संजय कुमार सिंह
एक्सप्रेस ने इन दोनों खबरों के बीच इस पूरे मामले का तारीखवार ब्यौरा दिया है। इसकी शुरुआत 30 नवंबर 2016 से होती है और इससे पहले 24 अगस्त 2018 को अस्थाना ने मंत्रिमंडल सचिव से शिकायत की थी कि वर्मा मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। इसी के साथ अखबार ने बताया है कि मोइन कुरैशी फिर फोकस में हैं और यह खबर पेज 9 पर है। आइए, आज देखते हैं दूसरे अखबारों ने इसे कैसे, कितना छापा है। वैसे तो यह ‘एक्सक्लूसिव’ खबर है और अखबारों की भाषा में कहूं तो जरूरी नहीं है कि सब के पास हो लेकिन कल सोशल मीडिया पर यह खबर थी, मामला पुराना है और फॉलो अप ही होना है तथा एफआईआर हो गई है तो खबर ज्यादातर अखबारों में इसी की है और इसे भ्रष्टाचार का एक और मामला पकड़े जाने की तरह पेश किया गया है जबकि यह सीबीआई दफ्तर में सर्वोच्च पदों पर भ्रष्टाचार का नया और अनूठा मामला है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पेज पर सिंगल कॉलम की छोटी सी खबर है जो यह बताती है कि अस्थाना को बाहर करने के लिए कदम उठाए गए हैं। सीबीआई अधिकारी के हवाले से यह राजेश आहूजा की बाईलाइन खबर है जो पेज नौ पर विस्तार से है। पहले पेज पर जो छपा है वह इस प्रकार है, इतवार को एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा अपने डिप्टी राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने की एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें हटाने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को लिखे एक पत्र में अस्थाना ने आरोप लगाया है कि सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक अरुण कुमार शर्मा उन्हें फर्जी तौर पर फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। अखबार ने आगे लिखा है, ऊपर बताए गए (अनाम) अधिकारी ने कहा, एफआईआर के बाद अस्थाना की स्थिति समर्थन करने योग्य नहीं रह गई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को पहले पेज से पहले वाले आधे पन्ने पर छापा है। शीर्षक है, सीबीआई प्रमुख मुझे फंसाना चाह रहे हैं, नंबर 2 अस्थाना ने सीवीसी को लिखा। यहां भी यह नीरज चौहान की बाईलाइन खबर है। इस खबर का विस्तार अंदर के पन्नों पर भी है। ये तो हुई दिल्ली के तीन प्रमुख अंग्रेजी अखबारों की बात आइए अब देखते हैं हिन्दी अखबारों में इसे पहले पन्ने पर कैसे, कितनी बड़ी खबर छापी है। हिन्दी अखबारों में राजस्थान पत्रिका ने इस खबर को वैसे छापा है जैसा यह मामला है। अखबार ने फ्लैग शीर्षक बनाया है, घमासान : मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप। शीर्षक है, सीबीआई के आला अफसर आपस में भिड़े, विशेष निदेशक पर एफआईआर। इस मुख्य खबर के चार हिस्से हैं। अस्थाना पर घूस लेने के आरोप, सीबीआई प्रमुख ने ली दो करोड़ घूस, 10 मंहीने में तीन करोड़ की रिश्वत और आरोपी की मदद के लिए लुकआउट सर्कुलर बदला। असल में यह मामला भ्रष्टाचार के किसी समान्य मामले की तरह नहीं होकर सीबीआई में भ्रष्टाचार का है और दूसरी बात यह है कि दो सर्वोच्च अधिकारियों के बीच विवाद है। इसे भ्रष्टाचार के सामान्य मामले की तरह पेश करना गलत है।
दैनिक हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर दो कॉलम में एजेंसियों की यह खबर छापी है। शीर्षक है, अभूतपूर्व : सीबीआई के नंबर दो अफसर पर मुकदमा दर्ज। अखबार ने लिखा है, आरोप है कि मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में क्लीनचिट देने के लिए उन्होंने रिश्वत ली। यह मुकदमा ऐसे समय में दर्ज किया गया है जब अस्थाना ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अखबार ने लिखा है कि जांच एजेंसी में अफसरों के बीच खींचतान काफी दिनों से चल रही है। नवोदय टाइम्स ने संजीव यादव की खबर छापी है, शीर्षक है, सीबीआई ने अपने स्पेशल निदेशक पर दर्ज किया रिश्वत का केस। इस खबर के साथ एक सिंगल कॉलम खबर है, अस्थाना ने लिखा पीएमओ को पत्र।
अखबार ने खबर के बीच में अस्थाना की फोटो के साथ एक बॉक्स बनाया है जिसमें लिखा है, अस्थाना के अलावा डिप्टी एसपी देवेन्द्र कुमार सहित पांच पेडलरों के नाम भी हैं । दूसरा बिन्दु है, अधिकारियों पर दो करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप। नवभारत टाइम्स में एफआईआर और संबंधित विवाद की खबर पहले पेज पर नहीं है। फास्ट न्यूज शीर्षक से छोटी-छोटी खबरों के समूह में एक खबर है, सीबीआई में अफसरों के बीच विवाद से पीएमओ नाराज। खबर इस प्रकार है, सीबीआई ने अपने नंबर 2 अफसर राकेश अस्थाना पर रिश्वत घोटाले में मामला दर्ज किया है। इस पूरे प्रकरण में पीएमओके नाराज होने की जानकारी सामने आई है। इस खबर का विस्तार अंदर के पेज पर है और वहां भी खबर इसी लाइन पर है। दैनिक जागरण ने इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, सीबीआई ने अपने विशेष निदेशक पर किया घूसखोरी का मुकदमा।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।