संजय कुमार सिंह
शिवसेना प्रमुख वैसे तो भाजपा के खिलाफ बोलते रहते हैं और कल भी प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा ही पर मंदिर मुद्दे को गर्माने ही आए हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें श्रेय नहीं लेना है पर क्या वे इससे अलग रह सकते थे? इसपर अखबारों में क्या है। उद्धव ठाकरे हिन्दी सीखकर पहली बार अयोध्या आए थे। क्या अयोध्या में उनका विरोध नहीं हुआ या उन्हें डर नहीं था। प्रशासन को इसका अंदेशा था कि नहीं, इसकी तैयारियां थीं कि नहीं। एक पाठक के रूप में मेरी दिलचस्पी इन चीजों में है पर मुझे ऐसा कुछ प्रमुखता से तो नहीं दिखा जबकि कल सोशल मीडिया पर इस आशय का वीडियो था।
टेलीग्राफ की खबर में लिखा है, “सेना नेताओं ने अयोध्या में सप्ताह भर से डेरा डाले दर्जन भर साधुओं को सक्रिय कर उद्धव को माला पहनाया। सेना सांसद संजय राउत के नेतृत्व में महाराष्ट्र से सेना के कई मंत्री और सांसद साधुओं से मिले थे और उनसे कार्यक्रम में हिस्सा लेने तथा उद्धव को सम्मानित करने का आग्रह किया। 2000 से ज्यादा सेना सदस्य अयोध्या आए हैं। लक्ष्मण किला के आयोजन में स्थानीय भागीदारी नगण्य थी।” ऐसी रिपोर्टिंग हिन्दी अखबारों में कम होती है। इसलिए भी, आज धर्म सभा की खबर को ही लेता हूं।
इंडियन एक्सप्रेस में पहले पेज पर दो कॉलम की छोटी सी खबर के साथ भगवा झंडे लगी एक सड़क की तस्वीर है जिसका कैप्शन है , “शनिवार को अयोध्या स्थित विवादास्पद धर्मस्थल को जाने वाली सड़क पर सुरक्षा कर्मचारी”। खबर का शीर्षक है, “विहिप की बैठक आज, अयोध्या में सुरक्षा”। पहले पेज पर यह भी बताया गया कि अंदर और भी रिपोर्ट हैं तथा यह खबर अगले पन्ने पर जारी है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर चार कॉलम में लीड है। इसके साथ तीन कॉलम में तलवार लहराते उद्धव ठाकरे और समर्थकों की फोटो है जिसका कैप्शन इस प्रकार होगा, “शनिवार को अयोध्या में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे। मौजूद लोगों को उन्होंने हिन्दी में संबोधित किया और राम मंदिर निर्माण शुरू होने में देरी के लिए सरकार को निशाना बनाया।” मुख्य खबर का शीर्षक है, “राम मंदिर का सुर तेज हुआ सो अयोध्या तनावग्रस्त”। इसके साथ अंदर और भी खबरें होने की सूचना है और इनमें एक का शीर्षक भी है, आरएसएस के सहयोगियों के एजंडा में राम मंदिर सबसे ऊपर।
टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पेज पर टॉप के तीन कॉलम में है। शीर्षक है, “तनावग्रस्त अयोध्या में उद्धव ने भाजपा को राम मंदिर पर चुनौती दी”, और इंट्रो है, “कहा, नोटबंदी के लिए कोर्ट आदेश की जरूरत नहीं थी”। खबर के साथ दो कॉलम में उनकी फोटो है जो उन्हें एक तस्वीर सौंपे जाने की है और कैप्शन है, “सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शनिवार को अयोध्या में”। यहां भी पूरा कवरेज पेज पांच और 13 पर होने की सूचना है। एक खबर अतिरिक्त सूचना की भी है। असल में सभी अखबारों ने कई-कई रिपोर्टर और फोटोग्राफर तैनात कर रखे हैं तो खबरें होंगी ही।
कोलकाता के द टेलीग्राफ में भी यह खबर लीड है। पर यहां शीर्षक अलग है। हिन्दी में लिखूं तो कुछ इस तरह होगा, “राम को लेकर मोदी पर सहयोगी का ‘कुंभकरण’ तंज”। इसके साथ दो कॉलम में एक छोटा बॉक्स है, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की फोटो के साथ। इसका शीर्षक है, “मंदिर कानून की मांग”। पेज चार पर। टेलीग्राफ की खबर के साथ पहले पेज पर फोटो नहीं है और खबर लखनऊ संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव की लखनऊ डेटलाइन से ही है। जबकि दूसरे अखबारों की खबरों में दो-तीन नाम हैं और इससे धर्म संसद को कवर करने की तैयारियों का अंदाजा लगता है।
दैनिक भास्कर का पहला पेज आज इतवार को उसकी अपनी एक्सक्लूसिव खबरों का है। रूटीन खबरें पेज तीन पर पहले पेज जैसे पन्ने पर हैं और यहां यह खबर लीड है। पांच कॉलम में फ्लैग हेडिंग है, “मंदिर की मांग को लेकर अयोध्या में धर्म सभा आज”। मुख्य खबर का शीर्षक है, “उद्धव का सरकार पर तंज – कुंभकर्ण चार साल से सो रहा है, जगाने आया हूं।” अखबार में किसी सभा में मौजूद श्रोताओं की भीड़ की फोटो है जिसका कोई कैप्शन नहीं है। इसके साथ एएमयू छात्र संघ ने कहा – “धर्म सभा के जमाावड़े से बिगड़ेगी कानून व्यवस्था, सुप्रीम कोर्ट दे दखल” – खबर भी है। अखबार में उद्धव, पत्नी और बेटे की तस्वीर एक कॉलम में है जिसका कैप्शन है, “उद्धव ने पहले लक्ष्मण किला में आशीर्वाद सम्मेलन में पत्नी और बेटे सहित पूजा की”। बाद में सरयू तट पर आरती में शामिल हुए।
नवभारत में यह खबर चार कॉलम में लीड है। शीर्षक है, “वीएचपी से पहले उद्धव की हुंकार, मंदिर कब बनवाएंगे सरकार”। आज मैं दैनिक जागरण नहीं देख पाया।
नवोदय टाइम्स में यह खबर छह कॉलम में है। शीर्षक है, “अयोध्या छावनी में तब्दील”। उपशीर्षक है, तनाव के बीच विहिप की धर्मसभा आज। इसके साथ एक सिंगल कॉलम बॉक्स है, “उद्धव बोले, चार साल से सोए कुम्भकर्ण को आया हूं जगाने”। एक और खबर है, “भागवत बोले संत मंदिर बनाने को तैयार, हम उनके साथ।”
अमर उजाला में यह खबर छह कॉलम में लीड है, फ्लैग शीर्षक है, “अयोध्या में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महज 6 मिनट के भाषण में 34 साल पुरानी सहयोगी भाजपा को ललकारा”। मुख्य शीर्षक है, “कुंभकर्ण को जगाने आया हूं … राम मंदिर के निर्माण की तारीख बताएं या अध्यादेश लाएं”। उपशीर्षक है, “विहिप की धर्मसभा आज”। दो कॉलम में फोटो है, जिसका कैप्शन है, अयोध्या में शनिवार शाम पत्नी रश्मि व बेटे आदित्य के साथ सरयू की आरती करते शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे। और दूसरी खबरें भी हैं।
राजस्थान पत्रिका में भी यह खबर लीड है। फ्लैग शीर्षक है, “राम मंदिर निर्माण पर सियासत : विहिप की धर्मसभा आज”। मुख्य शीर्षक है, “अनजान खौफ में अयोध्या”। तीन कॉलम में लगी फोटो का कैप्शन है, “अयोध्या में जगह-जगह बैरिकेड लगा दिए गए हैं। दोपहिया वाहनों पर रोक है। लोगों को पैदल ही जाना पड़ रहा है”। मुख्य खबर के साथ तीन कॉलम में एक और खबर है जिसका शीर्षक है, “मुद्दा गरमाने के पीछे क्या है रणनीति”। इसके नीचे एक कॉलम में, “शिवसेना : असली मुकाबला भाजपा से” और दो कॉलम में, “संघ विहिप : ताकि अध्यादेश में आसानी हो” शीर्षक खबरें हैं। इसे नीचे ऐसी ही एक और खबर है, “भाजपा सरकार : फिलहाल दूरी बनाई”। और सबसे नीचे मायावती का बयान, ध्यान भटका रही है भाजपा और साथ में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर का बयान, भीड़ जमा होने के लिए योगी जिम्मेदार।