है। केंद्र सरकार वसूली बढ़ने का ढिंढोरा तो पीट रही है पर राज्यों का हिस्सा कम हो रहा है यह नहीं बता रही है। मेरे ख्याल से वसूली बढ़ने के दावों पर बात नहीं करने के लिए इतना भर पर्याप्त है लेकिन हिन्दुस्तान टाइम्स ने आज इस खबर को लीड बना दिया है। दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय कम होने की खबर के साथ।
द हिन्दू में जीएसटी वाली खबर नहीं है पर दिल्ली में प्रतिव्यक्ति आय कम होने वाली खबर जरूर है। यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में भी है। इंडियन एक्सप्रेस में दोनों ही खबर पहले पन्ने पर नहीं है। द टेलीग्राफ में आज रेलवे के एक दफ्तर में आग लगने और नौ लोगों के मारे जाने की खबर है। दुर्घटना की यह खबर कोलकाता की है इसलिए द टेलीग्राफ में तो लीड है पर दिल्ली में सिर्फ हिन्दू में पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में दिखी। द टेलीग्राफ में सिंगल कॉलम में दिल्ली की एक खबर है। कल संसद में विपक्ष ने पेट्रोल की बढ़ती कीमत पर चर्चा करने की मांग की पर सरकारी पक्ष का कहना था कि महिला दिवस पर चर्चा निर्धारित है। अखबार ने लिखा है कि गुस्सा इतना ज्यादा था कि महिला दिवस की आड़ लेने की सरकार की पोल खुल गई।
हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर है, ‘ईंधन की कीमत पर सदन के सत्र की हंगामी शुरुआत”। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर नहीं है। यहां तीन कॉलम की महिलाओं की एक तस्वीर है, महिलाएं मोर्चे पर। कैप्शन से पता चलता है कि सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला किसान दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर इकट्ठा हुईं। द टेलीग्राफ में एक खबर और फोटो से बताया गया है कि ममता बनर्जी ने ईंधन की कीमतों को लेकर कोलकाता में महिलाओं की एक रैली का नेतृत्व किया। इस तरह खबर यह भी है कि राज्यों के विधानसभा चुनाव के कारण बजट सत्र जो आठ अप्रैल को पूरा होने वाला था 25 मार्च को ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।
महिला दिवस पर दिल्ली में टीकरी बॉर्डर पर महिला किसान इकट्ठा हुईं और कोलकाता में ममता बनर्जी के नेतृत्व में ईंधन की कीमतों के खिलाफ रैली निकाली पर अखबार (लीड के जरिए) बता रहे हैं कि जीएसटी वसूली बढ़ी। इंडियन एक्सप्रेस की लीड है, “रूस ने भारत को अलग रखा, अमेरिका दिल्ली को अफगान शांति वार्ता योजना के लिए वार्ता मेज पर ले आया”। द हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड सुप्रीम कोर्ट की खबर है। इंडियन एक्सप्रेस में यह पहले पन्ने पर दो कॉलम में है, टॉप पर। इस खबर के मुताबिक अदालत ने आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा पर राज्यों के विचार मांगे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने मुंबई में इस खबर को सेकेंड लीड कर दिया है और प्रदेश में महिलाओं के घर खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में एक प्रतिशत छूट देने की खबर को लीड बनाया है। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट वाली खबर के शीर्षक में मराठा कोटा जोड़ दिया है जो दिल्ली में नहीं है।
आज पहले पन्ने की प्रमुख खबरों में एक है, मुंबई में अंबानी के घर के बाहर मिली गाड़ी और बम का मामला। इस मामले की जांच एनआईए ने ले ली है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के शीर्षक का एक अंश है, मामला गडबड़ लगता है। टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक है, केंद्र ने एसयूवी का मामला एनआईए को सौंपा, महाराष्ट्र सरकार के साथ नए विवाद की शुरुआत। मुंबई में अखबार ने इसे पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर लीड बनाया है। शीर्षक वही है।
आज की खास खबरें
टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर अपने सर्वेक्षण की खबर दी है और बताया है कि पश्चिम बंगाल, केरल और असम में सत्तारूढ़ पार्टियों के फिर से जीत जाने की संभावना है जबकि तमिलनाडु और पुडुचेरी में सरकार बदलेगी। टीएमसी को बंगाल में 294 में से 154 सीटे मिलने का अनुमान है। अखबार ने पहले पन्ने पर बताया है कि खबर अंदर है।
इंडियन एक्सप्रेस में दो खबरें हैं – एक उत्तराखंड की राजनीति पर है। मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंचे और पार्टी प्रमुख से मिले। दूसरी खबर, भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) पर प्रतिबंध से संबंधित है। शीर्षक है, पत्रकारिता से अनुसंधान : ओसीआई पर पाबंदियां पहले कागज पर थीं, अब कानूनी हैं। यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पत्रकार तवलीन सिंह के बेटे जो ओसीआई थे, ने टाइम पत्रिका के लिए एक खबर की तो उनका ओसीआई का दर्जा वापस ले लिया गया। भले यह नियमानुसार किया गया पर सरकार को यह सजा पर्याप्त नहीं लगी और भविष्य में पत्रकारिता और तमाम दूसरे काम बगैर इजाजत नहीं किए जा सकते हैं।
खबर में इसका पूरा विवरण है और यह पर्याप्त गंभीर है। लेकिन दूसरे अखबारों को शायद अभी खबर नहीं है। यह खबर अगर हो तो अंदर के पन्ने लायक तो नहीं है। इस खबर और कई अन्य खबरों से पता चलता है कि लोकप्रियता का दावा करने वाली सरकार विरोध करने वालों को कैसे नियंत्रित कर रही है और उनकी संख्या भी कम करने का इंतजाम करती जा रही है। हालांकि वह इस कॉलम का विषय नहीं है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।