चुनाव चर्चा: प.बंगाल में सरकार बनाने का मोदी का दावा- जुमला या ईवीएम शक्ति पर भरोसा?

और फिर कौन कहता है भाजपा चुनाव जीते बिन अपनी सरकार नही बना सकती है. भाजपा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सियासी चाणक्यगीरी के सूक्ष्म प्रबंधन की बदौलत मोदी जी के न्यू इंडिया में मिथकीय अलादीन के चिराग के ज़रिये किसी भी पार्टी के नवनिर्वाचित विधायको में से सभी नहीं तो तमाम को अपने पाले में ला ही सकत हैं. ये हम कर्नाटक से लेकर मध्य प्रदेश तक में हाल में देख चुके हैं. कोई शक?

भारत के 15 वे प्रधानमंत्री बन जाने के बाद  श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के श्रीमुख से निकले अनगिनत जुमलो में ये भी है , “मोदी है तो मुमकिन है.”  मोदी जी का ताजा जुमला है कि राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ ( आरएसएस ) को अपना मातृ संगठन स्वीकार करने वाली उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) , ‘ इंडिया दैट इज भारत ‘ में रेनेसाँस की अगुआ भूमि रही बंगाल में अपनी सरकार बनायेगी. उनके बोलवचन हैं कि वह भगवा रंग ध्वजधारी भाजपा की बंगाल में सर्वप्रथम सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में स्वयम् भी उपस्थित रहेंगे.

उन्होने या भाजपा ने अधिकृत रूप से अभी तक ये नहीं कहा है कि बंगाल में जीत की उसकी आशा, सच में साकार हो जाने की फिलहाल नितांत काल्पनिक स्थिति में, सरकार बनाने का सेहरा किसे बँधेगा. भाजपा ने सिवा बंगाल के सभी चुनावी राज्यो में अगली नई सरकार के मुख्यमंत्री पद के लिये अपने दावेदार पहले ही घोषित कर दिये हैं. इनमें केरल में मेट्रोमेन श्रीधरण भी हैं जो आरएसएस को प्रिय मनुवादी व्यवस्था के हिसाब से वानप्रस्थ में प्रवेश करने की आयु कब की पार कर चुके हैं.

मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनते ही भाजपा के पुरोधा पूर्व उपप्रधान मंत्री लालकृष्ण आड्वाणी और पूर्व पार्टी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी समेत सभी को सियासत की मुख्यधारा से किनारे लगा दिया था. लेकिन मोदी जी ने कम्युनिस्टो के गढ़ केरल में चुनाव लड्ने की चुनौती की घड़ी में श्रीधरण जी को चुनाव मैदान में खडा कर दिया. तो फिर मोदी जी ने बंगाल की पुण्यभुमि को मुख्यमंत्री पद के लिये भाजपा के दावेदार की घोषणा, चुनाव से पहले ही सुन लेने के अहोभाग्य से वंचित क्यो कर रखा है?

जाहिर है मोदी जी प्रधानमंत्री पद पर विराजमान बने रहने के साथ ही बंगाल तो क्या अपने गृहप्रांत गुजरात के ही नहीं किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं. हाँ वे प्रधानमंत्री का पद छोड देने के बाद बंगाल का भी मुख्यमंत्री बन कर शपथ ले सकते हैं, बेशक वह विधायक बनने का चुनाव तत्काल नही लड़ रहे है.

बहरहाल , मोदी जी ने ऊपर इंगित किया गया जुमला , बंगाल में पहले चरण में 27 मार्च को करीब 80 फीसद मतदाताओ के वोटर वेरिफाइड पेपर औडिट ट्रोल (वीवीपीएटी) की अलग मशीन से जुडी ईलेक्ट्रौनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दर्ज वोट से उत्साहित होकर अनेक बार कहा. मंगलवार को फिर बंगाल की एक रैली में जब उन्होंने ये जुमला कहा तब बंगाल में कई विधानसभा सीटों पर तीसरे चरण की वोटिंग चल रही थी. ऐसे में सवाल है कि मोदी जी को ईवीएम में दर्ज वोट को देख उनकी गिनती भी कर लेने की कोई दैवीय शक्ति तो प्रप्त नही है? नहीं , मोदी जी को कोई दैवीय शक्ति प्राप्त नहीं है, बेशक उन्होने सनातनी हिंदू धर्म के भाग्य विधाता माने जाने वाले देवता, ब्रह्मा की तरह इन दिनो अपनी दाढ़ी बहुत लम्बी धर ली है.

दरअसल मोदी जी को न्यू इंडिया के चुनाव में ईवीएम की प्राणवायु पर नियंत्रण की शक्ति हासिल है. यह बात निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को भली भांति पता है क्योंकि ये ईवीएम मोदी सरकार के दिये धन से ही खरीदी और सम्भाली जा रही है. अरोडा जी इन चुनाव के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त पद से रिटायर होने वाले हैं. नई दिल्ल्ली के सियासी हल्को में चर्चा है कि मोदी जी अरोड़ा जी को रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की तरह राज्य सभा का सदस्य या फिर उनके पहले के एक और चीफ जस्टिस की तरह किसी राज्य का गवर्नर भी बना सकते हैं.

बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडिचेरी समेत कुल पांच विधानसभा के चल रहे चुनाव के लिये अलग-अलग तारीख में सारी वोटिंग अभी सम्पन्न नही हुई है. ये भी गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग इन पांचो विधान सभा की सभी सीटो के चुनाव परिणाम की अधिकृत घोषणा एक साथ दो मई को ही करने वाला है.

 

बंगाल के चुनावी मुद्दे

पश्चिम बंगाल की आर्थिक, समाजिक और सांस्कृतिक ही नहीं राजनीतिक पृष्ठभूमि के फौरी अवलोकन से ही पता चल जाता है कि इस सूब में भी भाजपा की कोई खास जमीन नहीं है. बंगाल में मोदी सरकार द्वारा बनाए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए ) बड़ा चुनावी मुद्दा है. बेरोजगारी, मोदी सरकार द्वारा बनाए तीन कृषि कानून भी प्रमुख चुनावी मुद्दे बन चुके हैं. मोदी जी बंगाल में प्रचार के लिए प्रधानमंत्री के लिये हाल में अरबो रुपये के खर्च से खरीदे विशेष विमान से अनेक चक्कर लगा चुके हैं.

 

संयुक्त मोर्चा

बंगाल में कांग्रेस ने लगभग सभी कम्यूनिस्ट पार्टियों और अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाया है जिसे मीडिया मे संयुक्त मोर्चा का नाम दिया गया है. भाजपा की तरह संयुक्त मोर्चा ने भी अपनी जीत की स्थिति में नई सरकार के मुख्यमंत्री के दावेदार को अग्रिम तौर पर पेश नहीं किया है.

 

दीदी

पूरे भारत में फिलहाल एकलौती महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बनाई ‘आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस’ (टीएमसी) पार्टी की बंगाल में अपने बूते पर पिछले दस बरस से सरकार है. ममता बनर्जी ‘दीदी’ के नाम से ही पूरे भारत में लोकप्रिय हैं जो दरअसल बांग्ला सम्बोधन है.

 

बंगाल की जमीन

भौगौलिक रूप से बंगाल की जमीन, पूर्वी भारत में हिमालय पर्वतमाला से लगी है और उसका उस बंगला देश के साथ इटरनेशनल बॉर्डर भी है जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद नवोदित राष्ट्र बना . उस युद्ध के पहले बांग्लादेश , भारत के 1947 में हुये विभाजन से स्वतंत्र अस्तित्व में उभरे इस्लामी देश पाकिस्तान का सैंकडो मील दूरी का पूर्वी हिस्सा था. पर वे एक ही धर्म इस्लाम के मानने वालो की बहुलता के बावजूद बहुत बरस साथ नहीं रह सके. दुनिया भर में ये बात निर्विवाद रूप से रेखांकित हो गई किसिर्फ धर्म एक होने से कोई भी देश एक नहीं रह सकता.

बंग्लादेश का राष्ट्रगान भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन गण’ के रचियता कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा ही लिखित कविता ‘आमार सोनार बांग्ला देश, आमी तुमाय भालो बासी’ पर आधारित है. दुनिया में इसका और कोई उदाहरण नहीं है कि अलग धर्म के दो स्वतंत्र देश के राष्ट्रगान के रचियता एक ही हो.

बंग्लादेश की तरह पश्चिम बंगाल में भी बांग्ला भाषा ही बोली जाती है. बंगाल में गंगा बह्ती है और भारत में ब्रिटिश राज के दिनो से बहुतेरे चाय बागान हैं. इन चाय बागान मे बरसों से बिहार आदि राज्यो के लाखो ‘बिदेसिया मजदूर’ काम करते हैं. उनमें से बहुत सारे कई पुश्त पहले बंगाल में ही बस कर अब वहा के वोटर हो गये हैं, बंगाल में भारत के बहुसंख्यक हिंदू धार्मिक समुदाय के लोगो के साथ ही बडी तादाद में मुस्लिम धर्मालम्बी भी गुजर-बसर करते रहे हैं.

बंगाल की अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि पर टिकी हुई है. उसकी समृद्ध संस्कृति में लोक नृत्य, लोक संगीत और लोककला के अलावा विपुल प्राच्य साहित्य , बिहार के मिथिला के कवि विद्यापति , रबींद्रनाथ टैगोर, बांग्लादेश मूल के कवि काजी नजरुल इस्लाम और बंकिम चंद्र आदि के आधुनिक साहित्य से लेकर पश्चिमी देशो के साहित्य का भी कुछ असर है.

बहरहाल, देखना यह है बंगाल में ईवीएम से वोटिंग में धांधली की बडे पैमाने पर मिल रही शिकायतें मतदान के अगले चरणो में और अंतत: दो मई को मतगणना में क्या गुल खिलाती है. मोदी जी और उनकी भाजपा को ईवीएम मशीन की शक्ति ही नहीं निर्विवाद रूप से अपार धनशक्ति भी प्राप्त है. ये दोनो शक्ति प्राप् भाजपा उस पड़ोसी राज्य त्रिपुरा की तरह बंगाल में भी सच में येण-केण-प्रकारेण अपनी सरकार बना ले तो कम से कम इस स्तम्भकार को कोई आश्चर्य नहीं होगा जहाँ कभी भाजपा का कोई विधायक नहीं था.

और फिर कौन कहता है भाजपा चुनाव जीते बिन अपनी सरकार नही बना सकती है. भाजपा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सियासी चाणक्यगीरी के सूक्ष्म प्रबंधन की बदौलत मोदी जी के न्यू इंडिया में मिथकीय अलादीन के चिराग के ज़रिये किसी भी पार्टी के नवनिर्वाचित विधायको में से सभी नहीं तो तमाम को अपने पाले में ला ही सकत हैं. ये हम कर्नाटक से लेकर मध्य प्रदेश तक में हाल में देख चुके हैं. कोई शक?

 

*मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। 

 

First Published on:
Exit mobile version