डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 22
पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक सांविधानिक स्वरूप देने में डॉ.आंबेडकर का योगदान अब एक स्थापित तथ्य है जिसे शायद ही कोई चुनौती दे सकता है। डॉ.आंबेडकर को मिले इस मुकाम के पीछे एक लंबी जद्दोजहद है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की शुरुआत में उन्हें लेकर कैसी बातें हो रही थीं। हम इस सिलसिले में हम महत्वपूर्ण स्रोतग्रंथ ‘डॉ.अांबेडकर और अछूत आंदोलन ‘ का हिंदी अनुवाद पेश कर रहे हैं। इसमें डॉ.अंबेडकर कोलेकर ख़ुफ़िया और अख़बारों की रपटों को सम्मलित किया गया है। मीडिया विजिल के लिए यह महत्वपूर्ण अनुवाद प्रख्यात लेखक और समाजशास्त्री कँवल भारती कर रहे हैं जो इस वेबसाइट के सलाहकार मंडल के सम्मानित सदस्य भी हैं। प्रस्तुत है इस साप्ताहिक शृंखला की बाइसवीं कड़ी – सम्पादक
160.
पनवेल में भी येवला की पुनरावृत्ति, आंबेडकर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे
(दि बाम्बे क्रानिकल, 28 फरवरी, 1936)
(हमारे निजी संवाददाता द्वारा)
थाणा, 26 फरवरी।
थाणा जनपद की दक्षिणी मण्डल और कोलाबा जनपद के उत्तरी मण्डल के दलित वर्गों का एक सम्मेलन 29 फरवरी और 1 मार्च को डा. आंबेडकर की अध्यक्षता में पनवेल में होगा।
इस सम्मेलन में धर्म परिवर्तन के उस प्रस्ताव के सम्बन्ध में, जो येवला में पारित किया गया था, हिन्दूधर्म छोड़ने के प्रश्न पर तुरन्त ध्यान दिलाने की पूरी सम्भावना है। सम्मेलन को सफल बनाने के लिए तैयारियाॅं जोरों पर चल रही हैं।
161.
डा. आंबेडकर की जन सभा
(बाम्बे सीक्रेट अबस्ट्रेक्ट, 29 फरवरी, 1936)
195, अहमदनगर, 15 फरवरी। 11 फरवरी 1936 को एक जन सभा अहमदनगर में हुई। डा. आंबेडकर ने अध्यक्षता की और उसमें 700 लोग उपस्थित थे। यह सभा अस्पृश्यता के सम्बन्ध में हुई थी।
162.
दस वर्षों तक कोई धर्मान्तरण नहीं
(दि बाम्बे क्रानिकल, 7 मई, 1936)
नागपुर, 6 मई।
बताया जाता है कि डा. आंबेडकर ने महात्मा गाॅंधी को, यहाॅं उनके आगमन पर उनके साथ बातचीत में, वचन दिया है कि वह दस या उससे भी ज्यादा समय तक धर्मान्तरण के लिए कोई कदम नहीं उठायेंगे।
163.
मांग समुदाय को डा. आंबेडकर का आश्वासन
(दि बाम्बे क्रानिकल, 7 मई, 1936)
पिछले मंगलवार को नया गाॅंव, दादर में बाम्बे प्रेसीडेंसी का मांग सम्मेलन सम्पन्न हुआ, जिसमें प्रेसीडेंसी के विभिन्न जनपदों से मांग समुदाय के 5000 सदस्यों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि मांग समुदाय के पास स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त करने के लिए धर्म परिवर्तन करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है। प्रस्ताव में यह भी घोषणा की गई है कि मांग समुदाय डा. आंबेडकर में पूरा भरोसा करता है और अगर वे बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन करते हैं, तो मांग समुदाय भी उनका अनुसरण करेगा। समुदाय की स्थिति में सुधार लाने के लिए भी कुछ प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किए गए।
डा. आंबेडकर ने, जो विशेष निमन्त्रण पर सम्मेलन के अध्यक्ष थे, सम्मेलन को एक घण्टे तक सम्बोधित किया। उन्होंने आरम्भ में उल्लेख किया कि उन्होंने मांग समुदाय द्वारा धर्म बदलने के विषय पर अपना निर्णय करने के बाद ही भाषण देने के इस क्षण को चुना है, क्योंकि विशेष रूप से वे उनके निर्णय को थोड़ी मात्रा में प्रभावित करना नहीं चाहते थे। उन्होंने दलित वर्गों में मौजूद जातियों की बुराई पर सवाल उठाए।
हिन्दूधर्म पर आरोप
उन्होंने कहा कि हालाॅंकि इस बुराई के लिए दलित वर्ग जिम्मेदार नहीं हैं। यह हिन्दूधर्म ही है, जो इसके लिए जिम्मेदार है। अगर मांग समुदाय जातिव्यवस्था की बुराई को दूर करना चाहते हैं, तो पहले उन्हें हिन्दू धर्म से बाहर आना होगा। उन्होंने महार समुदाय के सदस्य के रूप में, जो बम्बई प्रेसीडेंसी में दलित वर्गों में बहुसंख्यक समुदाय है, मांग समुदाय के लोगों को आश्वासन दिया कि यदि वे उनके साथ आना पसन्द करते हैं, महारों और मांगों में कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। आगे उन्होंने मांगों को यह आश्वासन भी दिया कि बम्बई प्रेसीडेंसी में दलित वर्गों के लिए जो 15 सीटें आबंटित की गई हैं, उनमें से महार, मांगों का कोटा देने की पूरी गारण्टी देने के लिए तैयार हैं, बशर्ते वे पार्टी से जुडे रहने की जमानत दें।
अन्त में डा. आंबेडकर ने श्रोताओं को बताया कि उन्होंने धर्म-परिवर्तन का जो उपाय दलित वर्गों के समक्ष रखा है, वह अपने आप में एक विशाल योजना है, जो उन्हें उनके सदियों पुराने पतन से मुक्त कर सकती है। -ए. पी.
164.
अछूत आन्दोलन
(बाम्बे सीक्रेट अबस्ट्रैक्ट, 30 मई, 1936)
506, प्रस्तर 469। थाणा, 25 मई। 17 मई 1936 को डा. आंबेडकर ने कल्याण में 5,000 अछूतों की सभा को सम्बोधित किया।
165.
इतालवी बौद्ध भिक्षु ने डा.आंबेडकर से भेंट की
(दि टाइम्स आॅफ इंडिया, 11 जून,1936)
एक इतालवी बौद्ध भिक्षु एस. एस. कोंटे वरडे जहाज से बुद्धवार को इस पूरी आशा से बम्बई से कोलम्बो के लिए रवाना हुए कि जब वह चार महीने बाद भारत वापिस लौटेंगे, तो वह बड़ी संख्या में हरिजनों को बौद्धधर्म अपनाने के लिए मनाने में सफल हो जायेंगे।
वह भिक्षु लोकनाथ बुद्धिस्ट मिशन के संस्थापक श्रद्धेय लोकनाथ हैं।
उन्होंने कहा कि उन्होंने बम्बई में दलित वर्गों के नेता डा. आंबेडकर से बातचीत की है और उन्हें बौद्धधर्म अपनाने के लिए मना लिया है। उनका कहना है कि वह डा. आंबेडकर को यह समझाने में सफल हो गए हैं कि अगर हरिजन बौद्धधर्म अपनाने के लिए सहमत हो जाते हैं, तो न केवल उनका नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक उत्थान होगा, बल्कि वे समाज में भी उच्च स्थान प्राप्त कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि डा. आंबेडकर बौद्धधर्म से प्रभावित हो गए हैं और वे इस पर गम्भीरता से विचार करने को कह रहे हैं। किन्तु उन्होंने कोई निश्चित उत्तर नहीं दिया है।
‘लेकिन मुझे पूरा विश्वास है’, बौद्ध भिक्षु ने आगे कहा, ‘कि डा. आंबेडकर मेरे विचार से सहमत हो जायेंगे। मेरी इच्छा सभी हरिजनों को बौद्धधर्म में लाने की है।’
काषाय रंग का चीवर पहिने हुए पूज्य लोकनाथ के पास एक भिक्षा-पात्र और एक छाता था। वह चार महीने बाद भारत वापिस आए है। उनका इतालवी नाम ‘सालवेटोर’ (उद्धारक) है।
166.
डा. आंबेडकर की सफाई से रहने की महार स्त्रियों को सलाह
(दि टाइम्स आॅफ इंडिया, 17 जून, 1936)
दलित वर्गों के कुछ हिस्सों में प्रचलित बुरी प्रथाओं और रीतिरिवाजों को दूर करने के लिए बम्बई के दामोदर ठाकरसे हाल में, पिछले मंगलवार को हुई सभा में डा. आंबेडकर के द्वारा एक मार्मिक अपील की गई।
इस सभा में बड़ी संख्या में देवदासी, पत्राजे, भूते, अराढी और जोगिती सम्प्रदायों के स्त्री-पुरुषों ने भाग लिया था। यह सभा येवला के धर्मान्तरण प्रस्ताव के भी समर्थन में की गई थी।
सभा में अनेक स्त्री और पुरुष वक्ताओं के बोलने के बाद, जिन्होंने सामाजिक स्वतन्त्रता के लिए धर्म बदलने की आवश्यकता बताई थी, डा. आंबेडकर ने एक मार्मिक अपील की, खासकर उन महिलाओं से, जो कमाठीपुरा से आई थीं।
डा. आंबेडकर ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘आप हमारे साथ अपना धर्म परिवर्तन करेंगी या नहीं, यह विषय मेरे लिए ज्यादा महत्व नहीं रखता है। परन्तु मेरा जोर इस बात पर है कि अगर आप सब लोग हमारे साथ रहना चाहते हैं, तो आपको अपमानित करने वाला यह शर्मनाक जीवन छोड़ना होगा। कमाठीवुरा की महार महिलाएॅं समाज के लिए शर्मनाक हैं। अगर आप अपने रहने का घृणित तरीका नहीं बदलेंगीं, तो हमारा आपसे कुछ लेना-देना नहीं होगा, और न ही हमारे लिए आपका कोई उपयोग होगा। आपके लिए सिर्फ दो ही रास्ते हैं: या तो आप जो हो वही बनी रहो, और इसी तरह घृणित जीवन जीती रहो, या फिर अपना शर्मनाक पेशा छोड़कर हमारे साथ आ जाओ।’
डा. आंबेडकर ने आगे बोलते हुए कहा, ‘आप मुझसे पूछेंगी कि आप अपने जीवन को किस तरह बनायें। यहाॅं मैं आपको यह सब बताने नहीं जा रहा हूॅं। अच्छे जीवन के सैकड़ों तरीके हैं। मैं बस यही कहूॅंगा कि इस शर्मनाक और अपमानजनक जीवन को छोड़ दो। आपको विवाह करके अपना घर बसा लेना चाहिए और सामान्य घरेलू जीवन जीना चाहिए, जैसाकि दूसरे वर्गों की महिलाएॅं करती हैं। आपको किसी भी कीमत पर ऐसे हालात में नहीं रहना चाहिए, जो आपको वेश्यावृत्ति की ओर खींचते हैं।’
पिछली कड़ियाँ
21. मेरी शिकायत है कि गाँधी तानाशाह क्यों नहीं हैं, भारत को चाहिए कमाल पाशा-डॉ.आंबेडकर
20. डॉ.आंबेडकर ने राजनीति और हिंदू धर्म छोड़ने का मन बनाया !
19. सवर्ण हिंदुओं से चुनाव जीत सकते दलित, तो पूना पैक्ट की ज़रूरत न पड़ती-डॉ.आंबेडकर
18.जोतदार को ज़मीन से बेदख़ल करना अन्याय है- डॉ.आंबेडकर
17. मंदिर प्रवेश छोड़, राजनीति में ऊर्जा लगाएँ दलित -डॉ.आंबेडकर
16. अछूतों से घृणा करने वाले सवर्ण नेताओं पर भरोसा न करें- डॉ.आंबेडकर
15. न्यायपालिका को ‘ब्राह्मण न्यायपालिक’ कहने पर डॉ.आंबेडकर की निंदा !
14. मन्दिर प्रवेश पर्याप्त नहीं, जाति का उन्मूलन ज़रूरी-डॉ.आंबेडकर
13. गाँधी जी से मिलकर आश्चर्य हुआ कि हममें बहुत ज़्यादा समानता है- डॉ.आंबेडकर
12.‘पृथक निर्वाचन मंडल’ पर गाँधीजी का अनशन और डॉ.आंबेडकर के तर्क
11. हम अंतरजातीय भोज नहीं, सरकारी नौकरियाँ चाहते हैं-डॉ.आंबेडकर
10.पृथक निर्वाचन मंडल की माँग पर डॉक्टर अांबेडकर का स्वागत और विरोध!
9. डॉ.आंबेडकर ने मुसलमानों से हाथ मिलाया!
8. जब अछूतों ने कहा- हमें आंबेडकर नहीं, गाँधी पर भरोसा!
7. दलित वर्ग का प्रतिनिधि कौन- गाँधी या अांबेडकर?
6. दलित वर्गों के लिए सांविधानिक संरक्षण ज़रूरी-डॉ.अांबेडकर
5. अंधविश्वासों के ख़िलाफ़ प्रभावी क़ानून ज़रूरी- डॉ.आंबेडकर
4. ईश्वर सवर्ण हिन्दुओं को मेरे दुख को समझने की शक्ति और सद्बुद्धि दे !
3 .डॉ.आंबेडकर ने मनुस्मृति जलाई तो भड़का रूढ़िवादी प्रेस !
2. डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी
1. डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी