माननीय अरविंद केजरीवाल जी,
मैं एक आम महिलावोटर के नाते आपको संबोधित यह पत्र लिख रही हूँ. जब आप , आम आदमी पार्टी की स्थापना किये थे आप ने आम जनमानस में यह संदेश पहुँचाया था कि आप मुख्यधारा की सड़ी-गली राजनीति को चुनौती देकर एक विकल्प देने के लिए राजनीति के मैदान में उतर रहे हैं. आप साफ-सुथरी राजनीति करेंगे … ऐसी राजनीति जो जन सरोकारों से जुडी हुयी हो. कहा तो आपने यह भी था कि आप व्ही.आई.पी. कल्चर का अंत कर देंगे. पर अफ़सोस आप ऐसा कुछ भी कर पाने में सफल नहीं हुए… क्योंकि आप सिर्फ राजनीति में आना चाहते थे … ना कि कुछ बदलने. हाँ.. बदला, बहुत कुछ बदला… लोग इतिहास भूलने लगे हैं…आप लोगों को विस्मृत करने लगे… तो बताईये क्या फर्क है आपमें और केंद्र में बैठी सत्तारूढ़ पार्टी में? नफ़रत वो भी फैला रहे हैं और अछूते आप भी नहीं हैं.
कितनी अजीब बात है महिलाओं के एक संगठित आन्दोलन को आपने और केंद्र में आसीन सत्तारूढ़ पार्टी दोनों ने ही गाली की तरह बनाकर रख दिया. आप महिला सुरक्षा के लिए बहुत चिंतित बताते हैं खुद को तो बताइए शाहीनबाग़ में अपने अधिकारों-अस्तित्व के लिए संघर्षरत महिलाओं को समर्थन देना तो दूर आप भी उनको हटाने की बात कर रहे हैं? क्या शाहीनबाग़ दिल्ली से अलग है? या यहाँ के लोग आपके वोट बैंक में नहीं आते? कितना अच्छा होता यदि आप खुद वहां जाते और साथ खड़े होते पर नहीं… आप भी डरे हुए हैं. असल में आप हमारे मुख्यमंत्री नहीं आप भी पितृसत्ता से घिरे हुए पुरुष हैं और घबराये हुए हैं कि कहीं शाहीनबाग़ की तरह पूरे दिल्ली की महिलाएं जाग ना जाएँ, अगर ऐसा हुआ आपका तो सफाया ही हो जायेगा. यह हम महिलाओं की भी एक स्तर की हार ही है कि हम खुद भी आपस में संगठित नहीं हो पाए अब तक और आप मर्दवादी सोच के नेताओं ने हमें वोट बैंक से ज्यादा कुछ समझा ही नहीं. पर आप भूल गए हैं कि जब भी देश विदेश में महिलाएं अपने अधिकारों/अस्तित्व के लिए आवाज़ को बुलंद कीं आप जैसे पुरुषों को मुंह की ही खानी पड़ी है.
दुनिया भर में आपने यह ढिंढोरा पीट रखा है कि केजरीवाल ने सरकारी स्कूलों में बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था का कर दी, तो महोदय आपको याद दिला दूँ दिल्ली के चार-छह सरकारी स्कूल ठीक-ठाक कर देने से पूरे दिल्ली की शिक्षा नहीं सुधर जाती.. और चलिए मैं मान भी लूँ कि आपने कुछ वाकई बेहतर किया है तो फिर क्यों डरे हुयें हैं कि लोगों का स्कूल में जाना वर्जित कर दिया आपने? कांग्रेस के ज़माने में तो हर किसी की पहुँच में था कि वो कहीं भी जाकर दावों की जाँच कर सकता/सकती थी पर आपको डर है कि आपकी कलई ना खुल जाये. मैंने देखा है स्कूल निर्माण के नाम पर कितने ही बच्चों को खासकरलड़कियों को आपने शिक्षा से दूर कर दिया. अतिथि शिक्षकों के भरोसे आप किस गुणवत्ता की कामना में लगे रहे इन पांच सालों में? आंकड़ों से तो छेड़खानी आपने भी कुछ कम नहीं की.
आपनेछलावा हर किसी के साथ किया है यदि ऐसा ना होता तो अभी दो दिन पहले फिर से एक सीवर कर्मी को अपनी जान से हाथ ना धोना पड़ता. आपके ही कार्यकाल में कितने दलित सीवर कर्मी मौत के आगोश में चले गए. आपभी मनुवादी विचारधारा के पोषक और समर्थक हैं. फिर भला किस मुंह से आप अलग राजनीति की बात कर रहे हैं?
जिस विकास के लिए आप खुद को शाबाशी देने में लगे हैं बता दीजिये आपने सचमुच कितने नए स्कूल, अस्पताल, फ्लाईओवर, मेट्रोका नया काम शुरू करवाया है. कितनी ही जगहों पर आपने पिछली सरकार के किये काम पर लीपापोती करके अपना नाम चस्पा कर दिया.
हम वोटर हैं आपके, आप ही तरह की दूसरी मनुवादी राजनैतिक पार्टियों के हाथों की कठपुतली नहीं हैं. इस चुनाव में हम महिलाएं, अल्पसंख्यक, बहुजन सभी मिलकर बहुत अच्छे से आप सभी लोभी, स्वार्थी, मनुवादी पार्टियों को अपनी ताकत दिखायेंगे…. और फिर हम ये भी गायेंगे – लाजिम है कि हम भी देखेंगे….