‘मन की बात’ का विरोध करते किसानों की ख़बर सिर्फ ‘द हिन्दू’ में लीड!

अखबार पढ़ने और देखने का मजा उसी दिन होता है जिस दिन कोई बहुत बड़ी खबर न हो। टेलीविजन के बाद तकनीक और सोशल मीडिया ने ऐसे हालात बना दिए हैं कि सुबह अखबार में शायद ही कोई खबर ऐसी होती हो जो पहले से नहीं पता हो। अब जब टेलीविजन चैनल खुलकर मक्खन लगाने का काम कर रहे हैं तो खबरें वैसे भी दुर्लभ हैं। अखबार अपना अस्तित्व बनाने के लिए कुछ अलग कर सकते थे। पर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। ऑनलाइन मीडिया में खबर हैं, मीडिया की धुलाई है पर मेनलाइन मीडिया में कुछ नया या अलग नहीं है। 

ऐसे में अंग्रेजी के मेरे पांच अखबार उस दिन दिलचस्प लगते हैं जब कोई बड़ी खबर नहीं हो। जब बड़ी खबर नहीं होती है तो अखबार किसी भी खबर को लीड के रूप में छापकर ‘बड़ी’ बना देते हैं। आज सर्वसम्मत लीड जैसी कोई खबर नहीं है तो आइए देखें किसने किस खबर को लीड बनाया। हालांकि, ऐसा नहीं है कि कोई बड़ी खबर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ का कल शायद पहली बार सार्वजनिक और बड़ा विरोध हुआ। आप प्रायोजित, भ्रमित, प्रेरित जो मानिए पर विरोध हुआ। इसलिए खबर तो है। उसी तरह किसानों के प्रदर्शन और विरोध की खबर को अलग अखबारों ने अलग तरह से छापा है वह भी दिलचस्प है। 

मन की बात का विरोध – खबर ‘बड़ी’ न भी हो तो अनूठी जरूर है। खासकर कुछ महीने पहले जब लोग सरकार के समर्थन में ताली थाली बजा रहे थे तब। पर यह खबर पांच में से सिर्फ द हिन्दू में लीड है, इंडियन एक्सप्रेस और टेलीग्राफ में फोटो है, हिन्दुस्तान टाइम्स में सिंगल कॉलम की खबर है पर टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने से पूरी तरह गायब है। किसान आंदोलन से संबंधित द हिन्दू की इस लीड खबर का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, “किसानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान विरोध किया”। इस मुख्य खबर के साथ तीन अन्य खबरें सिंगल कॉलम में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इतवार को कहा कि किसानों की आशंका अभी ही सही साबित हो रही है और कपास की खरीद कम हो रही है। 

दूसरी खबर में बताया गया है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी का 2015 का एक भाषण साझा कर आरोप लगाया है कि राहुल गांधी किसानों के विरोध को लेकर राजनीति कर रहे हैं। तीसरी खबर पंजाब में टेलीकॉम संरचना की तोड़फोड़ नहीं करने की मुख्यमंत्री की अपील से संबंधित है और बताया गया है कि 176 और टावर तोड़फोड़ दिए गए। द हिन्दू के पहले पन्ने की अन्य खबरों में (सेकेंड लीड) देश में डेली वायरस की संख्या छह महीने बाद 19,000 से कम होने की है। इसके साथ सिंगल कॉलम में यह भी बताया गया है कि ब्रिटेन से तेलंगाना लौटे लोगों में जो संक्रमित पाए गए हैं उनकी संख्या 20 हो गई है। कहने की जरूरत नहीं है कि चौकीदार मन की बात करेगा तो गेट पर गड़बड़ होने की आशंका रहेगी ही पर उसकी चिन्ता अखबारों को नहीं है।

इसके मुकाबले इंडियन एक्सप्रेस में गाजीपुर बॉर्डर पर “मन की बात” के विरोध में बर्तन बजाने की तस्वीर किसान आंदोलन की खबर के साथ लीड है। इससे ऐसा लगता है जैसे बर्तन बजाना या मन की बात का विरोध सिर्फ गाजीपुर बॉर्डर पर हुआ। हालांकि ऐसा मुझे लगा। दूसरे पाठकों के बारे में मैं नहीं कह सकता। इंडियन एक्सप्रेस की खबर का फ्लैग शीर्षक है, सरकार ने प्रदर्शनकारियों को जवाब दिया, मुख्य शीर्षक है, तोमर ने वार्ता के लिए वापस आने का स्वागत किया; किसानों की जमीन कोई नहीं ले सकता : राजनाथ। इसके साथ सिंगल कॉलम में पंजाब के एक किसान की आत्महत्या की खबर है। और शीर्षक में बताया गया है कि उन्होंने ‘काले कानून’ के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की है।   

टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होता, “केंद्र ने विमान सेवाओं को अनौपचारिक रूप से कहा, चीन के नागरिकों को न लाएं”। उपशीर्षक है, “भारतीय यात्रियों पर चीन के ‘प्रतिबंध’ के जवाब में”। अब इस अनौपचारिक प्रतिबंध का अनौपचारिक जवाब कितनी बड़ी खबर है या हो सकती है, मैं नहीं समझ पाया। एक तरफ तो सरकार की तरफ से किसी चैनल की या किसी सही खबर को भी गलत कह दिया जाता है और दूसरी ओर इस तरह कि अनौपचारिक खबर का क्या आधार और मतलब है मैं नहीं समझ पा रहा हूं। इस खबर पढ़ने से जितनी सूचना मिलती है उससे ज्यादा सवाल उठते हैं।  

सरकार को मक्खन लगाने में आज हिन्दुस्तान टाइम्स सबसे आगे है। उसने ‘मन की बात’ को ही लीड बना दिया है और इसके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की तस्वीर है। इसका कैप्शन है, रविवार को गुरु तेग बहादुर मेमोरियल पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए अरविन्द केजरीवाल।  हालांकि, इसके साथ सिंगल कॉलम में खबर है, “मोदी के संबोधन के दौरान (मन की बात नहीं) किसानों ने बर्तन बजाए”। हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर आधे से ज्यादा का विज्ञापन है फिर भी पहले पन्ने पर दो तस्वीरें लगाई गई हैं। एक के बारे में बता चुका दूसरी तस्वीर, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में खेले गए दूसरे क्रिकेट टेस्ट मैच के दूसरे दिन के खेल से संबंधित है।

मेरा पांचवां अखबार टेलीग्राफ है। यहां भी पहले पन्ने पर आधे से ज्यादा विज्ञापन है। पर लीड किसान आंदोलन से संबंधित है। साथ में कोई सिंगल कॉलम की खबर नहीं है बल्कि दो कॉलम में मन की बात के खिलाफ बर्तन बजाने वाली वैसी ही फोटो है जैसी इंडियन एक्सप्रेस में है। हालांकि, खबर का मुख्य शीर्षक है, “1400 किलोमीटर की यात्रा : कंबल फट गया लेकिन जज्बा कायम है”। यह खबर अखबार के संवाददाता की नहीं, एक ऐसे पत्रकार की है जो किसानों के साथ यात्रा कर रहा था।    

 

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