संजय कुमार सिंह
दैनिक हिन्दुस्तान ने इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “आलोक वर्मा के घर ‘जासूसी’ पर हंगामा”। फ्लैग हेडिंग है, “सीबीआई विवाद : निदेशक के घर के बाहर आईबी अफसर पकड़े जाने से आया नया मोड़।” नवभारत टाइम्स ने भी इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “जासूसी का तड़का लगा सीबीआई केस में, सियासत और गर्म।” उपशार्षक है, “वर्मा के घर के बाहर पकड़े गए आईबी के चार अफसर।” नभाटा ने आईबी वालों को पकड़ कर ले जाए जाते लोगों की एक फोटो का कैप्शन लगाया है, “सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के घर की सिक्यूरिटी में तैनात लोग जिस तरह आईबी अफसरों के कॉलर पकड़कर उन्हें घसीटते हुए ले गए, उससे आईबी के टॉप अफसर बेहद नाराज बताए जाते हैं।”
नवोदय टाइम्स ने सीबीआई विवाद के तहत सीबीआई की कई खबरें एक साथ छापी है। शीर्षक है, “सुप्रीम कौन फैसला आज”। उपशीर्षक है, “वर्मा के घर के पास से चार आईबी अफसर हिरासत में, बाद में रिहा।” मुख्य खबर की शुरुआत से पहले दो लाइन में लिखा है, “अधिकारों की जंग पर उच्चतम न्यायालय आज करेगा सुनवाई।” आईबी वालों के मामले में इस मूल खबर के साथ एक बॉक्स है, “जो पकड़े गए उनका काम ही निगरानी करना है : आईबी।”
दैनिक भास्कर ने “सीबीआई की लड़ाई में आईबी भी पिटी” विषय के तहत इस खबर को विस्तार से छापने वाली खबरों में रख है और कई पहलुओं की चर्चा की है। मुख्य शीर्षक है, “सड़क पर पहुंची एजेंसियों की लड़ाई।” दो लाइन के दो उपशीर्षक हैं, “सीबीआई प्रमुख के गार्ड्स को आईकार्ड दिखाने के बावजूद आईबी अफसर दबोचे” और दूसरा, “साढ़े छह घंटे बाद छोड़ा गया, आईबी ने कहा – जासूसी नहीं की, शिकायत करेंगे।”
अमर उजाला ने भी इसे लीड बनाया है। शीर्षक है, “सीबीआई निदेशक वर्मा के घर के बाहर पकड़े गए आईबी के चार जासूस।” उपशीर्षक है, “बाद में छोड़ा, गृह मंत्रालय ने इसे रुटीन निगरानी बताया”, फोटो के ऊपर (शीर्षक) है, कांग्रेस का आरोप – “जासूसी करा रही सरकार” और फोटो कैप्शन है, “पकड़े गए आईबी कर्मियों को ले जाते सुरक्षाकर्मी।”
राजस्थान पत्रिका ने “प्रधानमंत्री पर सीधा आक्षेप” विषय के तहत राहुल गांधी के आरोप, आलोक (वर्मा) की जासूसी, भाजपा का जवाब, सीबीआई का जवाब (वर्मा के पास रफाल की फाइल नहीं), याचिका : अस्थाना पर एसआईटी जांच हो, जासूसी पर जदयू के मुख्य महासचिव केसी त्यागी की प्रतिक्रिया – आदि को मिलाकर लीड बनाया है। शीर्षक है, जिस दिन रफाल पर जांच बैठी समझिए मोदी होंगे साफ : राहुल । उपशीर्षक है, आलोक की जासूसी? आईबी अफसर पकड़े। आईबी वालों को पकड़ कर ले जाने के वीडियो की एक फोटो है जिसका कैप्शन है, “अब सीबीआई बनाम आईबी : सुरक्षा कर्मियों ने जब खुफिया ब्यूरो के लोगों को पकड़ा तो धक्का मुक्की के दौरान एक कर्मी गिर पड़ा।”
दैनिक जागरण ने इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “सीबीआई प्रमुख वर्मा के बंगले के बाहर आईबी कर्मियों से मारपीट”। उपशीर्षक है, “परिचय पत्र दिखाने के बावजूद जासूसी का आरोप, नियमित गश्त पर थे आईबी स्टाफ।” सार्वजनिक हो चुके वीडियो फुटेज की एक तस्वीर लगी है जिसका कैप्शन है, “सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के आवास के बाहर आईबी कर्मियों से इस तरह किया गया दुर्व्यवहार।” मुख्य खबर के साथ बॉक्स में सिंगल कॉलम की तीन खबरें हैं। एक का शीर्षक है, “सीबीआई ने कहा, आलोक वर्मा अब भी प्रमुख, राव को जिम्मा जांच तक।” दूसरी का शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट में वर्मा की याचिका पर सुनवाई आज” और तीसरी का शीर्षक लाल रंग में है, “इसलिए तैनात किए गए थे अफसर।”
इसमें तीन बिन्दु हैं – “आलोक वर्मा के बंगले के पास ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और राकांपा प्रमुख शरद पवार रहते हैं। वहां से सौ मीटर पर ही सोनिया गाँधी का आवास है। पास ही पीएम आवास भी है।” दूसरा बिन्दु है – “हाई सिक्योरिटी जोन होने से इलाके में दिन रात रूटीन में आईबी की पेट्रोलिंग रहती है। चारों अधिकारी जासूसी नहीं, बल्कि पेट्रोलिंग कर रहे थे।” तीसरा बिन्दु है – “उच्च सुरक्षा वाले इस क्षेत्र में गुरुवार सुबह असामान्य ढंग से लोग जमा हो रहे थे। इसलिए उन्हें तैनात किया गया था। दुर्भाग्य से उनकी मौजूदगी को गलत समझा गया और दूसरे तरीके से पेश किया गया।”
जागरण संवाददाता की खबर पढ़ने लायक है। आप भी पढ़िए- “केंद्रीय जांच ब्यूरो के झगड़ रहे दोनों शीर्ष अफसरों को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार सुबह सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के बंगले के बाहर से चार लोगों को उनके सुरक्षा अधिकारियों ने बलपूर्वक दबोच लिया। वर्मा की जासूसी करने का आरोप लगाकर उनसे मारपीट की गई। गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि वे चारो जासूस नहीं बल्कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) के थे। वह उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में नियमित खुफिया ड्यूटी पर थे। छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के 2, जनपथ स्थित आवास के पास गुरुवार सुबह दो कारों में आईबी के चार अधिकारियों को घंटों बैठे देख वर्मा के निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) ने जासूसी करने के शक में पकड़ लिया। परिचय पत्र दिखाने के बावजूद न केवल उनके साथ मार पीट की गई, बल्कि कॉलर पकड़कर घसीटते हुए बंगले के अंदर ले जाया गया। उनके मोबाइल फोन और पर्स छीनकर पहचान पत्र व आधार कार्ड से नाम, पद, पता और अन्य गोपनीय जानकारी एक कागज में लिखकर मीडियाकर्मियों को दे दिया गया। इसके बाद तुगलक रोड थाना पुलिस को बुलाकर उन्हें सौंपा गया। पुलिस ने चारों से करीब छः घंटे तक पूछताछ की और फिर छोड़ दिया।”
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।