चुनाव चर्चा: प.बंगाल में गोदी मीडिया चाहे टीएमस-बीजेपी में मार, कैसे देखे लाल उभार!

आनंद बाज़ार पत्रिका (एबीपी) ग्रुप ने कल ही यानि 15 फरवरी को अपने एक तथाकथित सर्वे के निष्कर्ष जाहिर कर पहली पसंद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  की आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और दूसरी पसंद भाजपा को घोषित कर दिया है. उसने कांग्रेस ही नही इस राज्य में 2011 तक लगातार 34 बरस सत्ता में रहे उस वामपंथी मोर्चा को फिसड्डी ठहरा दिया है जो स्वतंत्र चुनावी पर्यवेक्षकों के अनुसार जबर्दस्त उभार पर है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति पारम्परिक प्रिंट और इलेक्ट्रौनिक मीडिया की अंधभक्ति जगजाहिर है. बंगाल विधान सभा चुनाव के इसी बरस मई 2021 तक सम्भावित हैं। चुनाव के कार्यक्रम की निर्वाचन आयोग ने औपचारिक घोषणा अभी नही की है. लेकिन भाजपा की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष चुनावी मदद के लियेगड़बड़ गोदी मीडिया’  कावोटर ओपिनियन सर्वे’ का खेल बढने लगा है. आनंद बाज़ार पत्रिका (एबीपी) ग्रुप ने कल ही यानि 15 फरवरी को अपने एक तथाकथित सर्वे के निष्कर्ष जाहिर कर पहली पसंद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  की आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और दूसरी पसंद भाजपा को घोषित कर दिया है. उसने कांग्रेस ही नही इस राज्य में 2011 तक लगातार 34 बरस सत्ता में रहे उस वामपंथी मोर्चा को फिसड्डी ठहरा दिया है जो स्वतंत्र चुनावी पर्यवेक्षकों के अनुसार जबर्दस्त उभार पर है. लाल रंग से सियासी नफरत की जड़ अमेरिका के 1930 के दशक में रक्षा मंत्री रहे डगलस मैकार्थर तक जाती है. कहा जाता है कि फ़ाइव स्टार जनरल मैकार्थर सपने में कम्युनिस्टो से डर कर छत से कूद गये थे, लेकिन बच गये.  

 

सर्वे

महज 8960 लोगों की 23 जनवरी से 7 फरवरी के बीच की राय पर आधारित इस सर्वे के नतीजो के जरिये यह जताया गया कि भाजपा को फिलहाल ठंढे बस्ते में डाल दिये गये नागरिकता संशोधन अधिनियम ( सीएए ) और नेशनल रजिस्टर ओफ सिटिजन्स ( एनआरसी ) के पक्ष में उसकी सियासत का बंगाल चुनाव में फायदा मिलेगा. एबीपी आनंदा ने सीएनएक्स के जरिये जो सर्वे कराया उसके सारे सवाल ऐसे गढ़े गये कि उनके उत्तर भाजपा के पक्ष में ही जाने थे. जैसे पहला ही सवाल था : क्या नागरिकता कानून संशोधन के खिलाफ ममता बनर्जी के विरोध का आप समर्थन करते हैं

सर्वे के मुताबिक बहुमत 54.71 प्रतिशत लोगों ने हां और 32.56 फीसदी ने नहीं कहा जबकि 12.73 प्रतिशत लोग चुप रहे. दूसरा सवाल था : भाजपा अपने चुनाव घोषणापत्र में राज्य में सीएएएनआरसी लागू करने का वादा करती है तो क्या आप उसे वोट देंगे ? 38.05 फीसदी लोगों ने हां और 53.82 प्रतिशत ने नहीं कहा जबकि 8.13 फीसद चुप रहे

सर्वे के मुताबिक , ममता बनर्जी को अप्रैलमई में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों का नुकसान हो रहा है. पर वह एक बार फिर मुख्यमंत्री बन सकती हैं क्योंकि  उसे 151 सीटें मिल सकती है. सर्वे के मुताबिक भाजपा को 117 सीट मिल सकती है. कांग्रेसवामपंथी मोर्चा को महज 24 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है. सर्वे में अन्य के खाते में दो सीटें दे दी गई है.  सर्वे में सम्भावित वोट शेयर इस प्रकार है.

टीएमसी– 41.09% , भाजपा–  36.64%, कांग्रेसवाम पंथी मोर्चा– 17.14% , एआईएमआईएम–  01.15 , अन्य –  3.98%. 

सर्वे के मुताबिक उत्तर बंगाल की 56 सीटों में टीएमसी को 15, भाजपा को 32 तथा कांग्रेसवामपंथी मोर्चा को 7 सीटें मिल सकती है और अन्य के खाते में दो सीटें जा सकती हैदक्षिण पूर्व बंगाल की 84 सीटों में से टीएमसी को 53, भाजपा को 16 और कांग्रेसवामपंथी मोर्चा को 15 सीट मिल सकती है.

ग्रेटर कोलकाता की 35 सीटों में टीएमसी को 26,  भाजपा को 9 सीट मिल सकती है जबकि कांग्रेसवामपंथी मोर्चा का खाता भी नहीं खुलेगा. दक्षिण पश्चिम बंगाल की 119 सीटों में  टीएमसी को 57, भाजपा को 60 सीटें और कांग्रेसवाम  को दो सीट मिल सकती है.

 

तथ्य 

पश्चिम बंगाल की कुल 294 विधानसभा सीटें हैं. किसी को भी सरकार बनाने के लिए 148 विधायको के समर्थन की जरूरत है. 2016 के पिछ्ले विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211 और भाजपा को तीन ही सीट मिली थी. टीएमसी ने लगातार 34 साल सत्ता में रहे वामपंथी मोर्चा के दलों के आधार में 2011 में सेंधमारी कर उन्हे परास्त कर सत्ता हथिया ली. टीएमसी ने खुद 194 सीटें जीती थी

 

टीएमसी

टीएमसी ने भाजपा में सेंधमारी कर उसके एससी मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक रॉय समेत कई नेता और नदिया और डायमंड हॉर्बर जिले के ढेर सारे कार्यकर्ता अपने पाले में ले आने का दावा किया है. कुछ सीपीएम कार्यकर्ताओ के भी टीएमसी में जाने का दावा किया गया है. भाजपा के नदिया जिला उपाध्यक्ष विपुल उकील ने टीएमसी के दावा को गलत बताया है. माकपा नेता सुशांत मंडल के टीएमसी में शामिल होने के दावा पर पार्टी ने कहा वह पिछले लोकसभा चुनाव में ही भाजपा पाले में चले गये थे.

 

भाजपा के चुनावी चोंचले  

भाजपामोदी सरकार के कामकाज के आधार पर बंगाल चुनाव में दो तिहाई बहुमत जीतने का सपना देख रही है. वह 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी आशातीत सफलता से उत्साहित होकर धुंआधार प्रचार में जुटी है.

भाजपा ने बंगाल के नायकों को अपना बताने की फूहड़ कोशिश तेज कर दी है. इसका आगाज खुद प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की भोंडी नकल कर उनकी तरह का काला चोगा आदि पहन कर की है. इन दिनो टैगोर टाइप लम्बी दाढ़ी रखे हुए मोदी जी और उनके अंध भक्तो को लगता है इस बहुरुपिया भेष से बंगाल में भाजपा की चुनावी सम्भावनाओ मे वृद्धि होगी

बंगाल में भाजपा खेमा के एकमेव ज्ञात सियासी नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी रहे थे .वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे , जिसका 1977 के लोकसभा चुनाव में जयप्रकाश नारायण आदि की पहल पर बनी जनता पार्टी में विलय कर दिया गया था. जनता पार्टी की मोरारजी देसाई सरकार के गिर जाने के बाद 1980 में मुम्बई में कायम की गई भाजपा उसीदीपक छाप ‘  जनसंघ का नया चुनावी संस्करण है

बंगाल के जिन नेताओं ने भारत के राष्ट्रीय मूल्यों को उन्नत किया  उनमें रबीन्द्रनाथ टैगोर के अलावा स्वामी विवेकानंद और सुभाषचन्द्र बोस भी शामिल हैं. ये सभी भाजपा केमातृ संगठन’  राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ  (आरएसएस) के संस्थापक और अन्य सरसंघचालको की आदर्श रही मनुवादी सांस्कृतिक, सामाजिक विचारधारा और जन्मना वर्णाश्रित जातीय व्यवस्था के घोर विरोधी थे

कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवम चिंतक जगदीश्वर चतुर्वेदी के अनुसार बंगाल के ये सभी नायक दरिद्र को ही नारायण (ईश्वर) मानते थे. उनके लिए निर्धनों की सेवा , ईश्वर की आराधना के समतुल्य थी. लेकिन भाजपा को लगता है वह बंगाल के नायको को अपने दुष्प्रचार के सहारे हथियाने में सफल हो जायेगी

 

लोजपा 

बिहार से दिवंगत पूर्व मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ( एलजेपी ) ने इस बार के पश्चिम बंगाल विधान सभा के चुनाव में सभी 294 सीटो पर अपने दम पर प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा की है.भाजपा के एनडीए गठबंधन में कभी अंदर कभी बाहर लोजपा मोदी सरकार के बनाये तीनों कृषि कानूनों का पूरा समर्थन करती है,जिनका वामपंथी मोर्चा और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी विरोध किया है. लोजपा का कहना है वह बंगाल में भाजपा कीरामरहीम सियासत के खिलाफ है इसलिये इस चुनाव में भाजपा का साथ नहीं देगी. वह किसी से गठबंधन भी नहीं करेगी

विगत में एक मुम्बइया फिल्म में हीरो रह चुके जुनियर पासवान अपने पिता के जीवनकाल में ही लोजपा अध्यक्ष बन बैठे थे. रामरहीम सियासत लोजपा के लिये क्या बला है इसकी व्याख्या सीनियर पासवान और उनकी दूसरी पत्नी से  रोशन हुए घर के इस चिराग ने नहीं की है. जानकार लोग कहते हैं वे वही खेल खेल रहे हैं जो उन्होने भाजपा के लिये बतौरवोटकटवा’  पार्टी हालिया बिहार चुनाव में खेला था. उस चुनाव में लोजपा ने भाजपा के लिये ही मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की सत्ता सियासत के खिलाफ बाजी खेलते हुए लग्भग सभी सीटो पर प्रत्याशी खडे किये थे. उनमें से सिर्फ एक पर जीत हासिल हई और वह एकमात्र लोजपा विधायक भी बिहार में जदयू के नेतृत्व में बनी गठबंधन सरकार का समर्थन ही करता है

दरअसल इस हीरो को धनबल और सत्ताबल समेत सारे चुनावी असलहे भाजपा ही देती है. लोजपा को बिहार और बंगाल क्या, कहीं भी चुनाव में खोने के लिये अपना कुछ भी नही है. ये केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कीचुनावी चाणक्यागरि’ की बिहारी माडल की खटारा गाड़ी है जिसमें  ‘हर्र लगे फिटकिरी, रंग चोखा होयकी पुरानी कहावत फिट बैठती है. लोजपा ने बंगाल में सन 2000 से ही चुनाव लडते रहने और पार्टी के सवा लाख कार्यकर्ता होने का दावा किया है. इतने कार्यकर्ता अगर वास्तव में हैं और वे अपने मित्र , परिजन के सहारे हर सीट पर भाजपा विरोधी सौदो सौ वोट भी काट लेते हैं तो भाजपा की मदद ही होगी

लोजपा की बंगाल प्रमुख मीरा चक्रबोर्ती के अनुसार  उनकी पार्टी दलित सियासत को आगे बढायेगी. उनके मुताबिक राज्य की सियासत में हावी सवर्ण ब्राह्मण, कायस्थ और वैश्य कुल आबादी के सिर्फ 17 प्रतिशत हैं. दलित विधायक नगण्य हैं. आदिवासी, दलित और अन्य पिछ्डा वर्ग की जातियाँ, कुल आबादी की 53 प्रतिशत हैं. मुस्लिम 30 प्रतिशत हैं. उन्होने ये आंकड़े किस आधिकारिक जनगणना से निकाले इसका कोई जवाब नहीं है

गौरतलब है भारत की जनगणना में 1931 के बाद से सिर्फ अनुसूचित जनजातियो और अनुसूचित जातियो की गिनती की जाती है. बिहार चुनाव के दौरान ‘चुनाव चर्चा’ के ही एक अंक मे हम आबादी के जातिवार गणित और  रसायन लेप की सतही सियासत और पत्रकारिता की भी पोल पट्टी खोल चुके हैं

 

कांग्रेस 

पश्चिम बंगाल चुनाव के‍ लिए झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री और प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने बंगाल के दौरे से रांची लौट कर बताया कि कांग्रेसवामपंथी मोर्चा उभार पर है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी के हरिप्रसाद और विजय इंदर संगला वहाँ नज़र रखे हुए हैं. पिछले चुनाव में जिन सीटो पर कांग्रेस पहले और दूसरे स्थान पर रही उन पर पार्टी का चुनाव लड़ना लगभग तय है. झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी बंगाल में चुनावी अभियान शुरु कर दिया है

मोदी जी की 22 फरवरी को बंगाल में रैली है. इस रैली के बाद निर्वाचन आयोग विधान सभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालदा की अपनी सप्ताहाँत रैली में कहा कि दोतीन दिन में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो जाएगी. निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री तथा आला प्रशासनिक एवम पुलिस अधिकारियो से हाल में विचार विमर्श कर राज्य में अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर दिया है.

बहरहाल , देखना यह है कि मोदी जी 22 फरवरी की अपनी बंगाल में रैली क्या नया शोशा छोड्ते है. तय है चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो जाने के बाद सभी सियासी दल अपनी मोर्चाबंदी तेजी से पूरी करेंगे

 

*मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। 

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