सीपी कमेंट्री: 26 को थमेगा प्रचार, पर भारी न पड़े बिहार में चुनाव, पाँच BJP नेता कोरोनाग्रस्त!

विपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से बिहार में चुनाव टालने का अनुरोध भी किया था। यह अनुरोध 25 सितंबर को चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के कई दिन पहले किया गया था। तेजस्वी ने इसके लिए बाकायदा आपने अधिकृत हैण्डल से ट्वीट भी किया था। उनके आग्रह का आधार देश-प्रदेश में कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट ही था। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही संकेत दे दिया था कि चुनाव की घोषणा सितंबर में हो सकती है। वही हुआ भी

भारत में कोरोना-कोविड 19 महामारी की वजह से पहले से उत्पन्न आर्थिक, सामाजिक,राजनीतिक संकट बिहार विधान सभा के चुनाव की वजह से और गहराने की आशंका है। इस चुनाव में जो भी जीते-हारे, यह कहना मुश्किल होगा ‘हम भारत के लोग’ के सामने मुंह बाये खड़े सकटों का अंबार खत्म हो जाएगा। हम मीडिया विजिल पर अपने आलेखों में शुरू से इस बात पर जोर देते रहे हैं कि ये अभूतपूर्व परिस्थितियों मे कराया जा रहा अभूतपूर्व चुनाव है जिसके परिणाम भी बिहार ही नहीं बल्कि देश भर के लिए अभूतपूर्व ही होना लाज़िमी है। देवेंद्र फडनवीस और सुशील मोदी समेत बीजेपी का पाँच दिग्गज नेता कोरोना की चपेट में आकर मैदान छोड़ अस्पताल में हैं।

जम्मू- कश्मीर भारत का ही राज्य है। वो राज्य पिछले करीब डेढ़ बरस से बगैर कोई चुनाव कराये और बिन किसी लोकप्रिय सरकार के अस्तित्व के टिका हुआ है। तो फिर बिहार पर भी आसमान नहीं टूट जाता अगर ये चुनाव राज्य की नीतीश सरकार, केंद्र की मोदी सरकार और विभिन्न सियासी पार्टियों से विचार-विमर्श करने के बाद केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की अनुशंसा पर राष्ट्रपति के आदेश के अनुपालन में निर्वाचन आयोग कुछ माह के लिए टाल देता। चुनाव टालने के लिए भारत के संविधान में स्पष्ट प्रावधान है। इस प्रावधान का बिहार समेत कुछेक राज्यों में एक से ज्यादा बार उपयोग भी किया जा चुका है। 

बिहार की मौजूदा विधान सभा में विपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से बिहार में चुनाव टालने का अनुरोध भी किया था। यह अनुरोध 25 सितंबर को चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के कई दिन पहले किया गया था। तेजस्वी ने इसके लिए बाकायदा आपने अधिकृत हैण्डल से ट्वीट भी किया था। उनके आग्रह का आधार देश-प्रदेश में कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट ही था। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही संकेत दे दिया था कि चुनाव की घोषणा सितंबर में हो सकती है। वही हुआ भी। 

बहरहाल, निर्वाचन आयोग के घोषित कार्यक्रम के अनुरूप ही राज्य में कुल 7.79 करोड़ वोटर के बीच तीन चरण मे 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को मतदान कराने की प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है। विधान सभा की कुल 243 सीटों के लिए पहले चरण में 16 जिलों  में फैले निर्वाचन क्षेत्रों मे औपचारिक ‘ मैदानी चुनाव प्रचार’ का शोर सोमवार 26  अक्टूबर की शाम पाँच बजे खत्म भी हो जाएगा। अनौपचारिक प्रचार तो वोटिंग खत्म होने तक चलता रहता है। 

जिन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार खतम होगा उनसे अलग क्षेत्रों मे प्रचार जारी रहेगा। जिस दिन 28 अक्टूबर को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे उसी दिन यानि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार चुनाव के अगले चरण के लिए खुद प्रचार करने पटना पधारने वाले हैं। ऐसे में अब बिहार चुनाव टाल देने का कोई भी सुझाव स्वीकार करना लगभग असंभव है। लेकिन कुछ सवाल तो हैं जिनकी चर्चा करने से पहले हम कुछ तथ्य इंगित कर दें । 

मतदान पिछली कई बार की ही तरह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये होगा. मतों की गिनती भी ईवीएम के जरिये 10 नवंबर को निर्धारित है।10 नवंबर को ही दोपहर बाद तक सारे परिणाम घोषित कर  देने का कार्यक्रम है। 

मौजूदा विधान सभा का 5 बरस का निर्धारित कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है यानी 29 नवंबर से पहले ही बिहार की नई विधान सभा का गठन हो जाना चाहिये। आबादी के हिसाब से भारत में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे बडे  राज्य , बिहार में 7.79 करोड़ वोटर में करीब 3.39 करोड़ महिला हैं। पहले चरण के लिए 1 अक्टूबर को चुनाव की औपचारिक अधिसूचना जारी की गई थी। भारत के संविधान के तहत विधान सभा चुनाव के लिए इस चरण की गज़ट अधिसूचना राज्यपाल के दस्तख़त से जारी की गई थी। उन्होंने इसी तरह दो अन्य चरण के लिए भी गज़ट अधिसूचना जारी की । दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों और तीसरे चरण में बाकी 78 सीटों पर मतदान होंगे

पहले चरण की 71 सीटों पर अभी 8 पर महागठबंधन और 8 पर एनडीए का कब्जा है। इन पर खड़े प्रत्याशियों में राज्य सरकार के 8 मंत्री- शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा, कृषि मंत्री प्रेम कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, राजस्व मंत्री रामनारायण  मण्डल, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा, खनन मंत्री ब्रिजकिशोर बिन्द और परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के महासचिव रहे दिवंगत पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह भी प्रमुख प्रत्याशी हैं। 

पहले चरण के महागठबंधन के उम्मीदवारों में सर्वाधिक राजद के 42,  कांग्रेस के 8 और सीपीआईएमएल   (भाकपा माले) का एक उम्मीदवार है। प्रत्याशियों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड ( जेडीयू ) के 23 , उसके गठबंधन, नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 13, मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (हम) के 6 और विकासशील इंसान पार्टी का एक उम्मीदवार है। 

पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की आरएलएसपी की अगुवाई में बने नए मोर्चा ‘सेकुलर फ्रंट’ में शामिल उनके दल के 43 और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 27 प्रत्याशी मैदान में हैं।  

दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के भी 42 प्रत्याशी पहले चरण में मैदान में हैं। लोजपा भाजपा की ही ‘बी टीम’ मानी जाती है जिसके खिलाफ उसका कहीं कोई प्रत्याशी नहीं है ।  

 

और अंत में 

बिहार चुनाव में भाजपा के 30 स्टार प्रचारकों में से पाँच कोरोना से पीड़ित हो गए हैं। उनमें बिहार चुनाव की कमान संभाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस भी हैं जों इलाज के लिए मुंबई वापस चले गए हैं। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी कोरोना की चपेट में आ जाने के बाद इलाज के लिए नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हो गए हैं। भाजपा संसद राजीव प्रताप रूड़ी , प्रवकता शाहनवाज हुसैन , और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ही नहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी कोरोना की चपेट में हैं । 

ऐसे में अवाम के बीच चुनाव में किसी की भी जीत या हार नहीं बल्कि कोरोना की जीत या हार का मुद्दा हावी होने लगा है।


सीपी नाम से चर्चित लेखक चंद्रप्रकाश झा ,युनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से रिटायर होने के बाद तीन बरस से बिहार के अपने गांव में खेती-बाड़ी करने और स्कूल चलाने के साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन भी कर रहे हैं। उन्होने भारत की आज़ादी, चुनाव , अर्थनीति, यूएनआई का इतिहास आदि विषय पर कई ई-किताबे लिखी हैं। वह मीडिया विजिल के अलहदा चुनाव चर्चा के स्तम्भकार हैं। वह क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा मीडिया पुरस्कार की संस्थापक कम्पनी पीपुल्स मिशन के अवैतनिक प्रबंध निदेशक भी हैं, जिसकी कोरोना- कोविड 19 पर अंग्रेजी–हिंदी में पांच किताबो का सेट शीघ्र प्रकाश्य है.


 

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