न्यूनतम मज़दूरी के सवाल पर सुलगने लगा बोकारो थर्मल पावर प्लांट!

प्रबंधन ने सीआइएसएफ को खबर कर पोस्टर हटाने की बात कही है, जिसके बाद सीआइएसएफ विजिलेंस इंस्पेक्टर गणेश चौधरी ने यूनियन के नेताओं से अपने कार्यालय में बुलाकर बातचीत करते हुए कहा है कि हमारी नौकरी आप लोग बचा लीजिये, सामने जो भी पोस्टर चिपकाए गए हैं, उसे हटा लीजिए। यूनियन नेताओं ने उन्हें साफ - साफ बता दिया कि अभी तो पोस्टर द्वारा प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है, इसके बाद भी मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी एवं उनके अधिकार पर विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलाया जाएगा।

झारखंड के बोकारो जिले के बोकारो थर्मल पावर प्लांट में विभिन्न एजेंसियों एवं ठेकेदारों के पास कार्यरत ठेका मजदूरों को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है, जिसको लेकर मजदूरों असंतोष व्याप्त है। पल स्वरूप मजदूरों ने झारखंड क्रान्तिकारी मजदूर यूनियन के बैनर तले प्लांट के भीतर और बाहर अपनी मांगों को लेकर पोस्टर चिपकाए हैं, जिसमें मजदूरों साफ तौर पर अपनी मांगों को रखा है।

मुख्य तौर मांग की गई है कि-

1.त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार कुशल सप्लाई मजदूरों का कैशलेस इलाज की व्यवस्था की
2.प्लांट के सभी मजदूरों को सेफ्टी का सारा उपकरण देना होगा।
3.J.K.M.U के सभी AMC.ARC एवं ठेका मजदूरों को उनके अधिकार से वंचित करना बंद करो।
4.ठेकेदारों द्वारा मजदूरों का शोषण करना बन्द करो। न्यूनतम मजदूरी की मांग कर रहे मजदूरों को काम से बैठाने की धमकी देना बंद करो।
5.सभी सप्लाई मजदूर एवं AMC.R RC मजदूरों को सेवा निहित के बाद ग्रेच्युटी का भुगतान करने को निश्चित करो ।
6.AMC.ARC कार्यरत सभी मजदूरों को MTPS,RTPS जैसी सभी सुविधा दी जाए।
7.प्लांट में कार्यरत सभी मजदूरों को बोनस देना होगा।
8.प्लांट में कार्यरत सभी मजदूरों का EPF काटना होगा।

निवेदक में J.K.M.U (झारखंड क्रान्तिकारी मजदूर यूनियन) अंकित है

किसी भी कंपनी में कार्यरत ठेका मजदूरों या दैनिक मजदूरों को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी 427 रूपये के भुगतान का प्रावधान है। लेकिन बोकारो थर्मल पावर प्लांट में विभिन्न एजेंसियों एवं ठेकेदारों के पास कार्यरत ठेका मजदूरों को यह न्यूनतम मजदूरी 427 रूपये का भुगतान नहीं किया जा रहा है और न ही डीबीसी प्रबंधन व लेवर डिपार्टमेंट द्वारा मजदूरों के मेहनताना दिलाने में कोई रूचि ली जा रही है। जिसके कारण मजदूरों का प्रतिदिन 100-200 रूपए मजदूरी की चोरी की जा रही है और उनके अधिकारों से भी वंचित रखा जा रहा है। इस अमानवीय लूट के खिलाफ ट्रेड यूनियन नेताओं ने भी चुप्पी साध रखी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यूनियन के नेताओं, दलालों एवं डीबीसी के भ्रष्ट पदाधिकारियों की मिलीभगत से कम्पनियों व ठेकेदारों द्वारा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी एवं उनके अधिकारों को नहीं दिया जा रहा है।

इस संदर्भ में झारखण्ड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन की ओर से डीबीसी प्रबंधन को लगातार मजदूरों की समस्याओं को लेकर मौखिक एवं लिखित रूप से अवगत कराया जाता रहा है। परन्तु प्रबंधन के रवैया मजदूरों के अधिकार दिलाने के प्रति नकारात्मक ही रहा है। आखिरकार यूनियन ने पूरे प्लांट के अन्दर मजदूरों की समस्याओं को लेकर पोस्टर चिपकाए। मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी की लूट के खिलाफ पोस्टर देखकर प्रबंधन और कम्पनियों में खलबली मच गयी। प्रबंधन ने सीआइएसएफ को खबर कर पोस्टर हटाने की बात कही है, जिसके बाद सीआइएसएफ विजिलेंस इंस्पेक्टर गणेश चौधरी ने यूनियन के नेताओं से अपने कार्यालय में बुलाकर बातचीत करते हुए कहा है कि हमारी नौकरी आप लोग बचा लीजिये, सामने जो भी पोस्टर चिपकाए गए हैं, उसे हटा लीजिए। यूनियन नेताओं ने उन्हें साफ – साफ बता दिया कि अभी तो पोस्टर द्वारा प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है, इसके बाद भी मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी एवं उनके अधिकार पर विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलाया जाएगा। साथ ही सीआइएसएफ को यह भी बता दिया गया है कि मजदूरों की हितों में चिपकाए गए पोस्टर नहीं हटाए जाएंगे।

मजदूरों की इस साफगोई व गोलबंदी से प्रबंधन की चिन्ता बढ़ती दिख रही है। जिससे प्रबंधन कभी भी असंवैधानिक हरकत कर सकता है।

 

विशद कुमार स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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