चुनाव चर्चा: कोरोनाग्रस्त गाइडलाइन पर सवाल के साथ शुरू हुई पाटिलपुत्र की लड़ाई

बिहार चुनाव कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा कुछ दिनों में हो जाने के पूरे आसार हैं. चुनाव कार्यक्रम कमोबेश पिछली बार की तरह ही होंगे. नये चुनाव हथिया नक्षत्र की बारिश खत्म होने पर कराये जा सकते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि विधानसभा चुनाव की घोषणा सितंबर में ही हो सकती है।

चुनाव अधिसूचना तैयार करने के लिये आयोग ने विभिन्न सरकारी विभाग और जिलो के अधिकारियो से विचार विमर्श शुरु कर दिया है.कोरोना काल के कारण वोटिंग गाइडलाइंस जारी की जाने वाली है। इसमें चुनाव प्रचार के तरीके, बुजुर्गों के लिए वोटिंग आदि की निर्देश होंगे. गाइडलाइन में आयोग ने चुनाव सभा, प्रचार में कोविड से बचाव की जिम्मेदारी पार्टी और उम्मीदवार पर डाल दी है

 

गठबंधन 

2015 के पिछले चुनाव की घोषणा 9 सितंबर को हुई थी। तब छह चरणों में चुनाव हुए थे। तब आरजेडी और जेडीयू मिलकर चुनाब लड़े थे. उनका मुकाबला बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन से था जिसमें एलजेपी, आरएलएसपी आदि शामिल थे. आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन को जीत मिली. लेकिन साल भर बाद ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन से निकल कर बीजेपी से हाथ मिला लिया और उस के समर्थन से अपनी नई सरकार बना ली.

आगामी चुनाव में बीजेपी, जेडीयू आदि के गठबंधन के खिलाफ कांग्रेस और आरजेडी के महागठबंधन में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी और पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी भी शामिल हो सकती है. हालाँकि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा हाल ही में इस गठबंधन से अलग हो चुका है। पर वाममोर्चा ने आरजेडी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिनका प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं का प्रदेशव्यापी तंत्र इस गठबंधन को नई ताकत देगा।

 

गाइड लाइन 

भाकपा-माले ने चुनाव आयोग की नयी गाइडलाइन का यह कह विरोध किया है कि इससे चुनावी धांधली और बढेगी. उसके बिहार सचिव कुणाल के अनुसार चुनाव के दौरान कोरोना से बचाव के उपाय नहीं किए गए हैं पर धांधली का रास्ता खोल दिया गया है. आयोग ने 65 बरस के लोगों को पोस्टल बैलेट देने का प्रस्ताव वापस ले लिया पर कोविड से बचाव के लिये जो प्रावधान किये उससे चुनावी धांधली की आशंका बनी हुई है.

गाइडलाइन के अनुसार कोविड पॉजिटिव ही नहीं संदिग्ध  कोविड ग्रस्त वोटर और होम या संस्थान में क्वारंटाइन में रह रहे मतदाता भी पोस्टल बैलेट प्राप्त करने के अधिकारी होंगे. क्वारंटाइन वाले वोटर मतदान के आखिर में बूथ पर वोट देंगे। बूथ पर थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान अगर कोई पीड़ित पाया जाएगा तो उसे भी वोट डालने दिया जाएगा। संदिग्ध कोविड वोटर की पहचान के तौर तरिके को लेकर आशंका है.इस बहाने सत्ताधारी दल बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट हासिल कर चुनाव परिणाम प्रभावित कर सकता है. विरोधी दलो ने आयोग से संदिग्ध मरीज और होम क्वारंटाइन वालो को पोस्टल बैलेट देने की सुविधा खत्म कर ने की मांग की है.

भाकपा-माले ने आयोग से संक्रमित वोटर तथा पुलिस और चुनाव कर्मी के  मुफ्त इलाज की व्यवस्था की मांग की है.

बीजेपी को पूर्वानुमान है कि उसके लिए अपने बूते पर चुनाव जीतना संभव नहीं होगा। भाजपा के चुनावी गठबंधन, नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के विस्तार की  सीमाएं हैं। इसमें लम्बे अर्से से कोई नया दल शामिल नहीं हुआ है. भाजपा ने चुनावी ‘ मौसम विज्ञानी ’ कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी)  को साध रखा है.

भाजपा की चुनावी रणनीति ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है। इसलिए वह सहयोगी दलों के साथ नरम पड़ गई है। वह चाहती है कि सीटों के बंटवारे में ऐसा कुछ न हो कि उसे बिहार की गठबंधन सरकार से फिर बाहर जाना पड़े। उसकी यह स्पष्ट चुनावी रणनीति है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनता दल-यूनाइटेड, विपक्षी महागठबंधन की तरफ न छिटके. वह और एलजेपी एनडीए का ही हिस्सा बन चुनाव लड़े।

पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल  की बागडोर संभाले हुए हैं। वह राज्य के उस पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं जिसके मुख्यमंत्री नितीश कुमार थे। तेजस्वी अभी विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं। राजद, अभी भी सदन में सबसे बड़ी पार्टी है।

बी जे पी के चुनाव रण नीति कार एवम केंद्रीय ग्रिह मंत्री अमित शाह ने पिछ्ले लोकसभा चुनाव के दौरन  कहा था कि नितीश कुमार ही बिहार में एनडीए  का ‘ चेहरा ‘ हैं। तब वह जुलाई 2017 में नितीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व में जनता दल -यूनाइटेड और भाजपा की गठबंधन सरकार बनने के बाद पहली बार बिहार आये थे.

 



वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा का मंगलवारी साप्ताहिक स्तम्भ ‘चुनाव चर्चा’ लगभग साल भर पहले, लोकसभा चुनाव के बाद स्थगित हो गया था। कुछ हफ़्ते पहले यह फिर शुरू हो गया। मीडिया हल्कों में सी.पी. के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। सी.पी. आजकल बिहार में अपने गांव में हैं और बिहार में बढ़ती चुनावी आहट और राजनीतिक सरगर्मियों को हम तक पहुँचाने के लिए उनसे बेहतर कौन हो सकता था।

कुछ अपरिहार्य कारणों से इस बार मंगलवार की जगह बुधवार को यह स्तम्भ प्रकाशित हो रहा है। पाठक क्षमा करें।



 

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