पंजाब में BJP विधायक की पिटाई निंदनीय, घटना के लिए BJP का अहंकार जिम्मेदार-SKM

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को दिल्ली बॉर्डर्स पर चल रहा आंदोलन आज 121वें दिन भी जारी रहा। इस बीच ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों को 26 मार्च को 4 महीने हो गए। किसानों ने हर मौसम में अपने आप को मजबूत रखा है व तीन कृषि कानूनों के खिलाफ व MSP के लिए अपनी लड़ाई को शांतमयी रहते हुए तेज किया है। इस दौरान 310 के करीब किसान शहीद हुए है। सैंकड़ों किसान सड़क दुर्घटना व अन्य कारणों से बीमार भी हुए है। ऐसे वातावरण में सरकार का किसानों के प्रति अमानवीय व्यवहार रहा है जहां उसने अपने किसानों को दरकिनार करके रखा है।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ने कहा कि सिर्फ 4 महीने नहीं, पंजाब व कई अन्य हिस्सों में यह आंदोलन तब ही शुरू हो गया था जब ये तीन कृषि कानून ऑर्डिनेंस के रूप में लाये गए थे। पंजाब के किसानों ने अगुवाई करते हुए इस आंदोलन में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है।

इस आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत रही है कि ये आन्दोलन शांतमयी रहा है व किसानों ने सब्र संतोष के साथ आन्दोलन के हर पड़ाव में ज़ोर से अपनी ताकत दिखाई है। किसान नेताओं ने भी हर जगह इसी बात पर ज़ोर दिया है कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।

किसान मोर्चा ने कहा कि भाजपा व उसके सहयोगी दलों के नेता इस आंदोलन व किसानों के खिलाफ बयानबाजी से किसानों को उकसाते रहे है। इन नेताओं द्वारा शहीद किसानों तक का अपमान किया गया। इन सब के कारण व कृषि कानूनों के विरोध के संदर्भ में किसानों ने भाजपा व इसके सहयोगी दलों के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि आज पंजाब के अबोहर के भाजपा विधायक का आसपास के किसानों ने विरोध करना प्रारंभ किया। विपरीत परिस्थितियों में किसानों का यह आंदोलन हिंसक हुआ व विधायक के साथ शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार हुआ। यह अफसोस की बात है कि एक चुने हुए प्रतिनिधि के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया। हम इस घटना कड़ी निंदा करते है व इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करते।

हम इस घटना के लिए भाजपा व उसके सहयोगी दलों को जिम्मेदार मानते हैं। भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप अपने अहंकार में चूर है व किसानों की समस्याओं को हल करने की बजाय चुनावी राज्यों में व्यस्त है। सरकार के इस व्यवहार का खामियाजा क्षेत्रीय नेताओं को भुगतना पड़ रहा है।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि इसी तरह 26 मार्च के भारत बंद के दौरान कुछ जगह पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आई हैं। पत्रकारों के साथ इस तरह के बर्ताव की हम निंदा करते हैं। सयुंक्त किसान मोर्चा सभी डटे हुए किसानों से अपील करता है कि वे पत्रकारों का सहयोग करें व अनुशासित रहें।

हम सभी किसानों से अपील करना चाहते है कि अब तक शांतमयी चल रहे आन्दोलन को इसी तरह शांतिपूर्ण बनाये रखें। किसान आंदोलन अब दिल्ली की सीमाओं से देश के कोने कोने में फैल रहा है। किसानों का यह ऐतिहासिक आंदोलन ज़रूर सफल होगा।


‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी

 

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