पहला पन्ना: प्रधानमंत्री के प्रचार में लगे अख़बारों ने उनके चुनावी भाषण नहीं छापे! 

आज सबसे पहले प्रधानमंत्री की कल की चुनावी सभाओं की रैली से जुड़ी खबरों के शीर्षक पढ़िए और अपने प्रचारक प्रधानमंत्री तथा बंगाल फतह करने की उनकी कोशिशों को जानिए। आप जानते हैं कि वे कई साल से देश के प्रधानमंत्री हैं और कितना क्या काम कर रहे हैं। इन दिनों देश जब कोविड के डर से मर रहा है और अंतिम संस्कार के लिए लाइन लग रही है, जलती चिताओं के भयावह दृश्यों को छिपाने के लिए टीन की दीवारें बना दी गई हैं प्रधानमंत्री जोर-शोर से प्रचार में लगे हुए हैं और कोई पुराना फॉर्मूला नहीं छोड़ा है। लगभग रोज किसी दैनिक यात्री की तरह सरकारी विमान से दिल्ली बंगाल अप-डाउन कर रहे हैं और सरकारी खर्चे पर भाजपा के प्रचार में लगे हुए हैं। इसके तहत किसी सड़क छाप लड़के की तरह मुख्यमंत्री को ‘दीदी ओ दीदी’ करने के लिए चर्चित हैं। आठ चरण में चुनाव और मतदान के दिन रैली करने का तरीका अब पुराना हो चला। आज उसी को देखें, जानें और समझें। 

द टेलीग्राफ की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री ने कल अपने चुनावी भाषण में 2018 की हिंसा की चर्चा की और आसनसोल में वहां के लोगों को उसकी याद दिलाई। अखबार ने इसे क्लैश लिखा है और मुख्य शीर्षक है, क्या आपका मतलब गुजरात दंगों से है? अखबार ने लिखा है कि चुनाव जीतने की हताशा में वे ध्रुवीकरण के तरीके का उपयोग कर रहे हैं जो वैसे भी छिपा हुआ नहीं है। दल बदलू भाजपा उम्मीदवार हैं सो अलग पर इससे भी बड़ी बात है कि उनके मुख्यमंत्री रहते देश का सबसे बड़ा दंगा हुआ था पर ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि उन्हें इस विडंबना की याद है। यही नहीं, भाजपा ने उस समय पंडेश्वर के पूर्व विधायक और आसनसोल के मेयर जितेन्द्र तिवारी पर दंगे के दौरान मूक दर्शक बने रहने का आरोप लगाया था। अब वे भाजपा में हैं और चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री उनका प्रचार कर रहे हैं और उसी दंगे को याद कर रहे हैं। 

कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार हैं  

  1. तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि उसकी नेता ममता बनर्जी का फोन टैप कराया जा रहा है। (द टेलीग्राफ, पहले पन्ने पर)
  2. मोदी ने कहा, तृणमूल चुनाव आयोग पर दबाव डाल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ममता बनर्जी सीतलकुची में हुई मौतों पर राजनीति कर रही हैं। 
  3. भाजपा ने चुनाव आयोग से अपील की है कि ममता के ऑडियो क्लिप की जांच की जाए। (दोनों खबरें द हिन्दू के अंदर के पन्ने से) 
  4. टाइम्स ऑफ इंडिया में दोनों खबरें पहले पन्ने पर हैं। इसके साथ यह भी कि पांचवें चरण में मतदान कम हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया में अंदर इस खबर का शीर्षक है, दीदी ने कहा उनकी निगरानी हो रही है; प्रधानमंत्री ने कहा, उनकी रणनीति काम नहीं करेगी (इससे लगता है कि वे चुनाव लड़ने और भाषण देने के ही उस्ताद हैं, प्रचारकों ने कुछ और छवि बना रखी है।) 
  5. बंगाल में कोविड के साये में मतदान हो रहा है और टीएमसी विधायक की मौत हो गई जबकि चार उम्मीदवार बीमार चल रहे हैं। 
  6. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कोविड की दूसरी लहर वहीं है जहां चुनाव नहीं हो रहे हैं इसलिए इसे चुनाव से जोड़ना ठीक नहीं है। (दोनों खबरें इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर)। 
  7. चुनाव आयोग ने भाजपा की सहायता के लिए प्रचार पर रोक लगाए हैं : मुख्यमंत्री 
  8. ग्रामीणों ने केंद्रीय बलों पर गोली चलाने का आरोप लगाया (कल फिर मतदान के दौरान) 
  9. ध्रुवीकरण कुछ लोगों को परेशान करता है 
  10. धार्मिक आधार पर बंटवारा नहीं है। कभी नहीं : कमरहाटी (चार खबरें टेलीग्राफ की) 
  11. इन खबरों के बीच हिन्दी के कुछ शीर्षक ज्यादा अच्छे लगे। एक है, खुद को समझती हैं संविधान से ऊपर, हो जाएंगी पूर्व मुख्‍यमंत्री … प्रधानमंत्री   
  12. दीदीसेना तक को बदनाम करती हैं, खुद को संविधान से ऊपर समझती हैं: पीएम मोदी


महीने
भर घिसटने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव के शुरू में मैंने लिखा था कि बंगाल चुनाव से संबंधित रैलियों और जनसभाओं की खबरें दिल्ली के अखबारों (खासकर पहले पन्ने) पर नहीं छपती हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी की रैली की खबर प्रमुखता से छपती है क्योंकि प्रदेश में भाजपा के मुख्य प्रचारक प्रधानमंत्री ही हैं। प्रधानमंत्री के महत्व मिलना स्वाभाविक है लेकिन अब स्थिति काफी बदल गई है। आज के अखबारों में प्रधानमंत्री की रेली की खबर कम और कोविड से निपटने का उनका ढोंग ज्यादा प्रमुखता से छपा है। 

 

हिन्दुस्तान टाइम्स में लीड है, “बाकी के कुम्भ को केवल प्रतीकात्मक बनाया जाए प्रधानमंत्री इंडियन एक्सप्रेस में भी यह खबर पहले पन्ने पर है लेकिन सिंगल कॉलम में, “प्रधानमंत्री की अपील पर अखाड़ों ने कुम्भ मेंप्रतीकात्मकडुबकी लगाने का विकल्प चुना टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक है, “प्रधानमंत्री नेप्रतीकात्मककुम्भ की अपील की तो सबसे बड़ा अखाड़ा कुम्भ से अलग हुआ आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल देव दास, 65 का कोविड 19 के कारण हरिद्वार के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। इसके बाद देश के दूसरे सबसे बड़े, निरंजनी अखाड़ा ने गुरुवार, 15 अप्रैल को महाकुम्भ से अलग होने की घोषणा कर दी थी।  इसके बाद प्रधानमंत्री की अपील का यह मतलब भी हो सकता है कि कुम्भ को प्रतीकात्मक रूप से जारी रखा जाए। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया कह रहा है कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद ऐसा हुआ।  इसे कहते हैं, छवि निर्माण। अब यह छिपा नहीं रह गया है कि अपने प्रचारकों के जरिए भारतीय जनता पार्टी सिर्फ प्रधानमंत्री की छवि बनाने का काम करती है बल्कि उनके सबसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी की छवि खराब करने का भी काम करती है। पर वह अलग मुद्दा है। 

हिन्दू ने ऐसी खबरों से अलग, ज्यादा अस्थायी अस्पतालों और आईसोलेशन सेंटर  की जरूरत की प्रधानमंत्री की अपील को लीड बनाया है। यह जरूरत एक साल से है और प्रधानमंत्री को इसकी जरूरत अब महसूस हुई और अभी भी वे अपील ही कर रहे हैं यह सब बड़ी खबर है। लेकिन 18 घंटे रोज काम करने वाले प्रधानमंत्री ने कल पश्चिम बंगाल में मतदान के दिन रैली की और उसमें जो कहा वह पहले पन्ने पर नहीं है। पांचवें चरण में छिटपुट हिंसा की खबर जरूर सेकेंड लीड है। लेकिन दिल्ली जैसा शहर (या राज्य) आईसीयू बेड तथा ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है यह खबर हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रमुखता से छापी है। साथ में गाजियाबाद के हिन्डन क्षेत्र के श्मशान की तस्वीर है जिससे पता चलता है कि वहां ऐसी जगह लाशें जलाई गई हैं जहां अमूमन नहीं जलती हैं। 

वह भी तब जब गाजियाबाद ने आधिकारिक तौर पर अप्रैल में अभी तक कोविड से दो मौतों की खबर दी है। इसके बावजूद श्मशान घाट पर भीड़ है और लोग फुटपाथ पर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर हैं। हिन्दू में सरकार का प्रचार पूरा है। इसमें बताया गया है कि पीएम केयर्स के धन से 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 162 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले वेंटीलेटर खरीदने की खबरें भी आई थीं। लेकिन एक साल बाद जब कई लोग मर गए तब यह ख्याल क्यों आया मैं समझ नहीं पाया। दरअसल प्रचार के अंदाज में प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से लिखी पूरी खबर मैं पढ़ नहीं पढ़ पाया। 

टेलीग्राफ के पहले पन्ने से पता चलता है कि कल बंगाल में या बंगाल चुनाव के सिलसिले में क्या सब हुआ। आज अंदर के पन्नों से बंगाल की चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री के भाषण की खबरों पर आने से पहले आपको यह भी बताना जरूरी है कि देश में कोविड की स्थिति पर कल आया कांग्रेस का बयान आज दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है या ऐसे शीर्षक है कि आप उसका महत्व आंक पाएं। उदाहरण के लिए, हिन्दुस्तान टाइम्स में इस खबर का शीर्षक है, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि 25 साल से ऊपर के हर किसी को टीका लगना चाहिए। टेलीग्राफ में इसका शीर्षक है, कोविड की बेवकूफी (ब्लंडरयानी भारी भूल, बुरी तरह चूकना, कुप्रबंध, बिना सोचे समझे काम करना आदि) के लिए उंगली प्रधानमंत्री पर। 

इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर तो नहीं है, परकेजरीवाल ने सतर्क किया : ऑक्सीजन और दवाइयां खत्म हो रही हैं स्थिति बेहद गंभीर है। कोविड से अब तक (गाजियाबाद की स्थिति आप पहले पढ़ चुके हैं) देश भर में दो लाख मौतें हो चुकी हैं, एक दिन में कल 1340 मौतों की संख्या पहले पन्ने पर नहीं थी आज भी नहीं है और अभी करीब डेढ़ करोड़ लोग संक्रमित हैं पर ऐसा कोई राउंडअप किसी अखबार में पहले पन्ने पर नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह आज भी अधपन्ने के पीछे है। पहले पन्ने पर सिर्फ दिल्ली की अलग खबर है। 

आपको याद होगा महाराष्ट्र में मामले बढ़े लगातार कई दिनों तक कितनी गंभीरता से छपता रहा। अब जब देश भर में हालत गंभीर है तो खबरें गायब हैं। प्रधानमंत्री और सरकार के कामों के इस प्रचार के बीच द हिन्दू ने पहले पन्ने पर छापा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कल प्रधानमंत्री से बात नहीं कर पाए। अखबार ने लिखा है कि शनिवार को सवेरे 10:30 बजे उद्धव ने तीसरी बार फोन किया था। वे शुक्रवार से प्रचार कर रहे थे। सामान्य शिष्टाचार है कि कोई फोन कर रहा है यह पता चल जाए तो आप उसे फोन कर लेंगे लेकिन …. इससे प्रधानमंत्री की व्यस्तता का पता चलता है और यह व्यस्तता बंगाल चुनाव में है, सो बताने की जरूरत नहीं है।  

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

 

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