अख़बारनामा: अस्थाना पर कालपानी भेजे गए CBI अफसर के हलफ़ी आरोप छिपाते हिंदी अख़बार

संजय कुमार सिंह


कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक, द टेलीग्राफ ने शॉकिंग एंड सॉरडिड (चौकाने वाला और घृणित) शीर्षक से सात कॉलम की लीड छापी है। इस खबर के मुताबिक, सीबीआई के एक अधिकारी, अजय कुमार बस्सी, जिनका तबादला ‘जनहित’ में पोर्ट ब्लेयर कर दिया गया था, ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत अपील दायर की है जिसमें उन्होंने अपनी जान को खतरा, सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका और छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ स्पष्ट आरोप लगाए हैं। उन्होंने ये आरोप शपथपत्र में लगाए हैं और आरोपों को ‘शॉकिंग’ (चौंकाने वाला) बताया है। जान के खतरे के बावजूद, शपथपूर्वक अपने उच्चाधिकारी के खिलाफ यह जानते हुए कि उसकी पहंच कहां तक है, इस तरह के आरोप लगाना बेहद असामान्य है। आज, आइए देखें सीबीआई-बनाम सीबीआई के इस मामले को दूसरे अखबारों ने कितनी प्रमुखता दी है और कैसे छापा है।

हिन्दी अखबारों में आज सबसे पहले दैनिक भास्कर। पहले पन्ने पर पूरा विज्ञापन है। संयोग से भारत सरकार का, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण का। यह विज्ञापन वैसे सरदार पटेल (पूरा नाम नहीं लिखा है) की बहुप्रचारित, बहुचर्चित प्रतिमा के लोकार्पण के लिए है लेकिन स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से मुकाबला जीतने की घोषणा करता ज्यादा लगता है। “भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले महान शख्सियत” को श्रद्धांजलि देने के बाद विज्ञापन में दुनिया भर की भिन्न मूर्तियों की तस्वीर के साथ उंचाई लिखी हुई है। इससे यह श्रद्धांजलि कम और प्रचार ज्यादा लगता है। आज ही इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी उसपर इस अखबार में भारत सरकार का कोई विज्ञापन नहीं है – पर वह अलग विषय है। और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विज्ञापन दूसरे अखबारों में भी है।

दैनिक भास्कर में सीबीआई की खबर खबरों के पहले पेज पर नहीं है। अखबार ने दिल्ली के प्रदूषण की खबर को लीड बनाया है और लिखा है, आज खबर नहीं …. दिल्ली वालों का दर्द पढ़िए।

राजस्थान पत्रिका में भी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विज्ञापन पहले पेज पर है। खबरों का पहला पेज तीसरा है। यह खबर इस पेज पर दो कॉलम में है। सीबीआई संकट एसपी बस्सी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट – फ्लैग शीर्षक वाली इस खबर का मुख्य शीर्षक है, अस्थाना के खिलाफ सबूत का दावा, तबादले को चुनौती। खबर की शुरुआत से पहले बड़े और बोल्ड अक्षरों में में लिखा है, सीवीसी ने शुरू की वर्मा मामले की जांच। इसके साथ एक कॉलम में एक और खबर है, पत्नी के वित्तीय लेन देन पर राव (अंतरिम निदेशक) की सफाई।

नवोदय टाइम्स में पहले पेज पर तो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विज्ञापन है ही, खबरों के इस पहले पन्ने पर भी आधा विज्ञापन है। खबर पहले पन्ने पर नहीं है। दैनिक जागरण में पहले पेज पर तो विज्ञापन है ही, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विज्ञापन तीसरे पेज पर है। खबरों का पहला पेज पांचवां है। उसपर एक सामान्य आकार का विज्ञापन है। सीबीआई अफसरों की जांच शुरू शीर्षक से एक खबर इसमें दो कॉलम की है। प्रेस ट्रस्ट की इस खबर का उपशीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीवीसी ने शुरू की कार्रवाई। इसमें डीएसपी बस्सी ने दी तबादले को चुनौती बोल्ड में है। आगे स्थानांतरण को दुर्भावनापूर्ण बताया गया है और यह भी कि इससे संवेदनशील जांच प्रभावित होगी। आरोपों की चर्चा यहां नहीं है। संबंधित खबरें पेज 17 पर होने की सूचना अंत में जरूर है।

दैनिक हिन्दुस्तान में भी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विज्ञापन तीसरे पेज पर है और खबरों का पहला पेज पांचवां है। इसपर भी चार कॉलम का आधे पेज का विज्ञापन है। बाकी में सीबीआई बनाम सीबीआई की खबर नहीं है। नवभारत टाइम्स में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विज्ञापन पहले ही पेज पर है। खबरों के तीसरे पेज पर आधे से ज्यादा विज्ञापन है और इसमें भी सीबीआई की खबर पहले पेज पर नहीं है। अमर उजाला में भी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का सरकारी विज्ञापन तीसरे पेज पर है और खबरों का पहला पेज पांचवां है। इसमें आठ कॉलम का आधे पेज का विज्ञापन है और सीबीआई की खबर नहीं है।

अंग्रेजी अखबारों में हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस खबर को खबरों के पहले पेज पर टॉप में प्रमुखता से छापा है। शीर्षक हिन्दी में इस प्रकार होगा, सीबीआई अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में, अस्थाना को बचाने के लिए हटाया गया। यह खबर खबरों के पहले पन्न पर आधे पेज में आठ कॉलम का विज्ञापन होने पर भी है। इंडियन एक्सप्रेस ने भी खबरों के पहले पन्ने पर इस खबर को छापा है। शीर्षक है, सीबीआई अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और फोन की बात चीत का ब्यौरा दिया, “अस्थाना तो अपना आदमी है”।

टाइम्स ऑफ इंडिया में भी इस खबर को खबरों के पहले पन्ने पर छापा है। आधे पन्ने का विज्ञापन होने पर भी। खबर का शीर्षक है, “सीबीआई के आलावा अधिकारियों का विवाद बढ़ा, अस्थाना के खिलाफ एफआईआर कराने वाले ने रॉ के विशेष सचिव (सामंत गोयल) को घसीटा। आज मुझे कुछ काम था। हिन्दी अखबारों ने पहले पन्ने पर इस खबर को नहीं छापकर मुझे जल्दी छुट्टी दे दी। जल्दी में ही मैंने अंदर नहीं देखा हालांकि आरोपों की खबर अंदर के पन्नों लायक है नहीं। खबर को पी जाने के लिए तो नहीं पर मुझे जल्दी मुक्त होने का मौका देने के लिए ‘शुक्रिया’ तो बनता है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

 



 

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