संजय कुमार सिंह
नोटबंदी की दूसरी बरसी कल थी और आज सभी अखबारों में इसकी चर्चा है। कुछ खास नहीं, अरुण जेटली का बचाव और राहुल गांधी व मनमोहन सिंह के आरोप। सिर्फ इंडियन एक्सप्रेस ने इसपर एक्सक्लूसिव खबर छापी है। बाकी अखबारों में रूटीन सूचना या आरोपों और जवाब से विविधता लाने की कोशिश की गई है। टेलीग्राफ को छोड़कर करीब सबने एक सी खबरें छापी हैं। आइए देखें किसने इसे कैसे छापा। कोलकाता के द टेलीग्राफ ने नोटबंदी की बरसी और दीवाली के बाद के दिन को मिलाकर सात कॉलम में दो खबरें छापी हैं। एक, “स्टेट ऑफ दि नेशन” (देश की स्थिति) में कहा गया है कि दो काले दिन एक साथ पड़ गए हैं और एक राजनैतिक विस्फोट के साथ देश के कई हिस्सों में कानून का पालन नहीं किए जाने जैसी स्थिति है। दूसरी खबर के दो शीर्षक दो लाइन में हैं। अलग-अलग ये शीर्षक हैं नोटबंदी के बाद और दीवाली के बाद। मुख्य खबर का शीर्षक है, “विचित्र संबंध : असफल नोटबंदी का फायदा और आरबीआई की नकदी पर निशाना।” टेलीग्राफ ने लिखा है नोटबंदी की दूसरी सालगिरह ने पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने उत्तराधिकारी से यह अपील करने के लिए प्रेरित किया कि वे अब और आर्थिक जोखिम न उठाएं।
हिन्दुस्तान टाइम्स में इसका शीर्षक है, नोटबंदी के प्रभाव पर विपक्ष, सरकार भिड़े। अखबार ने सरकारी दावों में से एक, वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा रखे गए इस तथ्य को बड़े अक्षरों में छापा है कि इस सरकार के पांच साल पूरे होने तक टैक्स ऐसेसी (आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले) का आधार दूना हो जाएगा। यह किसी वित्त मंत्री या अर्थशास्त्री का तर्क नहीं होकर वकील का तर्क लगता है। इसमें फायदा तो बताया जा रहा है पर यह नहीं माना जा रहा है कि यह फायदा किसी काम का नहीं है या कितने काम का है। बच्चा-बच्चा जानता है और रिटर्न फाइल कर रहा है क्योंकि सरकारी नियम ऐसे हैं और सरकार इसे नोटबंदी का फायदा बता रही है। दूसरी ओर अखबार ने राहुल गांधी का भी एक कोट छापा है जो सरकार द्वारा उन्हें पप्पू कहने का जवाब ज्यादा है। नोटबंदी पर कैसा हमला है यह पाठक तय करें। अखबार के मुताबिक राहुल ने कहा है, … नोटबंदी हमारी त्रासदियों में अनूठा है क्योंकि यह खुद किया गया आत्मघाती हमला था।
हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर ने इसे काफी विस्तार से छापा है। आठ कॉलम के फ्लैग शीर्षक के साथ चार कॉलम में जेटली का दावा और चार कॉलम में राहुल का जवाब है। शीर्षक है, जेटली का दावा, नोटबंदी से आय से अधिक संपत्ति वाले 17 लाख लोगों का पता चला। दूसरा शीर्षक बराबर में इतना ही बड़ा उसी फौन्ट में है, राहुल का जवाब – 15 लाख नौकरियां गईं और जीडीपी को 1% का नुकसान भी हुआ। अखबार ने राहुल की खबर के साथ एक कार्टून छापा है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे से पूछ रहा है, नोटबंदी सफल है तो चुनाव सभाओं में इसका जिक्र क्यो नहीं होता है। बाकी आरोप और जवाब हैं उसमें कुछ खास या नया नहीं है।
दैनिक हिन्दुस्तान में भी यह खबर वैसे ही छपी है जैसे भास्कर ने छापी है। फर्क सिर्फ यह है कि आकार में यह आधा है और चार कॉलम में ही छपा है। फ्लैग शीर्षक है, नोटबंदी की दूसरी सालगिरह पर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज आमने-सामने। मोर्चाबंदी के तहत अखबार ने दो कॉलम में जेटली का बयान छापा है, नोटबंदी से अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ और जवाब में राहुल बोले, सरकार के कदम से गरीब पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा। नवभारत टाइम्स ने इसे दो कॉलम में ही निपटा दिया है और जेटली का जवाब ही पहले पेज पर छापा है। शीर्षक है, नोटबंदी पर विपक्षी घेरेबंदी का जवाब। नवोदय टाइम्स ने नोटबंदी पर महाभारत शीर्षक से राहुल और जेटली के साथ मनमोहन सिंह और ममता बनर्जी का भी बयान छापा है। मनमोहन सिंह ने कहा है कि नोटबंदी के घाव गहरे होते जा रहे हैं जबकि ममता 8 नवंबर को काला दिन और नोटबंदी को विपदा कहती हैं।
दैनिक जागरण में यह खबर नोटबंदी पर सियासी गोलबंदी शीर्षक से सेकेंड लीड है। इसमें जेटली के साथ मनमोहन सिंह की तस्वीर लगाई गई है और राहुल का बयान फोटो के साथ अलग से आधे कॉलम के शीर्षक के साथ तीन कॉलम में है। अमर उजाला ने नोटबंदी की सालगिरह पर जेटली और मनमोहन सिंह के बयानों को दो-दो कॉलम में टॉप पर रखा है और एक कॉलम से कुछ ज्यादा में फोटो और हाईलाइट के साथ शुरू के तीन कॉलम में याद दिलाया है कि नोटबंदी की बरसी पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म दिन होता है। इस मौके पर नरेन्द्र मोदी के आडवाणी से मिलने की तस्वीर भी अखबार ने प्रमुखता से छापी है। अखबार ने अनिष्ट की भविष्यवाणी करने वाली गलत साबित हुए जेटली शीर्षक रखा है और जवाब में मनमोहन सिंह का बयान है, समय बीतने पर ज्यादा दिखाई देंगे घाव शीर्षक है।