संजय कुमार सिंह
आज के ज्यादातर अखबारों में कांग्रेस के घोषणा पत्र पर चर्चा को लीड बनाया है। संभवतः यह पहला मौका है जब कांग्रेस के घोषणापत्र से विपक्ष को इतनी परेशानी है और इसे अखबारों में इतना महत्व मिल रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि वह सेना को मिले विशेष अधिकार और राष्ट्रद्रोह के कानून को खत्म करने पर विचार करेगी। भाजपा इसे ऐसे पेश कर रही है जैसे कानून नहीं होने से लोग राष्ट्रद्रोह करने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई का कोई उपाय ही नहीं रहेगा। इसी तरह, सेना को अपने ही नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए असीमित अधिकार क्यों होने चाहिए यह बताए बगैर भाजपा कह रही है कि इससे सेना कमजोर हो जाएगी। नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका में कांग्रेस के घोषणापत्र पर विवाद और नवोदय टाइम्स, अमर उजाला तथा दैनिक जागरण में प्रधानमंत्री के आरोप के बहाने है यह खबर लीड है।
अमर उजाला में लीड का शीर्षक है, प्रधानमंत्री ने कहा कांग्रेस का ढकोसला पत्र महज 23 मई तक। दैनिक जागरण में लीड है, अफस्पा हटा कर सेना को कमजोर करना चाहती है कांग्रेस : मोदी। मुझे लगता है यह फालतू की बहस है। चर्चा मुद्दे पर नहीं है और इसीलिए कल अरुणाचल सीएम के काफिले से मिले 1.80 करोड़ रुपए की खबर को आज प्रमुखता नहीं मिली है। राजस्थान पत्रिका में यह खबर पहले पन्ने पर है। कांग्रेस ने आरोप लगााया है कि इन रुपयों का उपयोग ‘चौकीदार’ की रैली में होना था। कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि अरुणाचल प्रदेश में नोट के बदले वोट खरीदने का अभियान चल रहा है। इन खबरों के अलावा एक और खबर और है जो आज नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर है। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले चुनाव से पहले भ्रष्टाचार दूर करने, विदेश में रखा काला धन वापस लाने और भ्रष्ट व अपराधी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के भी वादे किए थे।
नोटबंदी और जीएसटी के बहाने उन्होंने भ्रष्टाचार और कालाधन दूर करने की कोशिश तो की पर इसमें कोई सफलता नहीं मिली। भ्रष्ट और अपराधी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का। इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई हुई नहीं लगती है। सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार का मुख्य कारण चुनावों में खर्च किया जाने वाला काला धन है और जीतने वालों को उम्मीदवार बनाने की होड़ में अपराधी राजनीतिक संरक्षण पाते हैं। इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई, चुनाव वैसे ही हो रहे हैं। हालात सुधरे नहीं बिगड़े ही हैं पर अखबारों में खबरें नहीं छपतीं और सरकारी विज्ञापनों के जरिए झूठ व भ्रम फैलाने पर करोड़ों फूंक दिए गए। अब एक नया टीवी चैनल आया है। सूचना के लिए पहले इसकी खबर की चर्चा और फिर बताउंगा कि इस अखबार को किस अखबार ने पहले पन्ने पर छापा है। आप भी देखिए कि आपके अखबार ने यह सूचना दी क्या?
नए चैनल के उद्घाटन में प्रधानमंत्री भी गए थे और उसी मौके पर उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल रहा। इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए शुरू हुए टीवी 9 समूह के संस्थापक चेयरमैन रवि प्रकाश से यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं – आपने ऐसे-ऐसे लोग भरे हैं (नए चैनल में) जिनके ब्लड में है मुझे गाली देना। इस पर रवि प्रकाश हंसते हुए कहते हैं- बदलाव ला रहे हैं इसमें। इसके बाद प्रधानमंत्री ने भी ठहाका लगाया और रवि प्रकाश की तरफ पलट कर कहा- ऐसा मत करो भाई … उनको जीने दो बेचारों को। उनकी आत्मा मर जाएगी तो फिर मजा नहीं आएगा उनको। और वाकई अब मजा आया है (हालांकि कितने दिन आएगा पता नहीं)। इस चैनल ने प्रसारण शुरू होने से पहले भिन्न दलों के नेताओं का स्टिंग कर लिया था जिसे अब दिखाया जा रहा है।
वैसे तो स्टिंग और पत्रकारिता में अंतर है पर अनजाने में ही सही, “मन की बात” करते हुए कैमरे में कैद हो जाना और बातें राजनीतिक, सामाजिक या चुनावी हों तो खबर है ही। इस क्रम में हिन्दी में नए आए इस चैनल ने अपने, “ऑपरेशन भारतवर्ष” (#OperationBharatvarsh) को दिखाना शुरू किया। इसमें एक समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा – गाड़ी से लेकर साड़ी तक सब पर होते हैं करोड़ों खर्च, भाजपा सांसद रामदास ने मांगे करोड़ नकद, भाजपा के ही दलित सांसद, उदितराज ने कहा, ‘नोटबंदी और जीएसटी से पूरा देश हुआ तबाह’ और भाजपा के ही एक अन्य सांसद बहादुर सिंह कोली ने यह खुलासा किया है कि 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें ब्लैक मनी ले जाना था तो उन्होंने किराए पर एम्बुलेंस लिया, किसी को मरीज बनाया, कुछ डॉक्टर लिए और ओंए ओंए करते चले आए। निश्चित रूप से आम चुनाव के पहले यह सब एक बड़ा खुलासा है और लोकतंत्र पर हावी नोटतंत्र का सच बताता है।
यही नहीं, स्टिंग से बौखलाए भाजपा सांसद उदित राज ने टीवी9 भारतवर्ष को मुकदमे की धमकी दी है। वे टीवी पर यह कहते हुए दिखाए गए कि पत्रकारों के दस साल के आयकर रिटर्न की जांच कराएंगे (उदित राज पूर्व आईआरएस अधिकारी हैं)। नेशनल हेरल्ड मामले में राहुल गांधी के पुराने आयकर रिटर्न की जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट में है और अभी तक अनुमति नहीं मिली है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ दल के सांसद की यह धमकी। यही नहीं, स्टिंग ऑपरेशन के बाद उदित राज का पक्ष जानने पहुंचे टीवी9 भारतवर्ष के रिपोर्टर के साथ उन्होंने बदसलूकी की। कुल मिलाकर, चैनल के खुलासे से यह साफ हो गया है कि नोटबंदी से कालेधन का बाल बांका नहीं हुआ। सांसद और नेता काले धन में खेल रहे हैं और सामान्य लोगों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
निश्चित रूप से इसके लिए टीवी 9 भारतवर्ष की तारीफ बनती है। मोदी जी से चैनल लॉन्च करवाकर उन्हीं की ‘सेना’ के खिलाफ धावा बोलना और जानते बूझते मोदी जी का कहना, “…. उनकी आत्मा मर जाएगी तो फिर मजा नहीं आएगा उनको” कम नहीं है। बहुत सारे लोगों ने कहा है कि काफी समय बाद टेलीविजन में कुछ देखने या तारीफ करने लायक आया। कहने की जरूरत नहीं है कि यह ऑपरेशन देखने लायक है और इसमें कई चौंकाने वाली सूचनाएं हैं। राजस्थान के भरतपुर सहित देश के कई लोकसभा क्षेत्रों के सांसद इस स्टिंग में यह कहते दिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री की रैलियों में जो भीड़ दिखती है, वह पैसे देकर जुटायी जाती है। चुनाव में गाड़ी और शराब पर लाखों का कालाधन फूंका जाता है। बेशक यह सब पहले भी हुआ था। पर नोटबंदी के बाद भी हो रहा है। कालाधन और भ्रष्टाचार खत्म करने के दावों के बाद भी हो रहा। तो यह खबर है और आपको इसकी सूचना होनी चाहिए पर क्या आपके अखबार ने आपको बताया?
मुमकिन है आप को लगे या इसकी चर्चा नहीं करने वाले कहें कि एक चैनल का स्टिंग किसी और चैनल या अखबार को क्यों दिखाना चाहिए? बेशक यह सही है। पर मामला सिर्फ स्टिंग का नहीं है। स्टिंग के खुलासों का है, जो सांसद स्टिंग में फंसे हैं उनके चुनाव का है और सांसद उदितराज के आरोपों का है और उसी तरह उदित राज पर रिपोर्टर को धक्का मारकर निकाल देने तथा आयकर जांच कराने की धमकी देने का है। कुछ सांसदों ने पैसे लेने से साफ मना कर दिया। आप उनकी तारीफ कीजिए। आप स्टिंग की चर्चा न कीजिए पर सांसद का व्यवहार तो खबर है। यह सूचना क्या कम महत्वपूर्ण है कि एक सांसद दावा कर रहा है कि उसने एम्बुलेंस में काला धन ढोया।