दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में जारी नगर निगम के बुलडोजरी अभियान पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में एनडीएमसी को नोटिस जारी करके दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है। जस्टिस एल.नागेश्वर राव और जस्टिस बी.आर.गवई की पीठ ने सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि मेयर को सूचना दिये जाने के बावजूद विध्वंस जारी रहा, जिसे अदालत गंभीरता से लेगी। ग़ौरतलब है कि कल अदालत का फ़ैसला आने के बाद भी एन डीएमसी का बुलडोज़र चलता रहा।
पीठ ने जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा विभिन्न राज्यों में अधिकारियों के खिलाफ दायर एक अन्य याचिका पर भारत संघ और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात राज्यों को नोटिस जारी किया, जिसमें अपराधों में आरोपी व्यक्तियों के घरों को ध्वस्त करने का सहारा लिया गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने आज कहा कि यह “राष्ट्रीय महत्व” से संबंधित मामला है। न्यायमूर्ति राव ने पूछा कि क्या यह “राष्ट्रीय महत्व” का मामला है क्योंकि यह केवल दिल्ली के एक क्षेत्र तक ही सीमित है। दवे ने कहा कि यह अब “राज्य की नीति” बन गई है कि हर दंगों के बाद, बुलडोजर का उपयोग करके समाज के एक विशेष वर्ग को निशाना बनाया जाता है। उन्होंने पूछा, “ऐसा कैसे है कि बुलडोजर राज्य की नीति का एक साधन बन गए हैं?” उन्होंने कहा, “यह मामला जहांगीरपुरी तक सीमित नहीं है। यह हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाला मामला है। अगर इसकी इजाजत दी गई तो कानून का राज नहीं बचेगा।
दवे ने कहा कि दिल्ली में एक कानून है जो कॉलोनियों को नियमित करता है। “दिल्ली में लाखों लोगों के साथ 731 अनधिकृत कॉलोनियां हैं और आप एक कॉलोनी चुनते हैं क्योंकि आप 1 समुदाय को टारगेट करते हैं! दवे ने पूछा, “हमारे घर 30 साल से ज्यादा पुराने हैं। हमारी दुकानें 30 साल से ज्यादा पुरानी हैं। हम लोकतंत्र में हैं और इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है।” दवे ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 343 का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना विध्वंस का कोई भी आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। दवे ने प्रस्तुत किया, “उन्होंने घरों को ध्वस्त कर दिया है। किसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए? ये गरीब लोग हैं। यदि आप अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं, तो आप सैनिक फार्म पर जाएं। गोल्फ लिंक पर जाएं जहां हर दूसरा घर अतिक्रमण है। आप नहीं चाहते हैं उन्हें छूएं, लेकिन गरीब लोगों को निशाना बना रहे हैं।”